Ahmad Faraz Poetry: जब क़त्ल हुआ सुर साज़ों का
तुम अपने अक़ीदों के नेज़े हर दिल में उतारे जाते हो हम लोग मोहब्बत वाले हैं तुम ख़ंजर क्यूँ लहराते हो इस शहर में नग़्मे बहने दो बस्ती में हमें भी रहने दो हम पालनहार हैं फूलों के हम ख़ुश्बू के रखवाले हैं तुम किस का लहू पीने आए हम प्यार सिखाने वाले हैं इस शहर में फिर क्या देखोगे जब हर्फ़ यहाँ मर जाएगा जब तेग़ पे लय कट जाएगी जब शेर सफ़र कर जाएगा जब क़त्ल हुआ सुर साज़ों का जब काल पड़ा आवाज़ों का जब शहर खंडर बन जाएगा फिर किस पर संग उठाओगे अपने चेहरे आईनों में जब देखोगे डर जाओगे हमारे यूट्यूब चैनल कोSubscribeकरें।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 29, 2025, 19:28 IST
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