US Tariff: ट्रंप ने जिसे आधार बनाया, उस आपातकाल कानून में टैरिफ का जिक्र नहीं; केवल 150 दिन तक 15% शुल्क का हक

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कर दिया है कि टैरिफ मुद्दे पर संघीय अपीलीय कोर्ट के फैसले के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे।व्यापार घाटे को आर्थिक आपातकाल बताकर भारत समेत कई देशों पर थोपे गए टैरिफ पर उनकी दलीलें सुप्रीम कोर्ट में कितनी खरी उतरेंगी, ये तो बाद में ही पता चलेगा। लेकिन, इतना तो साफ है कि उन्होंने आर्थिक आपातकाल से जुड़े जिस कानून को आधार बनाया है, उसमें टैरिफ शब्द का जिक्र तक नहीं है। विभिन्न देशों में टैरिफ लगाने के लिए ट्रंप ने दशकों पुराने आर्थिक आपातकालीन कानून आईईईपीए का सहारा लिया है, जो विदेशी अर्थव्यवस्थाओं पर वित्तीय प्रतिबंध लगाने, विदेशी व्यक्तियों और संस्थाओं की आर्थिक गतिविधियों को नियंत्रण रखने और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए असाधारण खतरों से निपटने के उपाय करने की अनुमति तो देता है। लेकिन इसमें टैरिफ लगाने जैसा कोई प्रावधान नहीं किया गया है। खुद अपील कोर्ट ने अपने फैसले में भी कहा है कि अगर अमेरिकी संसद का इरादा राष्ट्रपति को ऐसी असीमित शक्तियां देने का होता तो 1977 में बने इस कानून में वह शुल्क लगाने के बाबत स्पष्ट तौर पर कोई प्रावधान करती। वित्तीय लेनदेन प्रतिबंधित करने का अधिकार देता है कानून आईईईपीए अधिनियम राष्ट्रपति को कुछ वित्तीय लेनदेन को प्रतिबंधित करने या विनियमित करने का अधिकार देता है। लेकिन किसी असामान्य व असाधारण खतरे के जवाब में राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करने के बाद शुल्क लगाने के लिए वैकल्पिक प्राधिकरणों का हवाला दे सकते हैं। बतौर उदाहरण, 1974 के व्यापार अधिनियम की धारा 122 राष्ट्रपति को उन देशों से आयात पर 150 दिनों के लिए 15 प्रतिशत की दर से शुल्क लगाने की अनुमति देती है, जिनके साथ अमेरिका का बड़ा व्यापार घाटा है। व्यापार अधिनियम की धारा 301 उन देशों से आयात पर कर लगाने की अनुमति देती है जो अनुचित व्यापार प्रथाओं में लिप्त पाए गए हैं। ये भी पढ़ें-Trump Tariff Not Legal:अमेरिकी अपील अदालत का बड़ा फैसला, कहा- ट्रंप के अधिकांश टैरिफ कानूनी नहीं; जानिए सबकुछ ट्रंप ने पहले कार्यकाल में चीन पर किया था व्यापार कानून की धारा 301 का इस्तेमाल ट्रंप ने बतौर राष्ट्रपति अपने पहले कार्यकाल के दौरान चीन के साथ अमेरिकी व्यापार युद्ध के लिए धारा 301 के अधिकार का इस्तेमाल ही किया था। आईईईपीए के बिना राष्ट्रपति की तरफ से लागू किए जा सकने वाले शुल्कों और उन्हें लागू करने के तरीके सीमित हो जाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि किसी खास परिस्थिति में वह कांग्रेस के समर्थन से टैरिफ लागू करने का प्रयास कर सकते थे। ये भी पढ़ें-US Tariff Appeal Court:फैसले पर भड़के ट्रंप बोले- अदालत का निर्णय पक्षपाती, अंत में जीत अमेरिका की ही होगी आईईईपीए का इस तरह इस्तेमाल करने वाले ट्रंप पहले राष्ट्रपति : 1977 के इस कानून का इस्तेमाल ऐतिहासिक रूप से दुश्मनों पर प्रतिबंध लगाने या उनकी संपत्ति जब्त करने के लिए किया जाता रहा है। ट्रंप टैरिफ लगाने के लिए आईईईपीए का इस्तेमाल करने वाले ट्रंप पहले राष्ट्रपति हैं। उन्होंने इस साल अप्रैल में इस आधार पर राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की थी कि अमेरिका अपने निर्यात से ज्यादा आयात करता है, जैसा कि देश दशकों से करता आ रहा है। लगातार व्यापार घाटा अमेरिकी विनिर्माण क्षमता और सैन्य तैयारियों को कमजोर कर रहा है। ये भी पढ़ें-US-India: नोबेल के लिए पैरवी, न्योता नकारने औरक्या है भारत पर ट्रंप के टैरिफ की असल वजह, नाराजगी क्यों फिलहाल लागू रहेंगे टैरिफ, अपीलके लिए 14 अक्तूबर तक का समय गौरतलब है किअमेरिका के संघीय अपीलीय कोर्ट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लगाए अधिकांश टैरिफ को अवैध करार दिया है। कोर्ट ने कहा, ट्रंप ने टैरिफ को लागू करने के लिए जिस अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (आईईईपीए) का सहारा लिया है, वह उन्हें असीमित शक्तियां प्रदान नहीं करता। माना जा रहा है कि इस कानूनी चुनौती से भारत को भी राहत मिल सकती है। हालांकि कोर्ट ने ट्रंप प्रशासन को सुप्रीम कोर्ट में अपील के लिए 14 अक्तूबर तक का समय दिया है। तब तक टैरिफ पर कोई रोक नहीं रहेगी। ये भी पढ़ें-US Tariffs:ट्रंप के टैरिफ को संघीय अदालत ने क्यों बताया अवैध, भारत पर लगे आयात शुल्क पर आगे क्या; कितनी राहत अपील कोर्ट का फैसला ऐसे समय पर आया है, जब भारत पर टैरिफ बढ़कर 50% हो गया है। कोर्ट ने 7-4 के बहुमत से सुनाए फैसले में कहा, ट्रंप की तरफ से आईईईपीए के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल व्यापारिक साझेदारों पर टैरिफ लगाना अधिकारों का दुरुपयोग है। ऐसे कर लगाने का अधिकार सिर्फ अमेरिकी कांग्रेस (संसद) को है। कोर्ट ने कहा, ऐसा नहीं लगता कि आईईईपीए लागू करते समय कांग्रेस का इरादा राष्ट्रपति को टैरिफ लगाने का असीमित अधिकार देने का रहा होगा। मई में निचली कोर्ट ने भी कहा था, ट्रंप के पास अमेरिका में आयात की जाने वाली सभी वस्तुओं पर शुल्क लगाने का असीमित अधिकार नहीं है। कोर्ट ने इस फैसले की पुष्टि करते हुए यह आदेश सुनाया। स्टील व एल्युमीनियम पर 50% टैरिफ पर नहीं पड़ेगा असर कोर्ट का फैसला 7 अगस्त से भारत पर लागू 25 प्रतिशत पारस्परिक टैरिफ और रूसी तेल आयात की वजह से 27 अगस्त से लगाए गए अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ पर भी असर डालेगा। दरअसल ट्रंप ने इन्हें अपनी आपात शक्तियों का इस्तेमाल करके ही थोपा था।स्टील और एल्युमीनियम पर 50% शुल्क जैसे क्षेत्रीय शुल्क इस कानूनी चुनौती के दायरे में नहीं आते, जिन्हें ट्रंप ने 1962 के व्यापार विस्तार अधिनियम की धारा 232 का इस्तेमाल करके लागू किया था। व्यापार घाटे को राष्ट्रीय आपातकाल बताकर लगाया टैरिफ : 1977 में लागू आईईईपीए का उपयोग राष्ट्रीय आपात स्थितियों से निपटने के लिए किया जाता है। ट्रंप पहले राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने इस्तेमाल आयात शुल्क के लिए किया है। उन्होंने व्यापार घाटे को राष्ट्रीय आपातकाल बताकर यह टैरिफ लगाया।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 31, 2025, 08:02 IST
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