ताजमहल की बेमिसाल दास्तान: लकड़ी की बुनियाद और यमुना की खिसकती धारा, रेत पर बसा प्यार का अजर अमर प्रतीक

क्या किसी नदी किनारे रेत पर मजबूत इमारत तामीर हो सकती है। इसका जवाब है ताजमहल। गाइड तो यह भी अफसाना कहते हैं कि मुगल बादशाह शाहजहां ने इसे बनाने वालों के हाथ काट दिए, जिससे वे दोबारा ऐसी इमारत न बना सकें। खैर, यह सब तो पर्यटकों को लुभाने के लिए गढ़े गए किस्से हैं, पर ताजमहल यमुना के रेत पर कैसे बना इसे जानने के लिए उस समय की वास्तुकला, वास्तुशिल्प, अभियांत्रिकी की अनोखी दास्तान के जर्द हो चुके पन्नों को पलटना होगा। शाहजहां की बेगम अर्जुमंद बानो यानी मुमताज नूरजहां की भतीजी थीं। 27 अप्रैल, 1593 को लाहौर में उनका जन्म हुआ था। वयस्क होने पर शहजादे खुर्रम (शाहजहां) से उनका निकाह हो गया। मुमताज और शाहजहां में बेपनाह मोहब्बत थी। वह युद्ध अभियानों में भी साथ रहती थीं। दक्कन अभियान के दौरान 17 जून, 1631 को बुरहानपुर में 14वें शिशु को जन्म देने के कुछ समय बाद उनकी मौत हो गई। शाहजहां का इरादा पहले बुरहानपुर में स्मारक बनाने का था, पर उसे आगरा भी लौटना था। 12 दिसंबर, 1631 को मुमताज का पार्थिव शरीर शहजादा शुजा आगरा लेकर आया। अब शाहजहां ने एक ऐसा मकबरा बनाने का इरादा किया जैसा कहीं न हो। शाहजहां का सपना 1653 ईस्वी में पूरा हुआ। ताजमहल को रोजा ए मुन्नवरा भी कहा जाता है यानी जगमगाता मकबरा। इसकी रूपरेखा तुर्की निवासी ईसा अफंदी द्वारा बनाई गई। सबसे बड़ी चुनौती शाहजहां द्वारा पसंद की गई यमुना किनारे की बलुई भूमि थी। शाहजहां की आत्मकथा लिखने वाले अब्दुल हमीद लाहौरी के अनुसार, पानी के किनारे बालू वाली जमीन पर मजबूत इमारत बनाना बेहद मुश्किल था। इसके लिए शाहजहां के वास्तुकारों ने जो योजना बनाई वह कमाल की थी। इसके लिए यमुना किनारे की उस जगह को तब तक खोदा गया जब तक चट्टान के रूप में मजबूत आधार नहीं मिल गया। 25 हजार टन वजनी ताजमहल और प्लेटफाॅर्म को मजबूत नींव की दरकार थी, 12 हजार टन तो अकेले गुंबद का वजन था। इसके लिए 50 कुएं खोदे गए। इनमें साल की लकड़ी के बने लट्ठे डाले गए और बाकी जगह को पत्थरों से भरा गया। कुओं को इस तरह बनाया गया कि यमुना नदी के पानी से इन्हें नमी मिलती रही। अंदर की लकड़ी को जितनी नमी मिलेगी वह उतनी मजबूत होगी। यह उस वक्त की बात है, जब यमुना ताजमहल से सटकर बहती थी, बहरहाल अब धारा खिसक गई है। यमुना में पानी भी बस मानसून के दौरान रहता है। इससे यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट ताजमहल की नींव को लेकर चिंता भी पैदा हो गई है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 03, 2025, 05:49 IST
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