UP: शिक्षिका की मौत, पूर्व अधिकारी और चिकित्सक भी हुए भयानक स्कैम के शिकार; ऐसे मामलों सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त
सुप्रीम कोर्ट ने लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर ठगे जाने पर कड़ा रुख अपनाया है। सोमवार को एक मामले की सुनवाई के दाैरान ऐसे मामलों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) साैंपने के संकते दिए हैं। अगर आगरा की बात करें तो 2 साल में 50 से अधिक केस डिजिटल अरेस्ट के मामलों में दर्ज हो चुके हैं। कई बार पीड़ित बदनामी की वजह से शिकायत करने नहीं आते हैं। कई बार रकम नहीं जाने की वजह से भी शिकायत नहीं करते हैं। 1 साल पहले डिजिटल अरेस्ट करने की वजह से दहशत में आई शिक्षिका की जान भी चली गई थी। उसके आरोपी आज तक पुलिस नहीं पकड़ सकी है। 30 सितंबर 2024 को सुभाष नगर, अलबतिया रोड की रहने वाली मालती वर्मा साइबर अपराधियों का शिकार बनी थीं। वह अछनेरा स्थित राजकीय कन्या जूनियर हाईस्कूल में सहायक शिक्षिका थीं। उनके पास दोपहर में 12 बजे काॅल आया था। काॅलर की डीपी में वर्दी पहने पुलिस अधिकारी था। इस पर नाम कैप्टन विजय कुमार लिखा था। बेटे दीपांशु ने बताया कि मां को 10 बार काॅल किया गया था। कहा था कि आपकी बेटी स्कैंडल में फंस गई है। काॅल करने वाले ने अपना परिचय पुलिस अधिकारी के रूप में दिया था। कहा था कि आपको बेटी को छुड़ाना है तो तुरंत एक लाख रुपये ट्रांसफर कर दो। इस पर मां दहशत में आ गईं। उन्हें बार-बार काॅल करके धमकाया गया। काॅल करने के लिए इंटरनेट काॅलिंग का इस्तेमाल किया। इसके लिए कोड पाकिस्तान का दर्शाया था। न्याय मिलना चाहिए बेटे ने बताया कि मां दहशत में आ गईं। घर आने पर उनकी हालत बिगड़ गई। उन्हें अस्पताल ले गए, जहां उनकी मृत्यु हो गई। घटना से परिवार गम में डूब गया। बाद में उन्होंने थाना जगदीशपुरा में केस दर्ज कराया। 2 से 3 बार थाने बुलाया गया। कागजों पर हस्ताक्षर करा लिए गए। बताया गया कि इस तरह के मामलों में खातों और सिम की जानकारी ली जाती है। अगर जानकारी मिलती है तो कार्रवाई की जाती है। 1 साल बाद भी कोई आरोपी नहीं पकड़ा गया। इसके बाद पुलिस ने भी बुलाना छोड़ दिया। तब तक वह इसी आस में हैं कि किसी तरह से आरोपी पकड़े जाएं। उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। मगर पुलिस अब कुछ बता भी नहीं रही है। दीपांशु का कहना है कि उन्हें न्याय मिलना चाहिए। अपर पुलिस उपायुक्त आदित्य सिंह ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट के मामले में पुलिस काॅल करने के तरीके और रुपयों के लेन-देन के बारे में जानकारी जुटाती है। आरोपी फर्जी आईडी के सिम, खातों का प्रयोग करते हैं। ऐसे में पहचान आसान नहीं होती है। पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। इस मामले में भी टीम लगी है। , यह भी हैं मामले - ट्रांस यमुना के रहने वाले कृषि वैज्ञानिक को साइबर ठगों ने शिकार बनाया था। उनके संबंध तस्करी करने वाले गिरोह से होने का आरोप लगाकर डराया था। इसके बाद खातों में 23 लाख रुपये जमा करा लिए गए थे। - आवास विकास काॅलोनी के रहने वाले विद्युत विभाग से सेवानिवृत्त अधिकारी से 15.80 लाख रुपये की ठगी हुई थी। बताया था कि मुंबई क्राइम ब्रांच से बोल रहे हैं। इसमें अवैध धनराशि के लेन-देन का आरोप लगाया था। - साइबर ठगों ने सिंगापुर में फर्जी कूरियर भेजने के नाम पर शाहगंज की युवती को धमकाकर डिजिटल अरेस्ट किया गया। मुंबई पुलिस, सीबीआई, ईडी और नारकोटिक्स डिपार्टमेंट के अधिकारी बनकर 31 दिन तक स्काइप एप से जोड़कर रखा। 16.20 लाख जमा करा लिए थे। नहीं आएं झांसे में, काट दें काॅल एडीसीपी ने बताया कि अगर आपके पास कोई व्यक्ति वीडियो काॅल करके यह कहता है कि वह पुलिस, सीबीआई, नारकोटिक्स विभाग आदि का अधिकारी है। बोलता है कि आपने या आपने परिजन ने कोई अपराध किया है। इसके लिए रुपये देने होंगे। कोई दस्तावेज आदि भी दिखाता है तो लोगों को झांसे में आने की जरूरत नहीं है। ऐसे व्यक्ति का काॅल काट देना चाहिए। बात नहीं करनी चाहिए। अगर वो खाता नंबर दे रहा है तो समझ जाएं कि साइबर ठग काॅल कर रहा है। इसकी शिकायत पुलिस से करें। साइबर ठगी होने पर नजदीक के थाने में जाएं। साइबर सेल और साइबर क्राइम थाना में शिकायत कर सकते हैं। तुरंत शिकायत के लिए साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 को मिलाएं।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 29, 2025, 09:14 IST
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