All India Speakers Conference : विपक्ष को सलाह- संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए संसद सत्र बाधित करना ठीक नहीं

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संसद और विधानसभाएं लोकतंत्र के इंजन की तरह हैं। अगर इनके गलियारों में सार्थक वाद-विवाद नहीं होगा तो ये केवल निर्जीव भवन बनकर रह जाएंगे। संसद के हाल में संपन्न मानसून सत्र लगभग पूरी तरह हंगामे की भेंट चढ़ने के बीच शाह ने विपक्ष को संयमित रुख अपनाने की सलाह देते हुए यह भी कहा कि संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए विरोध जताने के नाम पर सदन चलने नहीं देना ठीक नहीं है। केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने रविवार को दिल्ली विधानसभा में दो दिवसीय अखिल भारतीय विधानसभा अध्यक्ष सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि प्रतीकात्मक विरोध का अपना स्थान है। विरोध संयमित होना चाहिए। लेकिन राजनीतिक हितों के लिए संसद और विधानसभाओं को चलने नहीं देना वाद-विवाद नहीं है। पूरे सत्र तक सदन चलने न देने की जो परंपराएं बन रही हैं उन पर देश की जनता और चुने हुए प्रतिनिधियों को विचार करना होगा। जब सदन से चर्चा समाप्त हो जाती है, तो सदन का देश के विकास में योगदान बहुत कम रह जाता है। उन्होंने कहा, हमें जनता के मुद्दों को उठाने को लेकर एक निष्पक्ष मंच प्रदान करने के लिए काम करना चाहिए। द्रौपदी का दिया हवाला गृह मंत्री ने कहा, सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों के तर्क निष्पक्ष होने चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सदन का संचालन संबंधित सदन के नियमों और विनियमों के अनुसार हो। हस्तिनापुर में द्रौपदी के अपमान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि जब भी सदन की गरिमा से समझौता हुआ है, देश को भयंकर परिणाम देखने को मिले हैं। शाह ने कहा कि हमें इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि प्रत्येक विधान यानी कानून जनमानस के विश्वास से ही उत्पन्न हो और उसी दिशा में आगे बढ़े। जब सदनों में स्वस्थ परंपराएं बनती हैं, देश की नीतियां निर्मित होती हैं, और देशहित में कानून गढ़े जाते हैं, तो राष्ट्र की दिशा स्वतः स्पष्ट हो जाती है। भारत एकमात्र देश, जहां खून बहाए बिना होता है सत्ता परिवर्तन शाह ने कहा, हमारा देश आजाद हुआ तो लोग मखौल उड़ाते थे कि देश कैसे चलाएंगे। लेकिन 80 साल में हमने लोकतंत्र की नींव को पाताल से गहरा डालने का काम किया है। हमने सिद्ध किया है कि भारतीय जनता की रग-रग में, भारतीय जनता के स्वभाव में लोकतंत्र है। हमने कई देश देखें हैं, जिनकी शुरुआत लोकतांत्रिक तरीके से हुई। लेकिन एक दशक, दो दशक, तीन दशक होते-होते लोकतंत्र की जगह विभिन्न प्रकार के शासन प्रणालियों ने ले ली। भारत एकमात्र ऐसा देश हैं, जहां आजादी के 80 साल बाद भी सांविधानिक तरीके और बिना खून की एक बूंद बहाए सत्ता परिवर्तन होते रहे हैं। सभापति निष्पक्ष अंपायर, वही निभाते हैं सबसे कठिन भूमिका शाह ने कहा कि भारत में सभापति को एक संस्था का दर्जा दिया गया है। सदन में सबसे कठिन भूमिका यदि किसी की होती है, तो वह सभापति की होती है, क्योंकि वह किसी न किसी दल से चुनकर आते हैं। लेकिन सभापति की शपथ लेते ही एक निष्पक्ष अंपायर की भूमिका में आ जाते हैं। शाह ने कहा, हमारे संविधान के 75 वर्षों में देशभर की विधानसभाओं और लोकसभा में सभापतियों ने हमेशा सदन की गरिमा को बढ़ाने का कार्य किया है। निष्पक्षता और न्याय दो ऐसे स्तंभ हैं जिन पर अध्यक्ष की गरिमा टिकी हुई है। एक प्रकार से अध्यक्ष को सदन का अभिभावक और सेवक दोनों माना जाता है। विधानसभाओं को विवेक, विचार और विधान से चलना चाहिए सम्मेलन में शामिल देशभर की विधानसभाओं के सभापतियों व अन्य अतिथियों को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि विधानसभाओं को विवेक, विचार और विधान के आधार पर चलना चाहिए। सभी विधानसभाओं के सभापतियों से अपील की कि वे लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखें और कानून निर्माण में जनकल्याण को प्राथमिकता दें। उन्होंने ने कहा कि विधानसभा का मुख्य उद्देश्य प्रदेश को चलाना और सर्वसमावेशी विकास मॉडल देना है। इसके लिए आंतरिक और बाहरी सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी है। युवाओं के लिए खोले जाएं विधानसभा पुस्तकालयगृह मंत्री ने विधानसभाओं के पुस्तकालयों को आधुनिक और शोध के लिए खोलने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि युवाओं को वहां शोध की अनुमति मिलनी चाहिए। शाह ने स्वतंत्रता सेनानियों के भाषणों को सभी विधानसभाओं के पुस्तकालयों में उपलब्ध कराने की बात कही। भारतीय लोकतंत्र हमारी परंपराओं की देन : सिंह राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र विदेशी नहीं, बल्कि हमारी परंपराओं, महाकाव्यों से उपजा है। दिल्ली में अखिल भारतीय स्पीकर्स कॉन्फ्रेंस में उन्होंने लोकतंत्र को नैतिकता और जनसेवा का प्रतीक बताया। सम्मेलन के दूसरे सत्र में राज्यसभा उपसभापति ने कहा कि भारत में शासन हमेशा धर्म और नैतिकता से चला, न कि पश्चिमी विचारों की तरह भय से। हरिवंश ने विट्ठल भाई पटेल के केंद्रीय विधानसभा का पहला भारतीय अध्यक्ष बनने को ऐतिहासिक बताया। यहीं से अध्यक्ष पद की गरिमा, स्वतंत्रता की नींव पड़ी। दिल्ली विधानसभा स्वतंत्रता संग्राम की गौरव गाथा की गवाह : गजेन्द्र केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने दिल्ली विधानसभा को स्वतंत्रता संग्राम के नायकों की विरासत का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि ये सदन उन महान आत्माओं के साहस और बलिदान का साक्षी है, जिन्होंने देश को आजादी दिलाई। पटेल और उनके समकालीन नेताओं ने इस सदन को स्वतंत्रता संग्राम का मंच बनाया। दिल्ली विधानसभा में आयोजित अखिल भारतीय स्पीकर कॉन्फ्रेंस के पहले सत्र में केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि ये सदन सैकड़ों साल पुराने मंदिर की तरह है, जहां हर पत्थर स्वतंत्रता सेनानियों की गौरवगाथा समेटे है। उन्होंने 1925 में वीर विट्ठल भाई पटेल के केंद्रीय विधानसभा के पहले भारतीय अध्यक्ष बनने की 100वीं वर्षगांठ पर विशेष सत्र की मांग की। उन्होंने वैदिक काल की सभा-समिति, मौर्य-गुप्त काल के जन-केंद्रित शासन और रामायण-महाभारत की लोकतांत्रिक भावना को याद किया। उन्होंने 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से संयुक्त राष्ट्र में भारत को लोकतंत्र की जननी घोषित करने का जिक्र किया। उन्होंने 1858 की गवर्नर जनरल परिषद से लेकर आज की संसद तक के सफर को रेखांकित करते हुए पूर्वजों के सपनों का भारत बनाने का आह्वान किया। इस सत्र में दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता, उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट, कैबिनेट मंत्री कपिल मिश्रा, तेलंगाना, महाराष्ट्र, बिहार और मेघालय के विधानसभा प्रतिनिधियों ने भी स्वतंत्रता संग्राम में राष्ट्रवादी नेताओं की भूमिका पर विचार साझा किए। विट्ठल भाई ने अंग्रेजों को हराकर भारतीयों का बढ़ाया गौरव मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि 24 अगस्त 1925 को वीर विट्ठल भाई पटेल के केंद्रीय विधानसभा का पहला भारतीय अध्यक्ष बनना ऐतिहासिक था। उन्होंने अंग्रेजों को हराकर भारतीयों का गौरव बढ़ाया और स्वतंत्र भारत का सपना देखा। उनकी निष्पक्षता, कानूनी समझ और विधायी ज्ञान ने संसदीय गरिमा का उच्च मानक स्थापित किया, जिससे भारत लोकतंत्र की जननी बना। रेखा गुप्ता ने कहा कि अखिल भारतीय स्पीकर कॉन्फ्रेंस में गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी ने इस आयोजन को और भव्य बनाया। मुख्यमंत्री ने राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना, विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता, सांसदों, विधायकों और देशभर से आए स्पीकर, डिप्टी स्पीकर व सचिवों का स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने विट्ठल भाई की गौरवगाथा को प्रदर्शनी, डॉक्यूमेंट्री और डाक टिकट के जरिये जनता तक पहुंचाने के प्रयास की सराहना की। उन्होंने अमित शाह के धारा 370 हटाने जैसे संविधान-सम्मत निर्णयों को सभी के लिए प्रेरणा बताया। दिल्ली विधानसभा के सौर ऊर्जा, ई-विधान और ई-फाइलिंग जैसे कदमों को सुशासन की मिसाल बताते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के मार्गदर्शन को उसका श्रेय दिया। कॉन्फ्रेंस में दो दिन तक विभिन्न विषयों पर चर्चा होगी और आए हुए प्रतिनिधि बाबा साहेब अंबेडकर के पंचतीर्थ स्थलों को देखेंगे।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 25, 2025, 06:11 IST
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