World Health Day: दिल्ली सहित देश भर में घट रही शिशु मृत्यु दर, मां की स्क्रीनिंग से जल्द होने लगी रोग की पकड़
स्क्रीनिंग के साथ समय पर गर्भवती को इलाज की सुविधा देकर आरोग्य मंदिर जच्चा-बच्चा को स्वस्थ बना रहा है। पिछले 10 सालों में इनकी मदद से देशभर में शिशु मृत्यु दर में कमी आई है। साथ ही महिलाओं में होने वाले संचारी व गैर संचारी रोगों की रोकथाम करना भी आसान हो गया है। विशेषज्ञ बताते हैं कि साल 2015 में देश में शिशु मृत्युदर प्रति एक हजार पर 37 थी। जो घटकर 30 के नीचे आ गई है। वहीं, दिल्ली में यह आंकड़ा प्रति एक हजार पर 18 था, जो अब 11 के नीचे आ गया है। आरोग्य मंदिर से शिशु मृत्युदर में कमी आने के अलावा जीवन शैली में आए बदलाव के कारण बढ़ रहे दूसरे रोगों की पहचान भी जल्द हो पा रही है। एम्स के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. पुनीत मिश्रा का कहना है कि जच्चा-बच्चा को स्वस्थ रखने के लिए कई स्तर पर कार्यक्रम चल रहे हैं। कार्यक्रमों के तहत 30 साल से अधिक सभी की जांच की जा रही है। इसमें अधिकतर महिलाएं उच्च रक्तचाप, मधुमेह, दिल का रोग सहित दूसरे रोग से पीड़ित मिल रही है। यह भी पढ़ें :विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025:गुजरात ने बनाया कीर्तिमान, मातृ व बाल स्वास्थ्य का बना राष्ट्रीय अग्रदूत इस बार विश्व स्वास्थ्य दिवस भी इसी पर आधारित है। इसकी थीम स्वस्थ शुरुआत, आशापूर्ण भविष्य रखा गया है। इसके तहत मां के साथ उसके बच्चे को स्वस्थ रखने की प्राथमिकता तय की गई है। इस लक्ष्य को हासिल करने में आरोग्य मंदिर अहम है। इनमें सेवाएं देने वाली आशा वर्कर के साथ स्वास्थ्य कर्मियों को अपग्रेड किया गया है। वह एप की मदद से निगरानी करती है। आने वाले दिनों में एआई आधारित उपकरण से जांच की गति बढ़ेगी। दिल्ली में शुरू होंगे 400 आरोग्य मंदिर दिल्ली में 10 अप्रैल को होने वाले समझौते के बाद 400 आरोग्य मंदिर शुरू होंगे। इनकी मदद से दिल्ली में एकीकृत चिकित्सा उपलब्ध करवाई जा सकेगी। इनमें स्क्रीनिंग के साथ इलाज की सुविधा भी उपलब्ध होगा। मरीज की जरूरत के आधार पर योग, आयुष दवाएं सहित दूसरी सेवाएं भी घर उपलब्ध करवाई जाएगी। मां की मानसिक सेहत जरूरी मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास) के उप चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर डॉ. ओम प्रकाश ने कहा कि बच्चे की पहली मुस्कान मां की खुशी से शुरू होती है। ऐसे में गर्भावस्था और डिलीवरी के बाद तनाव, घबराहट या उदासी आना है आम बात। इसे लेकर तनाव नहीं लेना चाहिए। मां का मन ठीक रहेगा तो परिवार का भविष्य उज्ज्वल होगा। ध्यान दें हर 5 में से 1 मां को बच्चे के बाद होती है चिंता मां का तनाव बच्चे के दिल और दिमाग को पहुंचा सकता है नुकसान केवल 10 फीसदी महिलाएं मांगती है मदद समय पर न मिले मानसिक उपचार तो मां पर हो सकता है सालों तक असर
- Source: www.amarujala.com
- Published: Apr 07, 2025, 02:25 IST
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