मुद्दा: आईटी कंपनियों का अमेरिकी दर्द; एआई ने दी चुनौती

अस्सी के दशक के उत्तरार्ध में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने भारत में कंप्यूटरों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करने की बात कही, तो उस समय कई नेताओं और ट्रेड यूनियनों ने उनका विरोध किया था। जॉर्ज फर्नांडिस ने संसद में कहा था कि यह लाखों लोगों के रोजगार खत्म कर देगा। लेकिन सरकार ने उन आपत्तियों को दरकिनार करते हुए देश में कंप्यूटराइजेशन की नीति पर काम किया। इसका नतीजा नब्बे के दशक में आर्थिक उदारीकरण के दौर में दिखा। बड़े पैमाने पर आईटी कंपनियां काम करने लगीं। इन्फोसिस ने पहल की, तो कई और कंपनियां सामने आईं। हर तरफ आईटी का विस्तार हुआ, बड़े स्तर पर नौकरियां मिलीं, देश से आईटी निर्यात होना शुरू हुआ और भारतीयों ने सिलिकॉन वैली में अपने पैर जमा लिए। इस नई प्रौद्योगिकी ने भारत को महत्वपूर्ण देश के रूप में दुनिया में स्थापित किया। 2023 में भारत ने 193 अरब डॉलर के आईटी उत्पाद का निर्यात किया। इस वित्तीय वर्ष में उम्मीद है कि यह बढ़कर 210 अरब डॉलर हो जाएगा। भारतीय आईटी इंडस्ट्री की अपार सफलता भारतीय इंजीनियरों और कंपनियों के प्रमोटरों की सोच और दूरदर्शिता का नतीजा है। यह लगातार बढ़ता ही जा रहा था कि अब इसमें एक बहुत बड़ी बाधा आ खड़ी हुई है और वह है कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई)। दरअसल, तकनीक की एक खासियत होती है कि वह लगातार बदलती रहती है और मानव उसे नई-नई खोजों या नवाचार से सुधारता रहता है। तकनीक अगर जड़ हो जाएगी, तो वह खत्म हो जाएगी। इसका ही नतीजा है कि एआई सामने आया। घंटों का काम मिनटों में होने लगा और वे चीजें, जो सोच के बाहर थीं, अब मिनटों में होने लगीं। एआई की यह ताकत देखकर सभी अचंभित हैं। यह बड़े पैमाने पर लोगों को सीखने, सोचने, समझने और निर्णय लेने में सक्षम बनाता है। यह किसी भी क्षेत्र मसलन स्वास्थ्य, विनिर्माण, वित्त, एचआर आदि में फौरन मदद कर सकता है और इसका इस्तेमाल भी धड़ल्ले से हो रहा है। इसके उपयोग की सीमाएं नहीं हैं और यहीं पर यह एक समस्या बनकर उभरा है। हमारी आईटी कंपनियों को ज्यादातर ऑर्डर अमेरिका, यूरोप और पश्चिम से मिलते हैं। अब जबकि अमेरिका की बड़ी कंपनियां बहुत-से काम एआई से करा लेंगी, तो इन भारतीय कंपनियों के सामने बड़ी चुनौती खड़ी होने जा रही है। इन कंपनियों में 50 लाख लोग काम करते हैं। आगे चलकर कई छोटे रोजगार खत्म हो जाएंगे। विशेषज्ञ कहते हैं कि यह विधा भारतीय आईटी कंपनियों के लिए चुनौती बन रही है। इंडियाटेक के सीईओ रमेश कैलाशम कहते हैं कि एंट्री लेवल और मिड लेवल आईटी जॉब्स पर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कोडिंग वगैरह जैसे एंट्री लेवल के काम एआई के जरिये बहुत आसानी से हो जाएंगे। ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन का कहना है कि एआई बड़े पैमाने पर कोड जेनरेशन का काम कर लेगा, जिससे परंपरागत नौकरियों पर असर पड़ेगा। ऐसे में जरूरत वैसे लोगों की होगी, जो एआई को सही तरीके से गाइड कर सकते हैं। इनके लिए कर्मचारियों की बड़ी फौज नहीं चाहिए होगी। जाहिर है कि भारतीय कंपनियां भी इसका फायदा उठाते हुए कार्यबल में कटौती करेंगी, ताकि उनका मुनाफा बरकरार रहे। लेकिन समस्या यह है कि आने वाले समय में विदेशों से ऑर्डर कितने कम होंगे, यह चिंता का विषय है। इसका भारतीय आईटी से जुड़े बहुत सारे लोगों के रोजगार पर असर पड़ सकता है। दूसरी समस्या अमेरिका में हो रहे उठापटक की है, जिससे सारा विश्व उद्वेलित है। राष्ट्रपति ट्रंप की सख्त टैरिफ नीति का वहां की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ता दिख रहा है। इसका सबसे बड़ा असर हमारी आईटी इंडस्ट्री पर पड़ रहा है। हमारी यह इंडस्ट्री अमेरिका पर बहुत ज्यादा निर्भर करती है। इसके अलावा दुनिया भर में युद्ध के जो हालात हैं, वे भी वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर धकेल रहे हैं। इन सबका असर आईटी इंडस्ट्री पर पड़ रहा है। उनके शेयरों की स्थिति यही बयान कर रही है। इनमें पिछले कुछ वर्षों से कोई खास तेजी नहीं आ रही है। उन्हें अपने लाभ के बारे में किसी भी तरह का अनुमान लगाने में जोखिम दिख रहा है। कई आईटी कंपनियां अपने कर्मचारियों की वेतन वृद्धि के बारे में बात तक नहीं कर रही हैं और आने वाले समय में छंटनी ही कर सकती हैं। एआई और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता उनके शेयरों पर असर डाल रही है। इसका खामियाजा शुरुआती दौर में कर्मचारी ही भुगतेंगे। लेकिन फिलहाल बहुत निराश होने जैसी स्थिति नहीं है। क्योंकि कंप्यूटराइजेशन के शुरुआती दौर में भी यह खतरा पैदा हुआ था, लेकिन बाद में तकनीक ही सबके काम आई और कहीं बेहतर परिणाम देखने को मिले। एआई से भी निपटने का यही तरीका होगा कि इसे अच्छे से समझकर इसका उपयोग किया जाए। इससे नए-नए रोजगार के रास्ते खुलेंगे। भारतीय आईटी कंपनियां इस दिशा में काम कर रही हैं और उनमें नई तकनीक को तेजी से अपनाने की क्षमता भी है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: May 07, 2025, 07:31 IST
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