कश्मीर में पांच हजार साल से दर्शन, चिंतन और अध्यात्म की परंपरा: मोरारी बापू

मोहब्बत, भाईचारा, अमन और एकता का यहां मैं पैगाम लेकर आया हूं- डल झील के किनारे शेर-ए-कश्मीर कन्वेंशन सेंटर में दूसरे दिन भी बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुअमर उजाला ब्यूरोश्रीनगर। रामकथा के दूसरे दिन संत मोरारी बापू ने मोहब्बत के पैगाम को दोहराते हुए कश्मीर की पुराण प्रसिद्ध भूमि के प्रति स्नेह और आदर जताया। बापू ने कहा कि यहां कला, विद्या, दर्शन, चिंतन और अध्यात्म की परंपरा पांच हजार वर्षों से चली आ रही है। कई विद्वानों-मनीषियों की यह भूमि कई रूप से महिमावंत है। यहां मैं राम कथा के माध्यम से मोहब्बत, भाईचारा, अमन और एकता का संदेश लेकर आया हूं। इसके अलावा हमारा ओर कोई मिशन नहीं है। डल झील किनारे शेर-ए-कश्मीर कन्वेंशन सेंटर में रामकथा के दूसरे दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। पौराणिक दर्शन और ग्रंथों का प्रमाणित और प्रामाणिक आधार देते हुए बापू ने बताया कि हमारे देश में हम सभी लोग ऋषियों के नाम से जाने जाते हैं। इस प्रदेश के सब लोग कश्यप गोत्र के हैं। कश्मीर के मूल में कश्यप है। बापू ने कहा कि मेरे पास ज्ञान नहीं, रस है। अगर रस पीना है तो द्वैत-अद्वैत दोनों से मुक्त हो कर मौन के रस का घूंट पीना होगा। यह कथा मेरे परम तत्व का जलवा है, कोई तमाशा नहीं है। यह मेरी प्रेम सभा है, मेरी साधु सभा है। यहां शांति होनी चाहिए। शांति में समरसता है। दुनिया में जहां-जहां और जब भी समरसता टूटी है, तो वह बोलने से ही टूटी है। जम्मू में रघुनाथ मंदिर भी होगी रामकथा बापू ने कश्मीर में दो रामकथा करने की इच्छा जताई-इनमें से एक कथा जम्मू के रघुनाथजी के मंदिर में होगी। उन्होंने कहा कि यह राम की कथा है, सुखधाम की कथा है। हमारे धाम में सुख है पर हम स्वयं सुखधाम नहीं हैं। राम कथा मेरी छोटी सी नाव है - यद्यपि ये त्रिभुवनी नाव है। इस नाव से कितने तैर रहे हैं, कितने तैर गए और आगे भी तैरते जाएंगे। .कुछ इधर-उधर होगा तो डांवाडोल हो जाएगाबापू ने गुरु महिमा का बखान करते हुए कहा कि गुरु में श्रद्धा होनी चाहिए। गुरु के समग्र अस्तित्व में श्रद्धा रखो। गुरु के वचन में विश्वास और गुरु के चरण में भरोसा होना चाइए। श्रद्धा, विश्वास और भरोसा ये तीनों अवस्था भेद के शब्द हैं। इसमें कुछ इधर-उधर होगा तो डांवाडोल हो जाओगे। संसार और सागर दोनों में समानता है। दोनों में उथल-पुथल बहुत होती है। दोनों पीने योग्य नहीं हैं। दोनों का एक ही किनारा दिखता है, सामने वाला तट नहीं दिखाई देता। दोंनो की गहराई में नहीं जाना चाहिए। दोनों चंद्र से जूडे है। समुद्र में चंद्र के कारण ज्वारभाटा आता है। मानव के मन का चंद्र से सबंध है और संसार मन से जुडा है। कथा के क्रम में मोरारी बापू ने वंदना एवं नाम महिमा प्रकरण की संक्षेप चर्चा की और रविवार की कथा को विराम दिया।यह तप्त धरा हैबापू ने कहा कि कश्मीर की भूमि सनातन काल से साधना की भूमि रही है। यह तप्त धरा है। यह शैवतंत्र और शाक्त तंत्र की उपासना की भूमि रही है। सभी धर्मों की पावन धारा बहने से यह धरती समृद्ध बनी है। यहां कभी कोई भेदभाव नहीं रहा। वैसे भी संगीत, कला और इबादत में भेद कहां होता है। राम केवल सत्य ही नहीं, परम सत्य हैं। परम माने पूर्णता। राम पूर्ण सत्य हैं, पूर्ण प्रेम हैं और पूर्ण करुणा हैं।देश-विदेश से ढाई हजार श्रद्धालु श्रीराम कथा सुनने पहुंचे श्रीनगररामकथा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण किए गए थे। इससे पहले शनिवार को एसकेआईसीसी में मौके पर पंजीकरण हुए थे। रविवार को भी पंजीकरण कराए गए। आयोजन समिति से जुड़े ब्रजेश पांडे ने बताया कि अब नए पंजीकरण नहीं होंगे। देश-विदेश के करीब ढाई हजार श्रद्धालु रामकथा सुनने के लिए श्रीनगर आए हुए हैं।बारिश का पड़ा असरशनिवार शाम को चार बजे कथा का शुभारंभ हुआ था। सुबह से बारिश हो रही थी। शाम छह बजे मौसम और खराब हो गया। तेज हवा के साथ बारिश होने लगी। इस कारण कथा समय से आधे घंटे पहले ही खत्म करनी पड़ी। दूसरे दिन कथा सुबह 11 बजे शुरू हुई। मौसम साफ होने के चलते धूप खिली थी। कई श्रद्धालुओं ने इसका लाभ उठाया और डल झील के किनारे धूप में बैठकर कथा सुनी। इस दौरान सेल्फी और फोटो का दौर भी खूब चला।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Apr 21, 2025, 02:53 IST
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