Mandi News: सांस्कृतिक, धार्मिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है डमेहल गांव
नाग धमूनी मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र, कुल्लू जिले से आए थे देवतासंवाद न्यूज एजेंसीकरसोग (मंडी)। ग्राम पंचायत खादरा का डमेहल गांव प्राचीन सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। लगभग 250 की आबादी वाला यह गांव प्राकृतिक सौंदर्य और पुरातात्विक धरोहरों के लिए विशेष पहचान रखता है। गांव के मध्य में स्थित नाग धमूनी का भव्य कोठीनुमा मंदिर जिसे कुटाकोठी के नाम से भी जाना जाता है, आस्था का प्रमुख केंद्र है।मान्यताओं के अनुसार नाग धमूनी मूल रूप से कुल्लू जिले के धामण क्षेत्र के कोटला गांव से यहां आए थे। डमेहल महावन मार्ग पर एक खेत में देवदार की लकड़ी से निर्मित लगभग 40 फीट ऊंचा पूज्य काष्ठ स्तंभ (मुंढली) स्थापित है, जो हिमाचल प्रदेश का सबसे ऊंचा लकड़ी का पूज्य स्तंभ माना जाता है। यह स्तंभ देवगण सरपेश की मुंढली कहलाता है।इंजीनियर एवं संस्कृति मर्मज्ञ सुरेंद्र शर्मा के अनुसार यह स्तंभ न केवल धार्मिक दृष्टि से पूजनीय है, बल्कि अपने निर्माण कौशल और ऐतिहासिक महत्व के कारण पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। उधर, नाग धमूनी के इतिहास से परिचित सीताराम शर्मा बताते हैं कि बेडा फेरना प्रदर्शन का गहरा सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है।सुकेत संस्कृति, साहित्य एवं जनकल्याण मंच पांगणा-सुकेत के अध्यक्ष डॉ. हिमेंद्र बाली ने बताया कि धमून क्षेत्र शिव और शक्ति पूजा को समर्पित रहा है। डॉ. जगदीश शर्मा का कहना है कि आज का पहाड़ी समाज धीरे-धीरे अपनी प्राचीन देव संस्कृति और परंपराओं से दूर होता जा रहा है। कहा कि देव संस्कृति, देव गाथाओं और लोक परंपराओं के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए ठोस प्रयास करना आज समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।000
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 09, 2025, 17:45 IST
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