Maharashtra: यवतमाल से धाराशिव पहुंचा बाघ 'रामलिंग', करीब 450 किमी का सफर कर येडशी अभयारण्य को बनाया ठिकाना
महाराष्ट्र के धाराशिव जिले के छोटे से येडशी रामलिंग घाट वन्यजीव अभयारण्य में दशकों बाद एक बाघ ने अपना ठिकाना बना लिया है। यह बाघ करीब तीन साल का है और उसने विदर्भ के टिपेश्वर अभयारण्य से 450 किलोमीटर का लंबा सफर तय किया है। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बाघ को 'रामलिंग' नाम दिया गया है, जो पास में मौजूद प्रसिद्ध भगवान शिव मंदिर से प्रेरित है। यह बाघ दिसंबर 2023 में पहली बार कैमरे में कैद हुआ था। बाद में तस्वीरों की तुलना की गई तो पता चला कि यह बाघ यवतमाल के टिपेश्वर अभयारण्य से यहां आया है। यह भी पढ़ें - खगोलीय घटना: चंद्रग्रहण के दौरान आज रात सुर्ख लाली लिए हुए दिखेगा चांद, 11 बजते ही दिखेगी अनोखी रंगशाला अभयारण्य का आकार छोटा, बाघ की लंबी यात्राएं येडशी अभयारण्य का क्षेत्रफल केवल 22.50 वर्ग किलोमीटर है, जो बाघ के लिए काफी छोटा है। इसलिए यह आसपास के इलाकों जैसे बरशी, भूम, तुळजापुर और धाराशिव तालुका तक घूमने जाता है। अच्छी बात यह है कि अब तक बाघ ने किसी इंसान पर हमला नहीं किया है। बचाव अभियान भी नाकाम वन विभाग ने जनवरी से अप्रैल तक 75 दिन का अभियान चलाया ताकि बाघ को पकड़कर उसे रेडियो कॉलर पहनाया जा सके और सह्याद्री टाइगर रिजर्व में छोड़ा जा सके। इसके लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया गया, लेकिन बाघ बेहद चतुराई से छिपा रहा और सिर्फ दो-तीन बार ही दिखाई दिया। शिकार की भरपूर उपलब्धता अभयारण्य में जंगली सूअर, सांभर, नीलगाय और चिंकारा जैसे शिकार की भरपूर उपलब्धता है, जिससे बाघ को यहां रहने में आसानी हो रही है। शुरुआत में उसने पालतू पशुओं को निशाना बनाया था, लेकिन अप्रैल के बाद वह जंगल के शिकार पर ही निर्भर हो गया। यह भी पढ़ें - देश के कई राज्यों में मौसम की मार: पहाड़ से मैदान तक हर तरफ तबाही, अब तक 500+ मौतें; हजारों करोड़ के नुकसान 50 साल में सिर्फ चौथा बाघ मराठवाड़ा क्षेत्र में यह बाघ 1971 के बाद से आने वाला चौथा बाघ है। इससे पहले 1971 में गौताला अभयारण्य में बाघ की मौजूदगी दर्ज की गई थी। 2020 में भी वहां एक बाघ थोड़े समय के लिए देखा गया था। वर्तमान में दो और बाघ नांदेड और टिपेश्वर के बीच आना-जाना कर रहे हैं। स्वस्थ जंगल का संकेत वन विभाग का कहना है कि येडशी में बाघ का बसना इस क्षेत्र के जंगल की सेहत का अच्छा संकेत है। सबसे बड़ी चुनौती इंसानों की आवाजाही और किसानों की तरफ से लगाए गए कम वोल्टेज वाले बिजली के तार हैं। इसके लिए विशेष पेट्रोलिंग टीम लगातार निगरानी कर रही है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 07, 2025, 09:33 IST
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