Delhi: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- सहमति से संबंध टूटने पर आपराधिक रंग न दें, दुष्कर्म का लाइसेंस नहीं है दोस्ती
दिल्ली हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि सहमति से संबंध टूटने पर इसे अपराध का रंग नहीं दिया जा सकता। न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने यह टिप्पणी कुंदन सिंह नेगी की अपील को स्वीकार करते हुए उसकी दोषसिद्धि और सजा को रद्द करते हुए दी। अदालत ने कहा कि पीड़िता और आरोपी के बीच संबंध सहमति से थे। घटना के बाद भी पीड़िता आरोपी से मिलती रही, उसके साथ रही और यहां तक कि जेल में भी मिलने गई। पीड़िता ने 14 नवंबर 2016 को शिकायत दर्ज कराई थी कि आरोपी से उसकी दो महीने से जान-पहचान थी। आरोपी ने उसका न्यूड वीडियो बनाया और उसे वायरल करने की धमकी देकर 10 नवंबर 2016 को जबरन दुष्कर्म किया। 12 नवंबर को धमकी देकर बुलाया और 13 नवंबर को उसके दो दोस्तों के सामने कपड़े फाड़ दिए। उसे कैद कर लिया। पीड़िता के परिवार ने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद आरोपी ने उसे जाने दिया। निचली अदालत ने 23 सितंबर 2017 को आरोपी को दोषी ठहराते हुए धारा 376 के तहत 7 साल का सश्रम कारावास, धारा 323 के तहत 3 महीने, धारा 342 के तहत 3 महीने और धारा 506 के तहत 6 महीने की सजा सुनाई। जुर्माना भी लगाया। अपील में आरोपी की सजा 29 जुलाई 2022 को निलंबित कर दी गई थी। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील मणिका त्रिपाठी ने तर्क दिया कि संबंध सहमति से थे। अदालत ने नोट किया कि पीड़िता ने स्वीकारा कि वह आरोपी के घर जाती थी, संबंध सहमति से थे और वीडियो भी सहमति से बना। घटना के बाद भी वह आरोपी से मिली, होटल में रही, शादी की योजना बनाई और जेल में पैसे जमा किए। अभियोजन पक्ष ने महत्वपूर्ण गवाहों को नहीं पेश किया और एमएलसी में भी दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई है। दोस्ती दुष्कर्म का लाइसेंस नहीं है : हाईकोर्ट दिल्ली हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इन्कार कर दिया। अदालत ने कहा कि दोस्ती किसी आरोपी को पीड़िता के साथ बार-बार दुष्कर्म करने, उसे पीटने का लाइसेंस नहीं देती। न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने पॉक्सो मामले में आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए उसके इस दावे को अस्वीकार कर दिया कि वह और शिकायतकर्ता दोस्त थे, इसलिए यह सहमति से संबंधित मामला हो सकता है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से यह दावा कि याचिकाकर्ता और शिकायतकर्ता दोस्त थे और इसलिए यह सहमति से संबंधित मामला हो सकता है, इस अदालत द्वारा स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि भले ही संबंधित पक्ष दोस्त थे, लेकिन दोस्ती याचिकाकर्ता को पीड़िता के साथ बार-बार बलात्कार करने, उसे अपने दोस्त के घर में कैद करने और बेरहमी से पीटने का कोई लाइसेंस नहीं देती। संगम विहार थाने में पॉक्सो की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। नाबालिग लड़की ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि वह आरोपी को कई वर्षों से पड़ोसी के रूप में जानती थी। आरोपी ने इंस्टाग्राम के माध्यम से दोस्ती की, 26 जून 2025 को मिलने बुलाया और गोविंदपुरी में अपने दोस्त के घर ले जाकर पीटा तथा बार-बार यौन उत्पीड़न किया।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 24, 2025, 06:54 IST
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