Kangra News: अपनी जेब भरने के लिए गरीबों पर बोझ डाल रही सरकार

धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से अब अस्पतालों में पर्ची के भी दस रुपये लेने के फैसले को लोगों ने नकार दिया है। लोगों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में मरीज इलाज के लिए इसलिए आते हैं, क्योंकि वहां इलाज काफी सस्ता होता है। मगर अपनी जेब भरने के लिए सरकार गरीब लोगों पर आर्थिक बोझ डाल रही है। उन्होंने कहा कि पहले सरकारी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड, ईसीजी और दांतों के एक्सरे पर फीस लगा दी और अब इलाज के लिए बनने वाली पर्ची पर भी दस रुपये वसूलने की तैयारी की जा रही है, जो सरकार का गलत निर्णय है। इससे प्रदेश की गरीब जनता पर बोझ पड़ेगा और उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। अगर सरकारी अस्पतालों में भी इलाज महंगा हो जाएगा, तो एक गरीब व्यक्ति वहां क्यों आएगा। कोटसरकार ने सरकारी अस्पतालों में पर्ची के 10 रुपये लेने का फैसला लिया है। मगर जब तक सरकार से कोई नोटिफिकेशन नहीं आ जाती, तब तक धर्मशाला अस्पताल में मरीजों से पर्ची के पैसे नहीं लिए जाएंगे। -डॉ. अनुराधा शर्मा, एमएस, क्षेत्रीय अस्पताल, धर्मशाला..सरकार ने बिजली, पानी और सफर को महंगा कर अब एक बार फिर से गरीबों को महंगाई का एक और तोहफा दे दिया है। गरीबों सहित अन्य लोगों को मिलने वाली मुफ्त सरकारी स्वास्थ्य सुविधा से वंचित करके दस रुपये का शुल्क रखना न्यायसंगत नहीं है। -बलकार सिंह पठानिया, निवासी तलाड़ासरकार ने विधायकों का मानदेय बढ़ाकर उससे बढ़े हुए बोझ को हल्का करने के लिए गरीबों को मिलने वाली मुफ्त सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित कर दस रुपये शुल्क लगाया जाना निंदनीय है। रोज नए नए नियम बनाकर सरकार पर पड़े अतिरिक्त खर्चे को हल्का करने के लिए कभी पानी, कभी परिवहन, कभी बिजली दरों में बढ़ोतरी की जा रही है। अब रही सही कसर मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित कर निकाली जा रही है। -नरेश गुलेरिया, निवासी राजा का तालाबसरकार का यह फैसला आम आदमी पर बोझ बढ़ाएगा। पहले अस्पताल में पर्ची बनवाना मुफ्त था, लेकिन अब दस रुपये लगेंगे। गांव में तो कई लोग छोटे-छोटे इलाज के लिए भी अस्पताल जाते हैं। अब हर बार दस रुपये पर्ची बनाने के देने पड़ेंगे। गरीब आदमी के लिए यह भी बोझ बन सकता है। सरकार इस फैसले को वापस ले। -हिमांशू गर्ग, निवासी ज्वालामुखीसरकारी अस्पतालों को लोग इसलिए चुनते हैं, क्योंकि वहां इलाज सस्ता होता है। अब अगर पर्ची के भी पैसे देने पड़ेंगे, तो गरीब सोचने लगेंगे कि इलाज के लिए अस्पताल जाएं या नहीं। इससे कई लोग बीमारी छुपाएंगे या इलाज टालेंगे, जो खतरनाक हो सकता है। पर्ची के लिए दस रुपये लेना सरकार का गलत फैसला है। -संजय राणा, निवासी खुंडियांसरकार का सरकारी चिकित्सालय में दस रुपये पर्ची शुल्क लेने का फैसला गलत है। सरकार को इस फैसले को वापस लेना चाहिए, क्योंकि सरकारी चिकित्सालयों में मध्यम और गरीब परिवार के व्यक्ति अपने इलाज के लिए जाते हैं। उनको सरकार से आस होती है कि उनका इलाज या दवाइयां उनको सरकार की तरफ से मुफ्त में उपलब्ध करवाई जाएं। सरकार के इस फैसले से गरीब परिवार को कोई भी आर्थिक मदद नहीं मिल पाएगी। -उषा देवी, निवासी संसारपुर टैरेससरकारी चिकित्सालयों में अब दस रुपये पर्ची शुल्क लेने का सरकार जो फैसला लेने जा रही है, इस फैसले से न तो अमीर तबके को और न ही मध्यम वर्ग के लोगों को फर्क पड़ेगा। अधिकतर गरीब तबके के लोग सरकारी चिकित्सालयों में इलाज करवाने आते हैं, ताकि केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं का लाभ उठा सकें। प्रदेश सरकार की ओर से इस फैसले को वापस लेना चाहिए। -नवल किशोर, निवासी संसारपुर टैरेस

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Apr 09, 2025, 00:54 IST
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