ED: बैंक के एमडी ने 1.10 करोड़ रुपये लिया कमीशन, अयोग्य ऋण को मंजूरी देने के बदले में किया था ये काम

प्रवर्तन निदेशालय के हैदराबाद जोनल कार्यालय ने एपी महेश कोऑपरेटिव अर्बन बैंक के पदाधिकारियों द्वारा अनियमितताओं को लेकर चल रही जांच के संबंध में बड़ी कार्रवाई की है। निदेशालय नेधन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत 1.1 करोड़ रुपये की दो अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है। कुर्क की गई संपत्तियां आदिबटला गांव, इब्राहिमपटनम मंडल, रंगा रेड्डी जिले में स्थित हैं। ये प्रॉपर्टी एपी महेश कोऑपरेटिव अर्बन बैंक के तत्कालीन एमडी और सीईओ रोहित असावा पुत्र उमेश चंद असावा के नाम पर हैं। बैंक के एमडी ने अयोग्य ऋण को मंजूरी देने के बदले में 1.10 करोड़ रुपये कमीशन लिया था। उन्हें मालूम था कि ऋण लेने वाले ने मुकदमे वाली प्रॉपर्टी को गिरवी रखा है। ईडी ने एपी महेश को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारियों रमेश कुमार बंग, तत्कालीन अध्यक्ष के खिलाफ पीएस बंजारा हिल्स में दर्ज दो एफआईआर के आधार पर उक्त मामले की जांच शुरू की थी। बैंक के तत्कालीन एमडी एवं सीईओ उमेश चंद असावा और तत्कालीन वरिष्ठ उपाध्यक्ष पुरुषोत्तमदास मंधाना तथा अन्य अज्ञात लोगों पर अपने पद का दुरुपयोग करके विभिन्न अयोग्य उधारकर्ताओं को उनकी अवैध संपार्श्विक और गैर-मौजूद संपत्तियों पर ऋण वितरित करने और बदले में ऋण प्राप्तकर्ताओं से ऐसे अवैध ऋणों के वितरण के लिए कमीशन लेने का आरोप लगाया गया है। इसके अलावा, उक्त कमीशन से, आरोपियों ने खुदऔर अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर कई अचल संपत्तियां अर्जित करने का भी संदेह है। ईडी की जांच से पता चला है कि एपी महेश बैंक के प्रबंध निदेशक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उमेश चंद असावा ने मेसर्स बायोमैक्स फ्यूल्स लिमिटेड और उसके समूह की कंपनियों को ऋण स्वीकृत करने के लिए अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया। उन्होंने स्वीकृत ऋणों के बदले में तीसरे पक्ष की संपत्ति को संपार्श्विक के रूप में स्वीकार किया, जो पहले से ही मुकदमे में थी। बता दें कि संपार्श्विक (कोलेट्रल) प्रॉपर्टी एक ऐसी मूल्यवान संपत्ति है, जिसे उधारकर्ता ऋण सुरक्षित करने के लिए ऋणदाता के पास गिरवी रखता है। यह ऋणदाता के लिए गारंटी के रूप में कार्य करती है। यदि उधारकर्ता, बैंक का ऋण चुकाने में विफल रहता है, तो ऋणदाता अपनी रकम वापस पाने के लिए इस संपार्श्विक को जब्त करके बेच सकता है। यह प्रॉपर्टी संपत्ति के रूप में घर, वाहन, या शेयरों जैसी कोई भी मूर्त या अमूर्त चीज हो सकती है। ईडी के मुताबिक, आरोपी उमेश चंद असावा ने वितरित कुल ऋण राशि का 2%-4% कमीशन लिया। मेसर्स बायोमैक्स फ्यूल्स लिमिटेड के एमडी से अयोग्य ऋण को मंजूरी देने के बदले में 1.10 करोड़ रुपये नकद कमीशन लिया गया था। इस तरह उन्होंने यह 'अपराध की आय' (पीओसी) अर्जित की। ईडी की जांच में आगे पता चला कि एकत्र की गई नकदी को बिक्री विलेखों में वास्तविक खरीद मूल्य को छिपाकर अपने बेटे के नाम पर दो अचल संपत्तियों की खरीद में लगाया गया था। उमेश चंद असावा द्वारा उत्पन्न पीओसी को गुप्त नकद भुगतान के माध्यम से उक्त संपत्तियों में निवेश किया गया था, ताकि अवैध धन/पीओसी को नियमित बैंकिंग चैनलों के माध्यम से प्रेषित वैध धन के साथ मिलाया जा सके और धन के लेन-देन को छिपाया जा सके। मामले में आगे की जांच जारी है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 02, 2025, 21:36 IST
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