अमेरिकी टैरिफ: विकास की रफ्तार बनी रहेगी, 7.8 % जीडीपी वृद्धि ने दिखाई भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती

निर्माण और सेवा क्षेत्र में आई तेजी से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अनापेक्षित रूप से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही, जो बीती पांच तिमाहियों में सर्वाधिक है, जबकि अधिकांश अर्थशास्त्रियों ने इस दौरान नरमी रहने की आशंका जताई थी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी वृद्धि दर के 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। जून तिमाही में सेवा क्षेत्र में आठ तिमाहियों में सबसे अधिक 9.3 फीसदी की दर से वृद्धि दर्ज हुई, जिसका कारण लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं में 9.8 फीसदी की दर से व वित्तीय, रियल एस्टेट तथा पेशेवर सेवाओं में 9.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि दर्ज होना है। विनिर्माण क्षेत्र में पिछली चार तिमाहियों में सबसे अधिक 7.7 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई। श्रम बहुल निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर विगत नौ तिमाहियों में सबसे कम 7.6 प्रतिशत रही। वहीं, इस तिमाही में कृषि उत्पादन में 3.7 फीसदी की दर से वृद्धि हुई, जो बीते वित्त वर्ष की समान अवधि से दोगुनी से ज्यादा है। जून तिमाही में नॉमिनल जीडीपी 8.8 फीसदी की दर से बढ़ी, जबकि वित्त मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष के लिए 10.1 फीसदी वृद्धि दर का अनुमान जताया था। ज्ञात हो कि नॉमिनल जीडीपी वृद्धि दर की गति धीमी रहने से सरकार के लिए राजकोषीय घाटे और कर्ज-जीडीपी अनुपात के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मुश्किलें हो सकती हैं, पर उम्मीद है कि आगामी तिमाही में इसमें अपेक्षित तेजी आएगी। गौरतलब है कि आलोच्य अवधि में ऋण वितरण में नरमी रही, अन्यथा सेवा व विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर और भी बेहतर होती। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 27 जून, 2025 तक बैंक ऋण वृद्धि दर सालाना आधार पर 9.5 प्रतिशत बढ़कर 184.83 लाख करोड़ रुपये हो गई। 28 जून, 2024 तक यह ऋण 168.86 लाख करोड़ रुपये था। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में निजी खर्च की दर बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही की तुलना में सात फीसदी बढ़ी, जो बेहतर मांग को दर्शाती है, जबकि सरकारी खर्च 7.4 प्रतिशत की दर से बढ़ा। इसी तरह, आयकर में राहत, रेपो दर में 100 आधार अंकों की कटौती, खरीफ बुआई की बेहतर स्थिति और वस्तु एवं सेवा कर में सुधार आदि से निजी खपत में तेजी आई है। एफएमसीजी उत्पादों की बिक्री चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बढ़कर छह प्रतिशत हो गई, जो विगत वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में पांच प्रतिशत रही थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में नॉमिनल जीडीपी में निजी अंतिम उपभोग व्यय की हिस्सेदारी 60.3 प्रतिशत रही, जो पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में 58.3 प्रतिशत रही थी। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि जीएफसीएफ में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज हुई। हालांकि, यह पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही की तुलना में दर्ज 9.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी से कम रही। जीएफसीएफ को अर्थव्यवस्था में परोक्ष रूप से निवेश मांग के संकेत रूप में देखा जाता है। बहरहाल, आगामी तिमाहियों में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने से इसमें और भी बेहतरी आने की संभावना है। जुलाई 2025 में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से केंद्र सरकार का सकल राजस्व बढ़कर 1.96 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले साल जुलाई में संग्रह से 7.5 फीसदी अधिक व जून 2025 में संग्रह से छह फीसदी ज्यादा है। जीएसटी संग्रह में लगातार वृद्धि दर्शाती है कि देश में आर्थिक गतिविधियां जारी हैं। यह भी माना जा रहा है कि जीएसटी की नई दरों के प्रभाव में आने के बाद देश में उपभोग मांग में बढ़ोतरी हो सकती है। अमेरिका द्वारा लगाए गए हालिया टैरिफ और वैश्विक अनिश्चितताओं का प्रतिकूल प्रभाव चालू वित्त वर्ष में घरेलू निजी निवेश पर आंशिक असर पड़ सकता है। हालांकि, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) क्षेत्र पर इसका विशेष प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि देश के कुल निर्यात में लगभग 45 प्रतिशत योगदान इस क्षेत्र का है। अमेरिकी टैरिफ के प्रभावों को कम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में जापान की भी यात्रा की और जापान ने अगले 10 वर्षों में भारत में 10 लाख करोड़ येन के निवेश का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा, दूसरे देशों के साथ कारोबारी करार करने की दिशा में भी भारत काम कर रहा है। विश्लेषण से साफ है कि अमेरिकी टैरिफ का भारतीय अर्थव्यवस्था पर आंशिक असर पड़ेगा। देश में निवेश, मांग और खर्च में लगातार वृद्धि हो रही है। कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में काफी बढ़िया रहा है। इस साल मानसून भी ठीक रहा है। खरीफ की बुआई बेहतर रही है। ऋण वितरण में तेजी लाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। महंगाई नियंत्रण में है। ऐसे में सेवा क्षेत्र और विनिर्माण क्षेत्र में तेजी का दौर आगामी तिमाहियों में भी जारी रह सकता है और चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 6.5 से 7.0 प्रतिशत के बीच में रह सकती है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 03, 2025, 05:41 IST
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