मामूली अपराध में पहली बार दोषी ठहराए व्यक्ति को किया जा सकता है रिहा : हाईकोर्ट
बडाला के मामले में दंगा करने के दोषी को हाईकोर्ट ने परिवीक्षा पर किया रिहाकहा-ऐसा करना उन्हें कारावास के कलंक और नकारात्मक प्रभाव से बचाता हैचंडीगढ़। पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि अपराधी परिवीक्षा अधिनियम 1958 के तहत मामूली अपराध के लिए पहली बार दोषी ठहराए गए व्यक्ति को रिहा करने का कोर्ट को अधिकार है। ऐसा करना उन्हें कारावास के कलंक और नकारात्मक प्रभाव से बचाता है।कोर्ट बडाला में दर्ज 2016 की एफआईआर में एक दोषी को रिहा करने का निर्देश दिया जिसे 2019 में एक वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी। जस्टिस मनीषा बत्रा ने कहा कि अपराधी परिवीक्षा प्रावधान का उद्देश्य यह है कि प्रथम दृष्टया अपराधियों को कम गंभीर अपराध करने के लिए जेल न भेजा जाए क्योंकि जेल में बंद कठोर और आदतन अपराधी कैदियों के साथ उनके मेलजोल के कारण उनके जीवन को गंभीर खतरा हो सकता है। ऐसी परिस्थितियों में जेल में रहने से उनमें सुधार होने के बजाय वे अपराध की ओर आकर्षित हो सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि कारावास की सजा देने के विरुद्ध अनिवार्य निषेधाज्ञा को परिवीक्षा अधिनियम की धारा 6 में शामिल किया है और यह युवा अपराधियों/प्रथम अपराधियों को दुर्दांत अपराधियों के साथ संगति या निकट संपर्क की संभावना व उनके बुरे प्रभाव से दूर रखने की इच्छा से प्रेरित है। पीठ ने कहा कि अपराधी को परिवीक्षा पर रखकर न्यायालय उसे जेल जीवन के कलंक से बचाता है और साथ ही आदतन अपराधियों के दूषित प्रभाव से भी बचाता है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 01, 2025, 20:08 IST
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