जनजातीय विकास का असली सवाल: पेसा कानून क्रियान्वयन प्रभावी होना जरूरी... तभी पूरा कर सकेगा उद्देश्य

हाल ही में, भगवान बिरसा मुंडा की जयंती कोजनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़े के रूप में मनाया गया। ये दिवस और पखवाड़े महज औपचारिकता न रह जाएं, इसके लिए जरूरी है कि आदिवासी दृष्टिकोण को साथ लेकर सांविधानिक प्रावधानों को लागू किया जाए। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने संविधान के भाग-9के अनुच्छेद-243से जुड़ेपंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार) अधिनियम, 1996अर्थातपेसा कानूनबनाया था। 24 दिसंबर, 1996 से प्रभावी यह कानून विशेष रूप सेअनुसूचित क्षेत्रोंके लिए बनाया गया था,जहां सामान्यपंचायती राज व्यवस्थासीधे लागू नहीं की जा सकती थी। 73वेंसंविधान संशोधन अधिनियम, 1992में पंचायतों के गठन,शक्तियां और कार्यप्रणाली का उल्लेख तो है,परंतु प्रावधान किया गया है कियह भाग अनुसूचित और आदिवासी क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा।इसलिए, इनके लिए अलग से कानून बनाने की आवश्यकता हुई। पांचवीं अनुसूची के प्रावधानअनुसूचित क्षेत्रोंऔर वहां के जनजातीय समुदायों के प्रशासन से संबंधित हैं। इसी के तहत राष्ट्रपति को अधिकार है कि वे इन क्षेत्रों के लिए विशेष प्रावधान करें। इन्हीं सांविधानिक प्रावधानों के आधार पर भारत सरकार नेपेसा कानूनलागू किया था। अनुसूचित क्षेत्रों मेंग्राम सरकारवजिला स्वायत्त परिषदेंकेवल प्रशासनिक ढांचे नहीं हैं,बल्कि आदिवासी समुदायों के विकास के सांविधानिक साधन भी हैं। परंपरागत न्याय व्यवस्था के अनुसार ग्राम सभा विवादों को निपटा सकती है। ग्राम सभा की अनुमति के बिना भूमि हस्तांतरण या अधिग्रहण नहीं किया जा सकता। ग्राम सभा से अनिवार्य परामर्श के बिना कोई विकास परियोजना शुरू नहीं की जा सकती। भारत जन आंदोलनके विजय भाई कहते हैं किपांचवीं अनुसूचीके ढांचे में केंद्र व राज्य सरकारों तथा राज्यपालों कोकृपालु पालनकर्ताजैसा बनाया गया है। उनके मन में आया तो कोई कानून बनाएं,वरना नहीं,लेकिन संसद ने जोपेसा कानूनबनाया है, वहराज्य व केंद्र सरकारों,राज्यपालों के विवेक पर निर्भर नहीं है। हालांकि,पांचवीं अनुसूचीके क्षेत्रों मेंपेसा कानूनलागू होने के करीब29वर्षों बाद भी कुछ राज्यों ने इसके नियम नहीं बनाए हैं। संविधान कीसातवीं अनुसूचीके मुताबिक राज्य विधानमंडल को इस हेतु कानून बनाना पड़ेगा। पांचवीं अनुसूचीके पैरा-3के तहत संसद ने जोपेसा कानूनबनाया है,वह सिर्फ राज्य को निर्देश है। पेसा कानूनकेवलअनुसूचित क्षेत्रमें संविधान के भाग-9को विस्तार देते हुए निर्देशित करता है कि राज्य सरकार कानून बनाकर उसे लागू करे। पांचवीं अनुसूचीक्षेत्र के10प्रदेशों में1997तक कुछ-न-कुछ नियम बनाए गए थे,लेकिन ग्राम सभा का अधिकार क्षेत्र व्यापक नहीं था। अब सरकार ग्राम सभा को थोड़ा कार्यभार देने की जुगत में है,लेकिन वहपेसासम्मत स्वशासी हो ही नहीं सकता,क्योंकि मूल कानूनपंचायत राज कानूनही है। पंचायत राज कानूनसंविधान कीसातवीं अनुसूचीके तहत है, इसलिए हर वाक्य में अंग्रेजी भाषा का'मे'(एमएवाई) शब्द उपयोग किया गया है,अर्थात इसे लागू करना राज्य सरकार केविवेकपर निर्भर है। पेसा कानूनसंविधान कीपांचवीं अनुसूचीसे निकालकर भाग-9में प्रस्तावित है,जहां राज्य सरकार के पासविवेकजैसा कोई बहाना नहीं है। इसलिए,पेसा कानूनके हर वाक्य में अंग्रेजी के'शैल'(एसएचएएलएल) शब्द का उपयोग किया गया है, जो बाध्यकारी है। संसद को यह सांविधानिक अधिकार दिया गया था कि वह अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायतों की विशेष व्यवस्था बनाए। इसका अभिप्राय था किजनजातीय और अनुसूचित क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन लागू करने के लिए एक विशेष कानून बनाया जाए,लेकिन इस बाध्यकारी बात कोविवेकाधीनढांचे में जोड़ देने से'पेसा'का महत्व खो सा गया है। पेसालागू होने पर निर्णय लेने की शक्ति ग्राम सभा को मिलती है। इनमें खनन,वनोपज व भूमि-अधिग्रहण जैसे क्षेत्रों से सरकारी और निजी कंपनियों के आर्थिक हित जुड़े हैं। अगर ग्राम सभा को वास्तविक अधिकार मिल जाएं,तो खनन व ठेकेदारी नेटवर्क पर रोक लग सकती है। हालांकि, राज्यों ने अब तकपेसाके नियम देर से या अधूरे बनाए हैं। जहां नियम बने भी हैं,वहां ग्राम सभा को सिर्फ सलाह देने वाला निकाय बनाकर रखा गया है,निर्णय लेने वाला नहीं। पेसा कानूनको नौकरशाहों और राजनेताओं के चक्रव्यूह से निकालने की जरूरत है। घोर केंद्रीकृत व्यवस्था से विकेंद्रीकृत व्यवस्था बनाने के लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति जरूरी है। अनुसूचित क्षेत्रों सेपंचायती राज कानूनको खारिज कर राज्य विधानमंडलपेसासम्मत कानून बनाएं,जिससे ग्राम सभा तथा जिला परिषद को स्वशासी दर्जा देकर मजबूत बनाया जा सके। आज कापंचायती राज कानूनज्यादा-से-ज्यादा सिर्फ शीर्ष संचालित विकास की एक सक्रिय और निर्वाचित एजेंसी की रचना कर सकता है। (सप्रेस)

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 19, 2025, 05:28 IST
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