Noida News: जलभराव से मिलेगी राहत, एनडीएमसी अपनाएगी सूरत मॉडल

272 पुराने रेन वाटर हार्वेस्टिंग पिट्स का पुनर्विकास होगाअमर उजाला ब्यूरोनई दिल्ली। नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) अब नई दिल्ली की सड़कों को जलभराव से बचाने और जल प्रबंधन को अधिक प्रभावी बनाने के लिए सूरत मॉडल को अपनाने जा रही है। इसके तहत वर्षा जल संचयन, बाढ़ नियंत्रण और जल संरक्षण की आधुनिक तकनीकों को एनडीएमसी क्षेत्र में लागू करेगी। विशेष रूप से लुटियंस की दिल्ली में जहां मानसून के दौरान जलभराव बड़ी समस्या बन जाता है, वहां यह कदम एक अहम बदलाव लाएगा।एनडीएमसी के वरिष्ठ अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में सूरत का दौरा किया, जहां उन्होंने बामरोली स्थित टर्शरी ट्रीटमेंट प्लांट, बायोडायवर्सिटी पार्क, जीडी गोयनका कैनाल कॉरिडोर और फ्लड प्रोटेक्शन वॉल जैसे स्थलों का निरीक्षण किया। इन स्थलों ने शहरी बाढ़ प्रबंधन, भूजल पुनर्भरण और पर्यावरणीय संरक्षण के लिए किए गए अभिनव प्रयासों का प्रभावशाली उदाहरण प्रस्तुत किया। बायोडायवर्सिटी पार्क पहले कचरे का डंपिंग ग्राउंड था, लेकिन अब स्मार्ट सिटी मिशन के तहत सुंदर और हरित स्थल में बदल चुका है। इसे वेस्ट टू वेल्थ का प्रतीक माना जा रहा है।एनडीएमसी ने अपने क्षेत्र में जलभराव को खत्म करने और भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए 272 पुराने रेन वाटर हार्वेस्टिंग पिट्स के पुनर्विकास की शुरुआत की है और 101 नए पिट्स का निर्माण भी आरंभ किया है। यह प्रयास आगामी मानसून में क्षेत्र को जलभराव मुक्त बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है। इससे पहले 18 मार्च को दिल्ली में जल शक्ति मंत्रालय में आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में एनडीएमसी ने ड्रेनेज सिस्टम सुधार और जलभराव निवारण के लिए योजना का विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया था। इस बैठक में जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने सूरत मॉडल को देखने और अपनाने का सुझाव दिया था। सूरत की तरह कंट्रोल रूम को विकसित किया जाएगा: चहलएनडीएमसी के उपाध्यक्ष कुलजीत सिंह चहल ने बताया कि राजधानी के केंद्र में स्थित होने के कारण नई दिल्ली में हर दिन बड़ी संख्या में लोग आते हैं और यहां एक अत्याधुनिक इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) का उन्नत होना आवश्यक है। यह सेंटर तेज हवाओं, भारी बारिश और अन्य आपदाओं के दौरान त्वरित व प्रभावी प्रबंधन सुनिश्चित करेगा। सूरत के आईसीसीसी की सफल विशेषताओं को एनडीएमसी की प्रणाली में शामिल किया जाएगा। इसके बाद आपदा प्रबंधन मजबूत होगा। विकसित भारत@2047 की दृष्टि के तहत एनडीएमसी आने वाले 100 वर्षों के लिए एक दीर्घकालिक योजना तैयार कर रही है। इसमें विकसित एनडीएमसी की संकल्पना को सूरत के मॉडल के अनुरूप तैयार किया जाएगा।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Apr 09, 2025, 20:13 IST
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