Budget 2026: 'समय पर हो कर विवादों का समाधान, टीडीएस युक्तिसंगत बने', बजट से पहले सीआईआई का सरकार को सुझाव

उद्योग मंडल सीआईआई ने बजट से पहले हुई बैठक में सरकार को कर कानूनों में सुधारों की अपनी सिफारिशों में कई सुझाव दिए है। सीआईआई की सिफारिशों में 100 करोड़ रुपये से अधिक के डिमांड वाले मामलों का एक साल के भीतर समाधान करने और टीडीएस व्यवस्था को युक्तिसंगत बनाने जैसे सुझाव शामिल हैं। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के प्रतिनिधियों ने राजस्व सचिव अरविंद श्रीवास्तव से मुलाकात की और प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष करों के लिए सुझावों सहित एक बजट-पूर्व ज्ञापन दिया। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों करों को कवर करने वाले इन प्रस्तावों का मकसद भारत के राजकोषीय लाभ को मजबूत करना, मुकदमेबाजी घटना और देश की कर संरचना को विकसित भारत 2047 की विजन के तहत विकसित अर्थव्यवस्था बनने की महत्वाकांक्षा के साथ जोड़ा है। उद्योग निकाय ने कहा कि जीएसटी 2.0 की सफलता, राजस्व में वृद्धि और राजकोषीय समेकन पर बढ़ने के विश्वास ने यह दिखाया है कि करों की व्यवस्था और प्रगति एक साथ आगे बढ़ सकते हैं। सीआईआई ने 2028 तक कागज मुक्त सीमा शुल्क की दिशा में एक चरणबद्ध रोडमैप का भी प्रस्ताव दिया है। इसमें ई-रिफंड, ई-न्यायिक निर्णय और ई-अपील शामिल होंगे। उद्योग निकाय ने भारत के टैरिफ ढांचे को लगातार तर्कसंगत बनाने पर जोर दिया। उसने कहा कि कई छूट अधिसूचनाओं और जटिल अनुसूचियों का एक साथ होना अनिश्चितता और विवाद पैदा करता है। सीमित मेगा-अधिसूचनाओं के समूह में एकीकरण से स्पष्टता बढ़ेगी और वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में सुधार होगा। सीआईआई ने अपने सुझाव में कहा है कि अपील से जुड़ी प्रक्रियाओं को असाना बनाना जरूरी है। सीआईआई ने कहा है कि एक ही जैसे मामलों में अपील की एक ही जैसी प्रक्रिया होनी चाहिए और निर्यात दायित्वों के पूरा हो जाने पर बांड और गारंटी के अपने आप जारी हो जाने से व्यापार करने से जुड़ी ईज ऑफ डूइंग में सुधार होगा। सीआईआई ने एक स्पष्ट बहु-वर्षीय कॉरपोरेट-कर रोडमैप और प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष, दोनों कर कानूनों में अभियोजन प्रावधानों से छोटे गैर-इरादतन अपराधों को हटाने का प्रस्ताव भी रखा है। सीआईआई ने कहा है कि कंपाउंडिंग सीमाओं को युक्तिसंगत बनाया जाना चाहिए, और छोटी प्रक्रियागत चूकों को आपराधिक नहीं, बल्कि दीवानी मामला माना जाना चाहिए। सीआईआई ने जोर देकर कहा कि ये बदलाव बिना किसी राजस्व हानि के स्वैच्छिक अनुपालन को मजबूत कर सकते हैं। सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, "सुधार के अगले चरण में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कराधान न केवल प्रभावी ढंग से राजस्व बढ़ाएं, बल्कि निवेश, नवाचार और प्रतिस्पर्धात्मकता को भी बढ़ावा दें। सीआईआई के अनुसार आने वाला बजट वास्तव में आधुनिक, पारदर्शी और वैश्विक स्तर पर मानकीकृत कर व्यवस्था के लिए एक धुरी बन सकता है।" सीआईआई ने अपनी सिफारिशों में कहा कि आयुक्त (अपील) के समक्ष पांच लाख से अधिक अपीलें लंबित हैं, जिनमें लगभग अठारह लाख करोड़ रुपये की विवादित मांग (डिमांड) शामिल है। उद्योग निकाय ने सिफारिश की है कि सौ करोड़ रुपये से अधिक के सभी उच्च-मांग वाले मामलों को कई वर्चुअल सुनवाई और सीबीडीटी की कड़ी निगरानी के माध्यम से एक वर्ष के भीतर समाधान के लिए त्वरित गति से आगे बढ़ाया जाए। मुख्य अपील के निपटारे तक समानांतर दंड कार्यवाही स्थगित रखी जानी चाहिए, और अंतिम फैसले से पहले तथ्यात्मक सत्यापन के लिए मसौदा आदेशों को साझा किया जाना चाहिए। सीआईआई ने हाईकोर्ट के रिटायर जजों की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र, अर्ध-न्यायिक निकाय के रूप में एक निर्णय प्राधिकरण को भी फिर से पुनर्जीवित करने का भी आग्रह किया है, जिसे छह महीने के भीतर बाध्यकारी निर्णय देने का अधिकार होगा। करदाताओं के विश्वास को संस्थागत बनाने की दिशा में एक कदम उठाते हुए सीआईआई ने सुझाव दिया कि मौजूदा करदाता चार्टर को एक वैधानिक करदाता अधिकार चार्टर में बदल दिया जाना चाहिए, जो समयबद्ध रिफंड, फेसलेस आकलन और अपील, और प्रशासनिक देरी के लिए जवाबदेही की कानूनी गारंटी देता हो। इसने तर्क दिया कि ऐसा अधिनियम एक सशक्त संकेत देगा कि अनुपालन करने वाले करदाताओं के साथ निष्पक्षता और सम्मान का व्यवहार किया जाता है। प्रत्यक्ष कर व्यवस्था को और सरल बनाने की वकालत करते हुए, सीआईआई ने कहा कि भारत के टीडीएस/टीसीएस ढांचे में पैंतीस से अधिक श्रेणियां हैं और इनकी दरें 0.1 प्रतिशत से लेकर 30 प्रतिशत तक हैं। यह अत्यधिक जटिल हो गया है, इससे समाधान से जुड़ी चुनौतियां और नकदी की तंगी पैदा हो रही है। इसलिए, इसने इसे घटाकर दो या तीन व्यापक श्रेणियों तक सीमित किया जाना चाहिए। सीआईआई ने स्पष्टीकरण परिपत्र जारी करने का भी सुझाव दिया है। इसमें पुष्टि की गई है कि समग्र भुगतान के जीएसटी घटक पर कोई टीडीएस जरूरी नहीं है। सीआईआई सीमा शुल्क प्रणालियों और अप्रत्यक्ष करों के आधुनिकीकरण का आह्वान किया, आयात पर हाल ही में जारी मास्टर छूट अधिसूचना का स्वागत किया और एकमुश्त विवाद समाधान योजना, अग्रिम निर्णयों के लिए लंबी वैधता और निकासी प्रणालियों के पूर्ण डिजिटलीकरण के माध्यम से इसे आगे बढ़ाने का सुझाव दिया। सीआईआई ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि भारत के कर सुधारों को राह दिखाने वाला सबसे बड़ा सिद्धांत सरलीकरण, स्थिरीकरण और डिजिटलीकरण होना चाहिए। सीआईआई ने कहा कि यह एक आधुनिक प्रणाली होनी चाहिए जो प्रौद्योगिकी और विश्वास पर आधारित हो। यह व्यवसथा कर आधार का विस्तार करेगी, अनुपालन में सुधार करेगी और उत्पादक पूंजी निवेश के लिए राजकोषीय गुंजाइश पैदा करेगी। बनर्जी ने कहा, "कर सरलीकरण कोई रियायत नहीं है; यह शासन की दक्षता में किया गया निवेश है।" उन्होंने आगे कहा, "सीआईआई के प्रस्ताव करों में कटौती के बारे में नहीं हैं, बल्कि वे टकरावों को कम करने के बारे में हैं। करदाता के लिए पूर्वानुमान, गति और सम्मान सुनिश्चित करके, सरकार अच्छी वृद्धि दर और नियमों से चलने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की स्थिति मजबूत कर सकती है और कर नीति को विकसित भारत 2047 के लिए सच्चा चालक बना सकती है।" सीआईआई ने अपने सुझावों में कहा है कि इन सुधारों से विश्वास, अनुपालन और निवेश की भावना में तत्काल लाभ होगा। सीआईआई ने कहा कि समय से विवादों के समाधान, सरलीकृत टीडीएस व्यवस्था, डिजिटल सीमा शुल्क प्रणाली और एक वैधानिक करदाता चार्टर मिलकर भारत के राजकोषीय परिदृश्य को पारदर्शी, विकास-अनुकूल और वैश्विक रूप से मानकीकृत बना सकते हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 31, 2025, 19:35 IST
पूरी ख़बर पढ़ें »




Budget 2026: 'समय पर हो कर विवादों का समाधान, टीडीएस युक्तिसंगत बने', बजट से पहले सीआईआई का सरकार को सुझाव #BusinessDiary #National #SubahSamachar