Ukraine: अब भी रूस के कब्जे में हजारों यूक्रेनी नागरिक, रिहाई की उम्मीद अनिश्चित; मानवाधिकार संगठनों का दावा

दो साल पहले जब कोस्त्यान्तिन जिनोवकिन की मां ने दरवाजे की आवाज सुनी, तो सोचा बेटा कुछ भूलकर वापस आया है। लेकिन सामने हथियारबंद और नकाबपोश लोग थे। वे जिनोवकिन को 'एक छोटी गलती' के लिए उठाकर ले गए और बोले कि जल्दी छोड़ देंगे। मगर उन्होंने जिनोवकिन फिर से कभी नहीं लौटाया। ज़िनोवकिन उन हजारों यूक्रेनी नागरिकों में से एक हैं, जिन्हें रूस ने नियंत्रण वाले इलाकों और अपनी जेलों में बंद कर रखा है। उनके परिवार का कहना है कि जिनोवकिन पर आतंकवादी साजिश, देशद्रोह और हथियार रखने जैसे झूठे आरोप लगाए गए हैं। उनकी पत्नी लियुसेना कहती हैं, 'उन्हें बिना वजह फंसाया गया है।' यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की का कहना है कि इन कैदियों की रिहाई शांति वार्ता के लिए बेहद जरूरी है। लेकिन अमेरिका और रूस की बातचीत में इस मुद्दे को ज्यादा तवज्जो नहीं मिल रही है। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित ओलेक्सान्द्रा मात्वीचुक कहती हैं, 'राजनेता प्राकृतिक संसाधनों, जमीन छोड़ने की संभावनाओं, वैश्विक राजनीति और यहां तक कि ओवल ऑफिस में जेलेंस्की के सूट पर चर्चा कर रहे हैं, लेकिन लोगों की बात नहीं कर रहे हैं।' नागरिक स्वतंत्रता केंद्र की प्रमुख ओलेक्सान्द्रा को 2022 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला था। जनवरी में इस केंद्र ने अन्य यूक्रेनी और रूसी मानवाधिकार संगठनों के साथ मिलकर 'पीपल फर्स्ट' अभियान शुरू किया। इस अभियान का कहना है कि किसी भी शांति समझौते में सबसे पहली प्राथमिकता उन सभी बंदियों की रिहाई होनी चाहिए। इसमें युद्ध का विरोध करने पर जेल भेजे गए रूसी नागरिक और अवैध रूप से ले जाए गए यूक्रेनी बच्चे शामिल हैं।ओलेक्सान्द्रा ने एसोसिएटेड प्रेस से कहा, आप इंसानी पक्ष को नजरअंदाज करके स्थायी शांति हासिल नहीं कर सकते। ये भी पढ़ें:'टैरिफ पर वार्ता के लिए 50 से ज्यादा देशों ने व्हाइट हाउस से किया संपर्क', ट्रंप के आर्थिक सलाहकार का दावा यह अभी स्पष्ट नहीं है कि रूस और उसके कब्जे वाले क्षेत्रों में कितने यूक्रेनी नागरिक हिरासत में हैं। यूक्रेन के मानवाधिकार आयुक्त दिमित्रो लुबिनेत्स के अनुसार, यह संख्या 20,000 से अधिक हो सकती है। ओलेक्सान्द्रा कहती हैं कि उनकी संस्था को 4,000 से अधिक अनुरोध मिले हैं, जिनमें लोगों ने युद्ध के दौरान हिरासत में लिए गए नागरिकों की मदद मांगी है। वह कहती हैं कि युद्ध में गैर-लड़ाकू नागरिकों को हिरासत में लेना अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है। रूसी मानवाधिकार संगठन 'मेमोरियल' के सह-संस्थापक ओलेग ऑरलोव कहते हैं कि कार्यकर्ताओं को कम से कम 1,672 यूक्रेनी नागरिकों के बारे में पता है जो मॉस्को की हिरासत में हैं।ऑरलोव ने कहा, ऐसे लोगों की संख्या और भी ज्यादा है जिनके बारे में हमें अब तक कुछ नहीं पता। उन्होंने कहा,ऑरलोव के मुताबिक, कई लोगों को महीनों तक बिना किसी आरोप के हिरासत में रखा गया है और उन्हें यह तक नहीं पता कि उन्हें क्यों पकड़ा गया है। ये भी पढ़ें:म्यामांर में भारत कर रहा मदद:सेना के फील्ड अस्पताल में छह दिनों में 859 मरीजों का उपचार, 20 से ज्यादा सर्जरी मार्च 2022 में यूक्रेन के खारकीव क्षेत्र में 19 वर्षीय मिकीता श्रियाबिन को रूसी सैनिकों ने हिरासत में लिया। वह लड़ाई से बचने के लिए अपने परिवार के साथ एक तहखाने में छिपा था, लेकिन जरूरी सामान लेने के लिए बाहर गया और फिर कभी वापस नहीं लौटा।श्रियाबिन के वकील लियोनिद सोलोव्योव ने कहा, श्रियाबिन को हिरासत में रखा गया, जबकि उस पर किसी अपराध का आरोप नहीं था।श्रियाबिन की मां तेतीयाना ने पिछले महीने एपी को बताया था कि उन्हें अब तक यह नहीं पता कि उनका बेटा कहां बंद है। तीन साल में उन्हें बेटे की सिर्फ दो चिट्ठियां मिली हैं, जिनमें उसने लिखा है कि वह ठीक है और उनको चिंता नहीं करनी चाहिए। जिनोवकिन की तरह ही एक और नागरिक सरही शिपा(63 वर्षीय)पत्रकार थे। मार्च 2022 में कुत्ता घुमाते वक्त गायब हुए, बाद में जासूसी के आरोप में उन्हें 13 साल की सजा सुना दी गई। उनकी पत्नी ओलेना कहती हैं, 'हम दोनों लोगों को खाना बांटते थे, इसलिए क्रॉस वाली जैकेट पहनी थी। शायद इसी वजह से उन्हें उठा लिया गया।' संबंधित वीडियो-

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Apr 07, 2025, 05:46 IST
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