AI: आदिवासी भाषाओं के संरक्षण के लिए लॉन्च होगा एआई आधारित ट्रांसलेटर 'आदि वाणी', रियल-टाइम अनुवाद संभव होगा
केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय जल्द ही आदि वाणी नाम से देश का पहला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित ट्रांसलेटर लॉन्च करने जा रहा है। इसका उद्देश्य आदिवासी भाषाओं को संरक्षित करना और जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाना है। आदि वाणी में एनएलएलबी और इंडिक ट्रांस-2 जैसे एआई मॉडल का उपयोग किया गया है। इसके जरिए हिंदी-अंग्रेजी और आदिवासी भाषाओं के बीच रियल-टाइम अनुवाद संभव होगा। इसमें टेक्स्ट-टू-स्पीच, स्पीच-टू-टेक्स्ट और ओसीआर जैसी सुविधाएं होंगी, जिससे पांडुलिपियों और मौखिक परंपराओं को डिजिटल रूप दिया जा सकेगा। ये भी पढ़ें:Warning:'इसे रोकें वरना भुगतने होंगे परिणाम'; गूगल, मेटा, चैटजीपीटी समेत कई AI कंपनियों को मिली सख्त चेतावनी यह पहल आईआईटी दिल्ली, बिट्स पिलानी, आईआईटी हैदराबाद और आईआईटी रायपुर ने जनजातीय शोध संस्थानों (टीआरआई) के साथ मिलकर विकसित की है। शुरुआत में इसमें संथाली (ओडिशा), भीली (मध्य प्रदेश), मुंडारी (झारखंड) व गोंडी (छत्तीसगढ़) भाषाओं का अनुवाद संभव होगा। अगले चरण में कुई और गारो जैसी भाषाएं भी जोड़ी जाएंगी। ये भी पढ़ें:रिलायंस AGM:जियो ने लॉन्च की वॉयस असिस्टेंट RIYA, अब कंटेंट सर्च करना होगा और भी आसान वर्ष 2011 में हुई जनगणना के अनुसार, भारत में अनुसूचित जनजातियों में 461 भाषाएं और 71 मातृ भाषाएं बोली जाती हैं। इनमें से 81 भाषाएं असुरक्षित और 42 गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं। कई भाषाएं दस्तावेजीकरण और पीढ़ीगत ट्रांसमिशन की कमी के कारण लुप्त होने की कगार पर हैं।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Aug 31, 2025, 07:01 IST
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