क्या तानाशाही की ओर बढ़ा तुर्किये: कैसे धर्मनिरपेक्ष विरासत मिटा रहे अर्दोआन? जानें ओटोमन काल से पूरा इतिहास

भारत की तरफ से पाकिस्तान में छिपे आतंक के आकाओं को निशाना बनाए जाने के बाद अधिकतर देशों ने ऑपरेशन सिंदूर को मौन सहमति दी है। हालांकि, जिन तीन देशों की तरफ से पाकिस्तान के प्रति समर्थन जताया गया है, उनमें चीन के अलावा तुर्किये और अजरबैजान शामिल हैं। इनमें सबसे चौंकाने वाला रवैया अब तक तुर्किये का रहा है, जो कि ऐतिहासिक समय से भारत का करीबी रहा। हालांकि, रजब तैयब अर्दोआन के शासन में यह देश धीरे-धीरे इस्लामिक जगत का नेतृत्व करने के सपने के साथ धर्मनिरपेक्ष और गुटनिरपेक्ष देशों से दूर होता चला गया और धार्मिक आधार पर कूटनीति में शामिल हो गया। चौंकाने वाली बात यह है कि इस्लामिक जगत का नेता बनने के चक्कर में जिस तुर्किये ने बीते वर्षों में पाकिस्तान से संबंध बढ़ाए हैं, वह कभी धर्मनिरपेक्षता और गुटनिरपेक्षता की तरफ बढ़ने की वजह से भारत के काफी करीब आ गया था। आधुनिक तुर्किये के संस्थापक कहे जाने वाले मुस्तफा कमाल अतातुर्क ने इस देश की नींव कुछ इस तरह रखी थी कि तुर्किये लंबे समय तक संसदीय और सैन्य व्यवस्था के साए में रहने के बावजूद लोकतांत्रिक मार्गों पर लौट आया। हालांकि, अब अर्दोआन के नेतृत्व में तुर्किये एक बार फिर अपने संस्थापक की विरासत से ही उलट बढ़ने लगा है। ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर तुर्किये का इतिहास क्या है ओटोमन काल में एक शक्तिशाली साम्राज्य से लेकर आधुनिक तुर्किये की कहानी क्या है इस देश को किन दो नामों ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया और कैसे इन्हीं दो शख्सियतों के रास्ते बिल्कुल उलट रहे हैं आइये जानते हैं

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: May 17, 2025, 02:33 IST
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