यूपी: सात घंटे के अंदर राजधानी में दो धमाके, हर साल होती रही हैं मौतें; पुलिस की नाक के नीचे चल रहा है कारोबार

गुडंबा के बेहटा गांव में रिहायशी इलाके में आलम के घर के अंदर पटाखे बनाने का कारोबार चल रहा था। इस बात की भनक न तो पुलिस को थी और ना ही प्रशासन कोे। लोकल इंटेलिजेंस यूनिट की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। बेहटा की घटना मात्र बानगी है। शहर और गांव में जगह-जगह अवैध रूप से पटाखे बनाने और उन्हें जमा रखने के मामलों में पुलिस-प्रशासन की असफलता राजधानी के लिए बड़े खतरे का संकेत है। हादसा होने के बाद अधिकारी कह रहे हैं कि आलम के पास लाइसेंस था या नहीं, इसकी जांच की जाएगी। हालांकि सवाल उठने लगा है कि हादसे के बाद जांच से क्या होगा। अगर समय रहते ही जांच की गई होती तो शायद हादसा होने से बचाया जा सकता था। शहर में इस तरह की घटना कोई पहली बार नहीं है। पहले भी जिले में घरों में अवैध रूप से संचालित पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट की घटनाएं हो चुकी हैं। इन घटनाओं में कई लोग जान गंवा चुके हैं। हर घटना के धमाके से जिम्मेदारों की नींद टूटती है और जांच की बात कही जाती है। बेहटा निवासी आलम के घर में हुए विस्फोट को लेकर पुलिस-प्रशासन की यही बयानबाजी सामने आई। डीसीपी ने दावा किया आलम की भाभी खातूना के नाम पर पटाखे बनाने का लाइसेंस है। खातूना के बेटे वारिस ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया है। सवाल ये है कि यदि आलम की भाभी के नाम परलाइसेंस है तो आलम के घर में पटाखे क्यों मौजूद थे। रिहायशी इलाके में पटाखे बनाने और रखने का लाइसेंस दिया ही क्यों गया। उधर, मुख्य अग्निशमन अधिकारी अंकुश मित्तल ने साफ कहा है कि आलम के घर में अवैध रूप से पटाखे बनाए जा रहे थे। चौकी इंचार्ज व बीट सिपाही निलंबित बेहटा गांव में सुबह व शाम को वहां से कुछ ही दूरी पर एक गोदाम में हुए विस्फोट के मामले में देर रात डीसीपी पूर्वी शशांक सिंह ने बेहटा चौकी इंचार्ज संतोष पटेल और सिपाही धर्मेंश चाहर को निलंबित कर दिया है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 01, 2025, 08:07 IST
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