यूपी: प्रदेश में एमबीबीएस का नया सत्र शुरू, कॉलेजों में शिक्षकों का टोटा; 50 फीसदी टीचरों के पद खाली
प्रदेश के चिकित्सा संस्थानों एवं मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षकों के औसतन 50 फीसदी पद खाली हैं। हालत यह है कि राजधानी लखनऊ में डाॅ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में 37, केजीएमयू में 20 तो पीजीआई में भी 16 फीसदी पद खाली हैं। ऐसे में छोटे शहरों में स्थित मेडिकल कॉलेजों का अंदाजा लगाया जा सकता है। चिकित्सा शिक्षकों के नहीं मिलने की वजह सिर्फ आर्थिक नहीं है, बल्कि नौकरशाही के हस्तक्षेप, संसाधनों की कमी आदि भी है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने प्रदेश में पांच सितंबर से एमबीबीएस सत्र शुरू करने का निर्देश दिया है। पहले चरण की काउंसिलिंग पूरी हो चुकी है, लेकिन ज्यादातर कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षकों की कमी है। पिछड़े जिलों के मेडिकल कॉलेज अपनी मान्यता बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। इन कॉलेजों में खाली पदों पर विज्ञापन जारी किए जा चुके हैं। कई स्थानों पर साक्षात्कार चल रहा है। असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए डॉक्टर मिल रहे हैं, लेकिन एसोसिएट और प्रोफेसर पद पर संकट बना हुआ है। इस संकट का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लखनऊ के केजीएमयू में 645 में 135 पद खाली हैं। डाॅ. राम मनोहर लोहिया संस्थान में 440 में 165 पद और एसजीपीजीआई में 403 में 67 पद खाली हैं। प्रदेश के राजकीय एवं स्वशासी मेडिकल कॉलेजों में सृजित कुल पदों के सापेक्ष करीब 50 फीसदी पद खाली हैं। इसे भरने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। भर्ती प्रक्रिया में देरी प्रदेश में 13 राजकीय मेडिकल कॉलेजों में लोक सेवा आयोग से भर्ती होती है। इनमें सिर्फ चार नियमित प्रधानाचार्य हैं। चिकित्सा शिक्षकों के अलग-अलग समय पर करीब 480 पदों के लिए आयोग में भर्ती प्रस्ताव भेजा गया है। यहां स्थानीय कमेटी द्वारा एडॉक पर चिकित्सा शिक्षक रखे जा रहे हैं। इसके बाद भी ज्यादातर कॉलेजों में 60 से 70 फीसदी ही चिकित्सा शिक्षक हैं।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 06, 2025, 10:09 IST
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