बड़ा घल्लूघारा: 35 हजार सिखों की कुर्बानी, नौ फरवरी को अखंड पाठ के भोग, क्यों नेताओं पर ग्रामीणों ने लगाई पाबं

सिख समुदाय का इतिहास शहादत और बलिदान से भरा रहा है। जिसमें बडा घल्लूघारा भी इन महान शहादतों में से एक है, जिसके दौरान सिख समुदाय के आधे से अधिक लोग शहीद हो गए थे। बड़ा घल्लूघारा का इतिहास सिखों और अफगान हमलावर अहमद शाह अब्दाली के बीच युद्ध से जुड़ा है, जिसमें सिखों की जान-माल का नुकसान हुआ। इसी कारण इस घटना को बडा घल्लूघारा नाम दिया गया। यह घटना 5 फरवरी 1762 को घटी थी। यह युद्ध अब्दाली और सिखों के बीच पंजाब के कुप रहीडे से लेकर बरनाला जिले के गहल तक हुआ था। रास्ते में बरनाला जिले के कुतबा बाहमनियां गांव में पहुंचे, जहां एक जलाशय (ढाब) पर दोनों पक्षों के बीच भीषण युद्ध हुआ था और इसी भूमि पर सबसे अधिक संख्या में सिख मारे गए थे। विभिन्न मिसलों में बंटे सिख इस लड़ाई में एकजुट हुए थे। इतिहासकारों के अनुसार इस युद्ध के समय सिखों की संख्या लगभग 70 हजार थी और इस युद्ध में 35 हजार सिख शहीद हुए थे। इन शहीदों की याद में हर साल फरवरी में कुतबा बहमनियां गांव में धार्मिक समारोह आयोजित किए जाते हैं। इस दौरान 7 फरवरी को श्री अखंड पाठ साहब का प्रकाश किया जाएगा और 9 को अखंड पाठ के भोग डाले जाएंगे। हालांकि गांव के लोग इस बात से भी नाराज हैं कि शहीदों की याद में सरकार द्वारा की गई घोषणाएं पूरी नहीं हुई हैं। इसके चलते इस वर्ष के आयोजन के दौरान किसी भी राजनीतिक दल के प्रतिनिधियों के मंच से बोलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मराठों की बेटियों को बचाने के बाद अब्दाली की सिखों से दुश्मनी निशान सिंह ने कहा कि अब्दाली ने चार हमले भारतीयों को लूटने तक ही सीमित रखे थे। अगले हमले में उसने मराठों की बहू बेटियों को बंदी बना लिया और उन्हें बेचने के इरादे से गजनी के बाजारों में ले जा रहा था। जिसकी जानकारी सिखों को हो गई। इसके बाद सिखों ने अब्दाली की सेना पर हमला कर दिया और लूटे गए खजाने और बेटियों-बहनों को छुड़ा लिया। इसके बाद अब्दाली ने सिखों को पूरी तरह से नष्ट करने की सोची और सिखों पर अपना छठा हमला किया। उन्होंने यह लड़ाई कुप रहीडे की धरती से शुरू की, जो बरनाला के गहल गांव तक जारी रही। इसके बाद ही अब्दाली ने अमृतसर जाकर स्वर्ण मंदिर के तालाब को मिट्टी से भर दिया। यहीं पर एक ईंट अब्दाली की नाक पर लगी, जिसके बाद उसे कोई राहत नहीं मिली। इसके बाद अब्दाली की मृत्यु हो गई। उन्होंने कहा कि सिख एक साल बाद ही इस महान नरसंहार का बदला लेने के लिए तैयार थे। इसके बाद सिखों ने सरहिंद के गवर्नर जैन खान को मार डाला और सरहिंद पर विजय प्राप्त कर ली। सरकारी वादों से ग्रामीण निराश गांव कुतबा में बड़े घल्लूघारा के शहीदों की याद में गांव के लोगों द्वारा एक गुरुद्वारा, अति बड़ा घल्लूघारा साहिब का निर्माण किया गया है। हर साल गांव वाले शहीदों की याद में यहां कार्यक्रम आयोजित करते हैं। गांव के लोग सरकारों से नाराज हैं क्योंकि सरकारों ने उनसे किए गए किसी भी वादे को पूरा नहीं किया है। गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष अवतार सिंह ने बताया कि सरकारों ने शहीद स्मारक बनाने का वायदा किया। लेकिन किसी ने वादा पूरा नहीं किया। यहां बनाया जाने वाला स्मारक कुप रहीडा में बनाया गया। उन्होंने कहा कि गांव तक जाने वाली सड़क भी चौड़ी नहीं की गई है। इसी के चलते इस बार ग्रामीणों और प्रबंधकों ने धार्मिक समारोह के दौरान किसी भी राजनीतिक हस्ती को मंच से बोलने की अनुमति नहीं देने का निर्णय लिया है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Feb 06, 2025, 20:01 IST
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