Noida News: कूल्हे के विकार में समय पर निदान और उपचार जरूरी
जिम्स में किशोरों के कूल्हे के विकार पर विशेषज्ञों ने की चर्चाग्रेटर नोएडा। राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) में शुक्रवार को स्लिप्ड अपर फेमोरल एपिफिसिस (एसयूएफई) में कूल्हे के संरक्षण पर एक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक का उद्देश्य बच्चों और किशोरों में तेजी से बढ़ रही कूल्हे से जुड़ी समस्या से निपटने के उपायों पर चर्चा करना था। इसमें अस्थि रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रतीक रस्तोगी ने किशोरावस्था में कूल्हे विकार के प्रबंधन से जुड़ी चुनौतियों और उपचार संबंधी निर्णय प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा की।डॉ. प्रतिक ने कहा कि एसयूएफई बढ़ते बच्चों और किशोरों में देखी जाने वाली एक ऐसी स्थिति है जिसमें जांघ की हड्डी के शीर्ष पर स्थित बॉल (फीमोरल हेड) अपनी सामान्य स्थिति से खिसक जाती है। यदि समय पर निदान और उपचार नहीं किया गया तो यह विकृति, अकड़न और प्रारंभिक गठिया (अर्थराइटिस) का कारण बन सकता है। इसलिए इस केस के माध्यम से बैठक में विभिन्न प्रबंधन रणनीतियों पर चर्चा की गई है। इसमें इन-सीटू फिक्सेशन, रीअलाइनमेंट ऑस्टियोटॉमी और आधुनिक हिप प्रिजर्वेशन तकनीक शामिल हैं। जिम्स के निदेशक डॉ. ब्रिगेडियर राकेश कुमार गुप्ता, अस्थि रोग विभागाध्यक्ष डॉ. विकास सक्सेना आदि ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। ब्यूरो
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 07, 2025, 17:45 IST
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