World Thalassemia Day : थैलेसीमिया के मरीजों में हो रहा है इजाफा, नहीं मिल पा रहे पर्याप्त स्टेल सेल दाता

देश में हर साल थैलेसीमिया के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन इन्हें पर्याप्त स्टेम सेल दाता नहीं मिल पाते। इसके अभाव में पीड़ित को जिंदगीभर खून चढ़ाने की जरूरत रहती है, जो आगे चलकर मरीज को कई तरह के रोग दे सकता है। इसी समस्या को देखते हुए मंगलवार को विश्व थैलेसीमिया दिवस से पूर्व दिल्ली में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। ऐसे मरीजों के लिए काम करने वाली संस्था ने स्टेम सेल दाता और प्राप्तकर्ता के अनुभव साझा करवाए। दरअसल, बीकानेर निवासी 6 साल का प्रथम थैलेसीमिया से पीड़ित था। उसे हर 7 से 20 दिनों में खून चढ़वाना पड़ता था। वह इस दर्द को सहन नहीं कर पाता था। उसके लिए स्टेम सेल ट्रांसप्लांट ही आखिरी उम्मीद थी। ऐसे में करीब सात साल इंतजार करने के बाद कानपुर के रहने वाले रोहित उसके लिए जीवन की नई उम्मीद बनकर सामने आए। एक फिल्म से प्रभावित होकर उन्होंने स्टेम सेल दान किया, जो बच्चे की जरूरत से मैच कर गया। स्टेम सेल मैच होने के बाद वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर मिथुन अब्राहम ने सफल प्रत्यारोपण किया। इस प्रत्यारोपण के बाद अब प्रथम को खून नहीं चढ़ाना पड़ेगा। वह भी सामान्य लोगों की तरह जिंदगी जी सकता है। 5वीं कक्षा में पढ़ने वाले प्रथम ने कहा कि मेरी जिंदगी ही बदल गई। अब मुझे सुई का दर्द नहीं सहना पड़ेगा। मेरे लिए डोनर सुपर हीरो हैं। वहीं डोनर रोहित ने कहा कि किसी को नई जिंदगी देकर बहुत अच्छा लग रहा है। मेरी नजर में इससे अच्छा काम नहीं हो सकता। संस्था के सहयोग से हुई रोहित और प्रथम की पहली मुलाकात काफी भावुक भरी रही। इस दौरान दोनों परिवारों की आंखें नम थीं। दोनों ही सिंधी मूल के परिवार हैं। इस दौरान संस्था के अध्यक्ष पैट्रिक पॉल ने कहा कि भारत में थैलेसीमिया के काफी मरीज हैं, जबकि स्टेम सेल डोनेट करने के लिए केवल 5 लाख लोगों ने ही पंजीकृत किया है, जो विदेश की तुलना में काफी कम है। यदि भारत में भी स्टेम सेल डोनेट को लेकर जागरूकता बढ़ती है तो ऐसे मरीजों को काफी राहत मिल सकती हैै। इन बच्चों में होता है खतरा डॉक्टर मिथुन अब्राहम का कहना है कि लोगों को शादी से पहले कुंडली मिलाने के साथ थैलेसीमिया की जांच भी करवानी चाहिए। यदि थैलेसीमिया माइनर दो लोगों में शादी होती है तो उनके बच्चे को ये बीमारी हो सकती है। उत्तर भारत में 10 से 15 फीसदी लोग थैलेसीमिया माइनर के जीन के वाहक हैं, लेकिन जागरूकता बहुत कम है। अगर दो माइनर आपस में शादी कर लें, तो बच्चे को थैलेसीमिया होने का खतरा 25 फीसदी तक होता है। थैलेसीमिया दिवस पर लाल रोशनी से जगमगाएगी दिल्ली विधानसभा, जन जागरूकता कार्यक्रम होगा राष्ट्रीय थैलेसीमिया कल्याण समिति और दिल्ली विधानसभा ने मिलकर आठ मई को जागरूकता कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता मुख्य अतिथि रहेंगे। उनके साथ स्वास्थ्य मंत्री डॉ पंकज कुमार सिंह, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष, पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर भी मौजूद रहेंगे। दोपहर में थैलेसीमिया जागरूकता पर एक सम्मेलन होगा। Moradabad News:थैलेसीमिया पीड़ितों को जिला अस्पताल में मिलेगी आयरन चिलेटिंग टैबलेट शाम को थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन की वैश्विक पहल ब्रिंग लाइट टू थाल के तहत दिल्ली विधानसभा भवन को लाल रोशनी से सजाया जाएगा। ताकि दुनियाभर में थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों के प्रति एकजुटता आए। कार्यक्रम में स्कूली बच्चे भी शामिल होंगे। नई पीढ़ी में जनस्वास्थ्य के प्रति जागरूक और सक्रिय भागीदारी बढ़ाने के लिए ये निर्णय लिया गया है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: May 07, 2025, 02:20 IST
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