महाराष्ट्र से लौटे मजदूरों का दर्द: आते समय खाने का सामान भी छीना, बच्चे रहे तीन दिन भूखे, 10 अब भी फंसे

ललितपुर से मजदूरी के लिए महाराष्ट्र गये 34 मजदूरों में से 24 वापस आ गए हैं। घर लौटे कथित बंधक मजदूरों ने अपना दर्द बयां किया है। मजदूरों का आरोप है कि उनके साथ मारपीट की जाती थी। सुबह 6 बजे से लेकर रात 10 बजे तक खेतों में काम कराया जाता था। बच्चें डर की वजह से सहमे हुए रहते थे। 11 नवंबर को पुलिस के पास पहुंचा था मामला थाना जखौरा इलाके के ग्राम लखनपुरा के मजरा नन्दीपुरा निवासी चउंवा सहरिया ने पुलिस को बताया था कि दीपावली से पहले मजदूरी से लौटने के दौरान जलगांव स्टेशन पर एक व्यक्ति से मुलाकात हुई। उसने अपना परिचय महाराष्ट्र प्रांत के जालना औरंगाबाद का बड़ा ठेकेदार बताते हुए कहा कि काम के लिए मजदूरों की आवश्यकता है। उस समय वह लोग अपने घर आ गये थे। कुछ दिन बाद उसी व्यक्ति का फोन आया और किराये के लिए 7 हजार रुपये फोनपे करते हुए काम पर आने की बात कही। इसके बाद सहारिया समाज के 34 लोग ठेकेदार के अनुसार बताये गये काम के लिए निकल गये थे। जिसमें कारी पहाड़ी से 10, टीकर से 13 और नन्दीपुरा से 11 महिला-पुरुष और बच्चे शामिल हैं। इसमें उसकी दो बेटी दामाद और उनके बच्चे भी हैं। चउंवा सहरिया ने बताया कि उनकी बेटी का फोन आया है कि ठेकेदार उनका उत्पीड़न कर रहा है उन्हें आने नहीं दे रहा है बंधक बनाए हुए हैं। पुलिस बोली- बंधक की बात असत्य मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन ने ठेकेदार से बात कर मजदूरों को घर भेजने के लिए कहा। इसके बाद 24 मजदूर अपने घर लौट आए थे। इस संबंध में सीओ सदर अजय कुमार ने बताया था कि प्रारंभिक जांच में पाया गया कि मजदूरों और ठेकेदार के बीच मजदूरी को लेकर विवाद हो गया था। उन्होंने कहा कि जांच पड़ताल के दौरान बंधक बनाने की बात निराधार व असत्य है। मजदूरों को काम पर लगाए मेट का कहना है कि मजदूरों ने रुपये लिए थे जब वह मिल जाऐंगे तब भेजेंगे। घर आने के दौरान ट्रेन में बच्चे रहे भूखे मजदूरों ने बताया कि सुबह से लेकर रात में 11 बजे तक काम कराया जाता था। मारपीट भी की जाती थी। घर से परिवार के लोगों ने पुलिस से शिकायत की इसके बाद ठेकेदार के पास डीएम का फोन गया तब जाकर उसको जाने दिया गया। इस दौरान उनके साथियों के साथ मारपीट की गई। जब उन्हें छोड़ा तो उनके पास रखा खाने पीने का सामान भी छीन लिया इस वजह से घर आते वक्त ट्रेन में तीन दिन तक सफर में वह और उनके बच्चे भूखे रहे। 10 मजदूर अब भी फंसे ग्राम नन्दीपुरा निवासी चऊआं सहरिया ने बताया कि कारी पहाड़ी के दस मजदूर अभी भी वहीं फंसे हुए है, ठेकेदार उन्हें छोड़ नहीं रहा है कह रहा है कि मजदूरों पर उनके रुपये आते हैं। जब तक हिसाब बराबर नहीं होगा तब तक नहीं छोड़ेगा। साथी को बेरहमी से पीटा, डर से सहमे रहते थे बच्चे मजदूर आनंद ने बताया कि 550 दिन के हिसाब से मजदूरी तय थी। सुबह 6 बजे खेत पहुंच जाते थे रात में 10 बजे छोड़ता थे। दो माह वह ठेकेदार के यहां रहा। एक महीने काम किया है लेकिन उन लोगों को कोई भी पैसा नहीं दिया गया। गन्ने के डंडा से मारने के लिए दौड़ता था उसके साथी की भी मारपीट की गई। जिससे उसके हाथ में चोट भी आ गई थी। बच्चे पूरे दिन डर से सहमे हुए रहते थे। महाराष्ट्र में मजदूरी के दौरान का दर्द बताता मजदूर आनंद

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 19, 2025, 19:01 IST
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