Prayagraj : इनपर्सन मुकदमा लड़ने वाले प्राय:कानून से अनभिज्ञ, हाईकोर्ट ने 5 हजार रुपये लगाया जुर्माना

कोर्ट ने कहा कि बिना वकील के (इनपर्सन) मुकदमा लड़ने वाले अक्सर कानून और प्रक्रिया से अनभिज्ञ होते हैं। इससे उनकी याचिकाएं दोषपूर्ण रह जाती हैं और न्याय के हित को नुकसान पहुंचता है। कोर्ट ने कहा कि याची अपनी संविदा नौकरी के विस्तार के आदेश को रद्द करना चाहता था (जो उसके अपने हित के विरुद्ध था)। इन कारणों से कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया और 5000 रुपये का जुर्माना लगाया। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमेशरी की एकलपीठ ने दीपक चौरसिया की याचिका पर दिया है। कानुपर नगर निवासी दीपक चौरसिया एक विश्वविद्यालय में अपनी अनुबंधित नियुक्ति के विस्तार के आदेश को रद्द करने और एक चयन प्रक्रिया को चुनौती देते हुए याचिका दायर की। साथ ही वह इनपर्सन बहस के लिए कोर्ट में हाजिर हुए।इस दौरान कोर्ट ने पाया कि याचिका कई तरह से दोषपूर्ण थी। एक तो याचिकाकर्ता ने उन लोगों को पक्षकार नहीं बनाया था जिनके चयन को वह चुनौती दे रहे थे। इस प्रकार याचिका दोषपूर्ण है। कोर्ट ने याचिका जुर्माने के साथ खारिज कर दी। जुर्माना राशि को कानपुर नगर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करना होगा। हालांकि स्वयं मुकदमा लड़ने पर कोई पाबंदी नहीं है और कभी-कभी ये लोग योग्य वकीलों से बेहतर तर्क भी पेश कर देते हैं, लेकिन यह एक अपवाद ही है। जटिल कानूनी मामलों में पेशेवर सहायता लेना ही बेहतर होता है। - इलाहाबाद हाईकोर्ट

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 19, 2025, 19:18 IST
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