UN: करीब 50 साल बाद लेबनान से हटेंगे संयुक्त राष्ट्र के सैनिक, अमेरिका-इस्राइल की मांग पर यूएन का बड़ा फैसला

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने लगभग 50 साल बाद लेबनान से अपने शांति मिशन को समाप्त करने का फैसला किया है। गुरुवार को परिषद ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर घोषणा की कि दक्षिणी लेबनान में तैनात संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल (UNIFIL) का कार्यकाल 2026 के अंत तक समाप्त कर दिया जाएगा। इसकी की स्थापना 1978 में इस्राइल के लेबनान पर हमले के बाद की गई थी। उस समय इसका उद्देश्य इस्राइली सैनिकों की वापसी की निगरानी करना था। बाद में 2006 में इस्राइल और हिज़्बुल्लाह के बीच हुए एक महीने लंबे युद्ध के बाद इस मिशन का दायरा और बढ़ा दिया गया। वर्तमान में इस मिशन के तहत 10,800 सैनिक और नागरिक कर्मचारी काम कर रहे हैं। परिषद ने तय किया है कि लेबनान सरकार से परामर्श कर इनकी चरणबद्ध वापसी तुरंत शुरू होगी और एक साल के भीतर पूरी कर ली जाएगी। यह फैसला अमेरिका और उसके करीबी सहयोगी इस्राइल की मांग पर लिया गया है, जो लंबे समय से मिशन को खत्म करने की बात कर रहे थे। लेबनानी सेना को हथियार सौंप रहे फलस्तीनी शरणार्थी इसी बीच बेरूत से मिली जानकारी के अनुसार, लेबनान में मौजूद कई फलस्तीनी शरणार्थी शिविरों ने अपने पास मौजूद हथियार लेबनानी सेना को सौंपना शुरू कर दिया है। बुरज अल-बरजनेह कैंप से हाल ही में मशीनगन और रॉकेट लॉन्चर जैसी हथियारों से भरा एक ट्रक सेना को सौंपा गया। इसके बाद दक्षिणी लेबनान के तीन और शिविरों ने ग्रैड रॉकेट, मशीनगन और हैंड ग्रेनेड सेना को सौंपे। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि यह कदम प्रतीकात्मक है, क्योंकि हथियारों की संख्या काफी सीमित रही है। फलस्तीनी शरणार्थियों के अधिकारों पर चर्चा लेबनानी-फलस्तीनी संवाद समिति के प्रमुख रमेज दिमाश्कियेह ने कहा है कि अगर शरणार्थी शिविरों में हथियार छोड़ने की प्रक्रिया आगे बढ़ती है, तो फलस्तीनी शरणार्थियों को लेबनान में अधिक कानूनी अधिकार मिल सकते हैं। वर्तमान में करीब दो लाख फलस्तीनी शरणार्थियों को नागरिकता नहीं दी गई है और वे कई पेशों में काम करने या संपत्ति रखने से वंचित हैं। प्रस्तावित कानून से उन्हें श्रम और संपत्ति अधिकारों में राहत मिल सकती है। हालांकि उन्हें लेबनानी नागरिकता नहीं दी जाएगी। कैंपों में अस्थिरता और संघर्ष लेबनान के 12 फलस्तीनी शिविर सीधे तौर पर सरकारी नियंत्रण में नहीं हैं और यहां अक्सर प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच झड़पें होती रहती हैं। 2023 में दक्षिणी बंदरगाह शहर सिदोन के पास ऐन अल-हिलवेह कैंप में फतह और इस्लामी गुटों के बीच हुई हिंसा में 30 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों घायल हुए थे। संयुक्त राष्ट्र राहत एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) के अनुसार, इस संघर्ष में कई स्कूल भी क्षतिग्रस्त हुए और अब उन्हें दोबारा खोलने के लिए धन नहीं है। भविष्य की योजना और चुनौतियां लेबनान और फलस्तीनी प्राधिकरण की योजना है कि भविष्य में कैंपों की देखरेख नागरिक प्रशासन द्वारा की जाए और सुरक्षा लेबनानी पुलिस के हाथों में दी जाए। हालांकि यह परिवर्तन तुरंत संभव नहीं है और एक संक्रमण काल रहेगा। फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास और लेबनानी राष्ट्रपति जोसेफ आउन ने तीन महीने पहले हथियार हटाने की योजना शुरू की थी। अब्बास के समर्थक फतह संगठन इस प्रक्रिया को लागू कर रहे हैं, जबकि हमास जैसे गुट अभी भी विरोध कर रहे हैं। बावजूद इसके, सरकार और कुछ गुटों को उम्मीद है कि धीरे-धीरे स्थिति सामान्य होगी और स्थायी समाधान की ओर बढ़ा जा सकेगा।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 28, 2025, 22:12 IST
पूरी ख़बर पढ़ें »




UN: करीब 50 साल बाद लेबनान से हटेंगे संयुक्त राष्ट्र के सैनिक, अमेरिका-इस्राइल की मांग पर यूएन का बड़ा फैसला #World #International #UnPeacekeepersLebanon #LebanonIsraelConflict #PalestinianRefugeeCamps #LebaneseArmyWeapons #HezbollahDisarmament #UnifilMissionEnd #PalestinianRightsReforms #LebanonCivilAdministration #MahmoudAbbasLebanon #UnSecurityCouncilLebanon #SubahSamachar