Rajasthan News: QR स्कैनर से क्रिप्टो तक सइबर ठगी, 6 महीने में बनाए 19 करोड़, पुलिस कांस्टेबल का भाई गिरफ्तार
अलवर में पुलिस ने साइबर फ्रॉड का सबसे बड़ा मामला पकड़ा है। रैणी थाने में कार्यरत कांस्टेबल शौकत के भाई बरकत के 8 से 10 बैंक खातों में (कुछ खाते बरकत के कुछ दूसरे लोगों के) पिछले 6 महीने में 19 करोड़ रुपये आए हैं। ये रकम देश के कई राज्यों के उन लोगों की है, जो अलग-अलग तरीके से साइबर फ्रॉड करने वालों के झांसे में आए। इस फ्रॉड की रकम अलवर के सूर्यनगर में किराए पर रह रहे बरकत के बैंक खातों में आई है। पुलिस को अलग-अलग राज्यों से 32 शिकायतें मिली थीं। उनकी जांच में अलवर के वैशाली नगर के बरकत के बैंक खाते की जानकारी मिली। उसके बाद आरोपी बरकत को तीन सितंबर को अरेस्ट कर लिया। उसके घर पर पड़ताल की तो 17 चेकबुक, पांच पास बुक, 14 एटीएम कार्ड सहित कई लोगों के हस्ताक्षरशुदा चेक, कई आधारकार्ड, पैन कार्ड, दो स्वाइप मशीन और आईसीआईसीआई बैंक, यश बैंक और एयू स्माल फाईनेन्स बैंक का क्यूआर कोड स्कैनर मिले तो पुलिस चौंक गई। जब उनके खातों में आई रकम जोड़ी तो 19 करोड़ 45 लाख रुपये जुड़ी। एक ही व्यक्ति के पास से इतनी बड़ी रकम के बैंक खाते पहली बार मिले हैं। अभी पुलिस गहनता से जांच में लगी है। हालांकि इस मामले में आरोपी के भाई पुलिसकर्मी की कोई संदिग्ध भूमिका सामने नहीं आई है। अलवर के वैशाली नगर थाना पुलिस ने साइबर फ्रॉड करने वाले एक ऐसे आरोपी को पकड़ा है, जिसके ठिकाने से 19 करोड़ 45 लाख रुपये का लेनदेन के कागज हाथ लगे। पुलिस को आरोपी के मकान की तलाशी में 17 चेकबुक, पांच पासबुक, 14 एटीएम कार्ड सहित कई लोगों के हस्ताक्षर शुदा चेक, कई आधारकार्ड, पैन कार्ड, दो स्वाइप मशीन और आईसीआईसीआई बैंक, यश बैंक और एयू स्माल फाईनेन्स बैंक का क्यूआर कोड स्कैनर आदि मिले। जांच में खाता धारक बरकत अली पुत्र मोहम्मद निवासी गोपालगढ़, डीग का अलग-अलग पते के आधार पर कार्ड, पैन कार्ड और पासपोर्ट होने की जानकारी मिली। पुलिस ने लोकेशन के आधार पर वैशाली नगर स्थित पानी की टंकी के पास पहुंची तो आरोपी जाते हुए दिखा। उसे रोककर पूछा गया तो उसने किराए पर रहना बताया। ये भी पढ़ें-सीएम भजनलाल शर्मा का बड़ा फैसला, डीसीपी (पूर्व) अमित जैन तत्काल प्रभाव से हटाए गए, जानें मामला पुलिस ने बताया कि मुख्य आरोपी बरकत अपने सहयोगी हरि सिंह मीना पुत्र हनुमान सहाय मीना निवासी वीरपुर बीगोता अलवर, जाहुल खान निवासी बंजीरका और मुकेश मीना निवासी अलवर के साथ संगठित गिरोह बनाकर कमीशन के आधार पर साइबर ठगों को बैंक खाता उपलब्ध कराते थे। इसके एवज में 15 से 20 प्रतिशत कमीशन लेते हैं। अभी पुलिस अन्य आरोपियों को पकड़ेगी तो कई मामलों का पता चल सकता है। ये भी पढ़ें-स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर विचार कर रही है कांग्रेस, डोटासरा ने दिए संकेत पुलिस जानकारी के अनुसार बरकत की दो पत्नी हैं। एक से बच्चे हैं। दूसरी से नहीं हैं। दोनों अलग-अलग रहती हैं। बरकत अलवर में कई साल से रह रहा है, लेकिन पिछले करीब 6 महीने से फ्रॉड के काम में तेजी से लगा है। इस कारण ज्यादातर पैसा पिछले 6 महीने की ठगी का है। हो सकता है इससे पहले भी यही काम करता हो। अभी उसकी जानकारी पुलिस जुटाने में लगी है। पुलिस ने बताया कि बरकत ने एक फर्म भी बना रखी थी। उसमें मोटी रकम लेते थे। इसके अलावा अन्य खातों में पैसा आता था। यह पैसा क्रिप्टोकरेंसी में भी खपता था। इसके सबूत भी मिले हैं, जिसकी पुलिस जांच कर रही है। आरोपी के भाई पुलिसकर्मी की भूमिका सामने नहीं आई है। पुलिस के अधिकारी मामले की उच्च स्तर पर जांच करने में लगे हैं।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 05, 2025, 16:57 IST
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