Uddhav: 'ये पेगासस का ही नया रूप', संचार साथी एप पर उद्धव बोले- सरकार लोगों की जासूसी करने की तैयारी कर रही
संचार साथी एप को लेकर लगातार केंद्र सरकार को घेरा जा रहा है। पूरा विपक्ष इस पर सवाल उठा रहा है। सरकार ने भी मामले को गंभीरता को समझते हुए तुरंत प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया था कि इस एप को लोग अपने फोन से डिलीट कर सकते हैं। इसी बीच शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि संचार साथी एप असल में पेगासस का ही नया रूप है और भाजपा नेतृत्व वाली सरकार लोगों की जासूसी करने की तैयारी कर रही है। ठाकरे ने दावा किया कि यह एप नागरिकों के फोन में जबरन डालकर उनकी गतिविधियों की निगरानी करने का तरीका है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। आगे कहा कि सरकार लोगों पर अविश्वास दिखाने के बजाय उन सुरक्षा चूकों की जांच करे, जिनके कारण अप्रैल में पहलगाम में बड़ा आतंकी हमला हुआ था जिसमें 26 लोगों की जान गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि जब सरकार को यह देखना चाहिए कि आतंकीभारत में कैसे घुस रहे हैं, तब वह नागरिकों के फोन पर नजर रखने में व्यस्त है। इस बीच संचार मंत्रालय के 28 नवंबर के आदेश ने विवाद बढ़ा दिया है, जिसमें सभी मोबाइल कंपनियों को यह एप प्री-इंस्टॉल करने और मौजूदा फोन में भी अपडेट के जरिए शामिल करने का निर्देश दिया गया है। संचार साथी की अनिवार्यता पर विवाद एप को अनिवार्य रूप से शामिल करने के आदेश के बाद गोपनीयता को लेकर आशंकाएं बढ़ गईं हैं। आरोप है कि यह एप मैसेज पढ़ सकता है और फोन डेटा तक पहुंच सकता है। ठाकरे ने कहा कि पेगासस की तरह यह भी फोन में मैलवेयर की तरह घुसकर निगरानी कर सकता है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि सरकार ने बस नाम बदल दिया है, तरीका वही है। जासूसी और नागरिकों पर शक। उन्होंने कहा कि "जो लोग आपको सत्ता में लाए, उन्हीं पर शक करना शासन की नाकामी दिखाता है। ये भी पढ़ें-'करोड़ों भारतीयों की प्राइवेसी खतरे में', संचार साथी एप को लेकर ओवैसी का बड़ा बयान सरकार की सफाई और आश्वासन गोपनीयता को लेकर उठे सवालों पर संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लोकसभा में कहा कि एप से किसी भी तरह की जासूसी संभव नहीं है और न ही ऐसा होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि एप लोगों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है और सरकार उपभोक्ताओं को कई विकल्प देना चाहती है। सिंधिया ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति एप में रजिस्टर नहीं है तो एप स्वतः सक्रिय नहीं होगा और उसे डिलीट भी किया जा सकता है। मंत्रालय आदेश में बदलाव की संभावना सिंधिया ने यह भी कहा कि एप को अनिवार्य रूप से इंस्टॉल करने के आदेश पर मंत्रालय लोगों की प्रतिक्रिया के आधार पर संशोधन करने को तैयार है। उन्होंने आश्वस्त किया कि सरकार किसी पर भी निगरानी का दबाव नहीं डालना चाहती। लेकिन विपक्ष का कहना है कि सरकार ने पहले भी पेगासस मामले पर जवाब नहीं दिया था और अब वही तकनीक नए नाम के साथ लागू की जा रही है, जिससे आशंका गहरी होती जा रही है। अन्य वीडियो-
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 03, 2025, 12:28 IST
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