बिना संयम कोई भी प्राणी लक्ष्य तक नहीं पहुंच सकता : ज्ञान भूषण
हस्तिनापुर। पर्यूषण महापर्व के पावन अवसर पर कस्बे के श्री दिगंबर जैन प्राचीन बड़ा मंदिर में चल रहे श्री 1008 इंद्रध्वज महामंडल विधान में यज्ञशाला में जाप्यानुष्ठान पूर्वक मुख्य वेदी में विराजमान श्री शांतिनाथ, श्री कुन्थुनाथ, श्री अरहनाथ त्रय तीर्थंकरों का जलाभिषेक हुआ। सभी पात्र मल्लिनाथ भगवान के समवशरण में पहुंचे। जहां पर सभी ने जिनेंद्र भगवान का अभिषेक किया। शांतिधारा नरेश जैन ने की। तीर्थ क्षेत्र के सदस्य व विधान संयोजक विजय कुमार जैन ने श्रद्धालुओं का स्वागत किया। पर्यूषण पर्व के छठे दिन आचार्य ज्ञान भूषण महाराज रत्नाकर ने संयम धर्म पर प्रवचन देते हुए कहा कि अपनी पंच इंद्री एवं मन को वश में करना अथवा षटकाय के जीवों की रक्षा करना संयम कहलाता है। संयम की जीवन में बड़ी महत्ता है। बिना संयम प्राणी स्वछंद हो जाता है और अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाता है। जैसे हाथी को अंकुश, घोड़े को लगाम, कार को ब्रेक तथा नदी को तटों की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार मनुष्य को भी संयम की आवश्यकता है। संयम के बिना तीर्थंकर भी मोक्ष को प्राप्त नहीं कर सकता।मुनि के प्रवचन के उपरांत समवशरण महामंडल विधान की मांगलिक क्रियाएं पंडित आशीष जैन शास्त्री व आयुष जैन शास्त्री द्वारा कराई गई। विधान संयोजक विजय जैन ने सुगंध दशमी व्रत की कथा के माध्यम से बताया कि आज का दिन हमें पवित्रता की याद दिला रहा है।इस मौके पर क्षेत्र के अध्यक्ष जीवेंद्र कुमार जैन, महामंत्री मुकेश जैन, कोषाध्यक्ष राजेंद्र कुमार जैन, राजीव जैन, प्रवीण जैन, महाप्रबंधक मुकेश जैन, अतुल जैन, उमेश जैन, कमल जैन, ने सहयोग किया।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 02, 2025, 21:41 IST
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