जंगल में बढ़ी इंसानी दखलंदाजी: तो और हिंसक हुए बाघ, टाइगरों की बढ़ती संख्या, सिमटते वासस्थल ने बनाया और खतरनाक

जंगलों में इंसानी दखलंदाजी बढ़ी तो मानव-वन्यजीव संघर्ष में इजाफा भी हुआ है। कुमाऊं में पिछले कुछ वर्षों के आंकड़े इसकी गवाही भी दे रहे हैं। इनमें हाथी के साथ बाघ के हमले भी शामिल हैं। विशेषज्ञ भी यही मानते हैं कि बाघ समेत अन्य वन्यजीवों के प्राकृतिक वासस्थलों का विघटन होना और बाघों की संख्या बढ़ने के साथ इंसानों की दखलंदाजी इसकी वजह है। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक पिछले वर्षों के दौरान उत्तराखंड में बाघों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। वर्तमान में राज्य के जंगलों में 560 बाघ गणना में पाए गए थे। बाघों की संख्या बढ़ने के साथ ही उनके आवास यानी जंगल का दायरा सिमटने के साथ इन वनों में सफारी की गतिविधियां बढ़ने को भी टाइगर के और अधिक हिंसक होने की वजह माना जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक बाघ आबादी में आकर शिकार नहीं करता है। कुमाऊं में भी बाघ के जितने भी हमले हुए हैं उनमें से अधिकतर तब हुए हैं जब कोई महिला अथवा पुरुष जंगल के भीतर गया है। अधिकारियों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान लावारिस जानवरों की संख्या बढ़ी है जो जंगली जानवरों का आसान शिकार हैं। इस वजह से भी तेंदुए जैसे वन्य जीव आबादी तक पहुंच रहे हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि विकास के नाम पर जंगलों को काटकर सड़कें, होटल, होम स्टे और रिजाॅर्ट बनाए जा रहे हैं। जंगलों के दोहन से प्राकृतिक जलस्रोत खत्म हो रहे हैं, जिसकी वजह से वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास विघटित हो रहे हैं। वन्य जीवों के मूवमेंट वाले क्षेत्रों में भी मानव दबाव बढ़ा है। इससे उनका विचरण भी प्रभावित हुआ है। इन परिस्थितियों में मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ना गलत भी नहीं माना जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए आमजन तो जागरूक होना होगा और जंगलों के भीतर बेवजह की दखलंदाजी बंद करनी होगी ताकि वन्य जीवन अपने प्राकृतिक वास स्थलों पर सुरक्षित रह सकें। प्रदेश में मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने लिए वन विभाग वृहद जनसंपर्क और जागरूकता कार्यक्रम चला रहा है। प्रभावित क्षेत्रों में कैमरा ट्रैप व ड्रोन की मदद से बाघ को ट्रैक किया जाता है। जरूरत पड़ने पर उसे रेस्क्यू भी किया जाता है। - धीरज पांडे मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 10, 2025, 10:25 IST
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