Bihar: तीन करोड़ प्रवासियों की 'सॉफ्ट पॉवर' बनेगी भाजपा की ताकत, छठ पूजा में बिहार गए लोग बदलेंगे चुनावी बयार

एक अनुमान है कि बिहार के दो से तीन करोड़ लोग रोजगार, शिक्षा, बेहतर रहन-सहन की सुविधाओं या अन्य कारणों से राज्य के बाहर रहते हैं। इनमें से ज्यादातर लोग ऐसे हैं जो रोजगार के साधनों के अभाव में अपनी जमीन छोड़ने को मजबूर हुए थे।लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव और छठ महापर्व के कारण इनमें से एक बड़ा हिस्सा इस समय वापस बिहार पहुंचा है। दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र में रहने वाला यह प्रवासी वर्ग भाजपा शासित राज्यों के विकास को देख रहा है और किसी न किसी रूप में उसका लाभ भी ले रहा है। यदि ये प्रवासी अपने घरों को पहुंचकर भाजपा शासित राज्यों के बेहतर विकास की बात करते हैं तो ये भाजपा और एनडीए के लिए 'साइलेंट प्रवक्ता' की तरह काम कर सकते हैं।एनडीए खेमे को इसका लाभ मिल सकता है। कितने प्रवासी बाहर केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय के एक आंकड़े के अनुसार बिहार राज्य के लगभग 2.90 करोड़ लोग रोजगार के कारण देश के दूसरे राज्यों में रह रहे हैं। बिहार देश के उन राज्यों में शामिल है जहां से सबसे अधिक पलायन होता है।अंतर्देशीयपलायनकाराष्ट्रीय औसत 6.1 प्रतिशतहै, जबकि इसकी तुलना में बिहार मेंपलायन कीदर 15.8 के करीब है।आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बहुत अधिक है। कौन करता है सबसे ज्यादा पलायन सामान्य अवधारणा है कि गरीबी के कारण लोग पलायन करने को मजबूर होते हैं। लेकिन बिहार में इसकी एक अलग ही कहानी दिखती है। यहां सबसे ज्याद पलायन समाज के तथाकथित उच्च जातियों यानी ब्राह्मण, ठाकर और भूमिहारों के बीच देखा जाता है। उच्च जातियों मेंपलायन की दर सबसे अधिक 10 प्रतिशत के करीब है। जबकि इनकी तुलना में ओबीसी जातियों के बीच पलायन 5.39 प्रतिशत और ईबीसी जातियों में केवल 3.9 प्रतिशत है।माना जाता है कि तथाकथित जंगलराज के दौरान हुई जातीय हिंसा के कारण उच्च जाति के लोगों ने अपनी जान-माल की रक्षा के लिए सबसे ज्यादा पलायन किया। बेहतर शिक्षा और दूसरे शहरों में अच्छे रहन-सहन की संभावनाओं को देखते हुए आज भी यही वर्ग सबसे ज्यादा पलायन कर रहा है। किसका मतदाता है यह वर्ग आम तौर पर यह माना जाता है कि सामान्य वर्ग का मतदाता प्रमुख तौर पर भाजपा और पीएन नरेंद्र मोदी का समर्थक है।आंकड़े बता रहे हैं कि प्रवासियों में सबसे अधिक संख्या सामान्य वर्ग के लोगों की है। ऐसे में प्रवासी मतदाता बिहार चुनाव में एक बड़ा फैक्टर बन सकते हैं और घर वापस जाने के बाद ये एनडीए गठबंधन यानी नीतीश कुमार सरकार को लाभ पहुंचा सकते हैं। किसने कितने टिकट दिए बिहार के बारे में माना जाता है कि यहां मतदान पर जातिगत समीकरणों का अच्छा खासा असर रहता है। इस कारण भी माना जा सकता है कि प्रवासी वर्ग एडीए को लाभ पहुंचा सकते हैं। एक तथ्य यह भी है कि इस बार एनडीए यानी भाजपा-जदयू ने सबसे ज्यादा सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को टिकट थमाया है। एनडीए ने 2025 के बिहार चुनाव में 35 प्रतिशत सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों को टिकट दिया है, जबकि महागठबंधन ने 30.5 प्रतिशत सामान्य उम्मीदवारों को ही टिकट दिया है। यदि टिकट वितरण को आधार मानें तो भी प्रवासी बिहारियों का समीकरण भाजपा को लाभ पहुंचा सकता है। बदल रही स्थिति केंद्र में मोदी और बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने राज्य का तेजी से आर्थिक विकास किया है। लगभग पूरे राज्य में अच्छी सड़कें बन रही हैं, अस्पतालों की उपलब्धता बेहतर हुई है और बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूलों की उपलब्धता बढ़ी है। इससे अब लोगों को पलायन धीरे-धीरे कम हो रहा है। बेहतर जीवन की आशा में बाहर गए प्रवासी अपने घरों की ओर वापस लौटना चाहते हैं। यदि वर्तमान सरकार उनके पक्ष में बेहतर माहौल देने का आश्वासन दे पाती है तो भी इस वर्ग का समर्थन सरकार को मिल सकता है। विपक्ष पर लगे जंगलराज के आरोपों के कारण वह इस तरह का भरोसा प्रवासियों को दिला पाएगा, यह कहना कठिन है। छठ पर शानदार सुविधाओं ने बनाया माहौल छठ महापर्व पर दिल्ली की भाजपा सरकार ने यमुना के किनारे अच्छी साफ-सफाई और बेहतरीन सुविधा देकर पूर्वांचली लोगों का दिल जीत लिया है। बिहार के प्रवासी लोग यह स्वीकार कर रहे हैं कि छठ पर इतनी साफ-सफाई और सुरक्षा उन्हें पटना, बक्सर और बेगूसराय तक में भी कभी नहीं मिली। अब ये प्रवासी फोन कॉल पर अपने नाते-रिश्तेदारों से इसकी चर्चा करेंगे। इससे बिहार का आम मतदाता भाजपा शासित राज्यों के विकास कार्यों से प्रभावित होगा। विपक्ष पहले ही यह आरोप लगा रहा है कि दिल्ली में छठ पर इतनी सुविधाएं केवल इसलिए दी जा रही है क्योंकि दिल्ली से बिहार चुनाव को साधने की कोशिश की जा रही है। विपक्ष का आरोप है कि भाजपा दिल्ली में सफलतापूर्वक छठ मनाकर प्रवासियों के माध्यम से पूरे बिहार तक यह संदेश पहुंचाने की कोशिश कर रही है। यदि यह रणनीति है तो भी भाजपा को इससे लाभ मिलना तय है। सनातन की सेवा और विकास हमारे लिए राजनीति का मुद्दा नहीं- भाजपा विधायक हालांकि, भाजपा नेता इसे स्वीकार नहीं करते। भाजपा के विधायक रविंद्र सिंह नेगी ने अमर उजाला से कहा कि वे हर समय विकास कार्यों को प्रमुखता देते हैं। जब से सरकार सत्ता में आई है, तभी से होली, कांवड़, नवरात्रों और दिवाली में लोगों को सुविधाएं दी जा रही हैं। उनका कहना है कि विपक्ष इसे चुनाव की दृष्टि से देख रहा है, लेकिन वे इसे केवल विकास से जोड़कर देख रहे हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 28, 2025, 19:12 IST
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