Noida News: ओल्ड गढ़ी मांडू और ओल्ड उस्मानपुर गांव में बिजली संकट का मामला गूंजा
अमर उजाला ने ग्रामीण संवाद में इन गांवों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया थाअमर उजाला ब्यूरोनई दिल्ली। पूर्वी दिल्ली की घोंडा विधानसभा के तहत आने वाले ओल्ड गढ़ी मांडू और ओल्ड उस्मानपुर की बिजली संकट से जुड़ी समस्याएं एक बार फिर दिल्ली विधानसभा में गूंज उठीं। भाजपा विधायक अजय महावर ने नियम 280 के तहत ऊर्जा मंत्री का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि इन दोनों गांवों में वर्षों से बसे नागरिक आज भी बिजली, पानी और सीवर जैसी सुविधाओं से वंचित हैं।ओजोन के उल्लंघन का हवाला देते हुए वर्ष 2018 के बाद इन गांवों में बिजली कनेक्शन देना बंद कर दिया गया जबकि इससे पहले तक कनेक्शन दिए जा रहे थे। यह न सिर्फ असंवेदनशीलता है बल्कि एक ही राज्य में दो कानूनों की तरह व्यवहार करना समानता के सिद्धांत के भी विरुद्ध है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि दक्षिणी दिल्ली के बदरपुर क्षेत्र के मीठापुर, जैतपुर जैसे इलाकों में भी ओजोन का हवाला मौजूद है। फिर भी वहां बिजली कनेक्शन जारी है। वहीं, यमुना पार के इन गांवों में कंपनी बिजली देने से इनकार कर रही है। महावर ने सवाल उठाया कि अगर ओजोन के कारण बिजली नहीं दी जा सकती तो फिर इन गांवों में खंभे, ट्रांसफार्मर और स्ट्रीट लाइटें क्यों लगाई गई हैं। विधायक ने ऊर्जा मंत्री से अपील की कि ओजोन का हवाला देकर जारी भेदभाव को समाप्त किया जाए और दोनों गांवों को शीघ्र बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराए जाएं। अमर उजाला ने गत वर्ष ग्रामीण संवाद में इस संकट को उजागर किया था। इसके बाद यह मुद्दा दो बार विधानसभा में उठ चुका है।किसानों को अल्टरनेटिव प्लॉट नहीं दिए जा रहे : गजेंद्र दरालनई दिल्ली। विधानसभा में मुंडका से विधायक गजेंद्र दराल ने किसानों की जमीन अधिग्रहण से जुड़ी लंबित समस्याओं को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने सदन में कहा कि नरेला, बवाना, मुंडका, नजफगढ़ और मटियाला जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की बड़ी योजनाओं के लिए वर्षों से किसानों की भूमि अहिगृहीत की जाती रही है। इसके बदले में किसानों को केवल सीमित मुआवजा देकर छोड़ दिया जाता है जबकि उन्हें अल्टरनेटिव प्लॉट दिए जाने की आशा दिलाई जाती है। 1996 से अब तक हजारों किसानों की भूमि अधिगृहीत की गई लेकिन प्लॉट नहीं मिले। --------------लाखों में पहुंचे पानी के बिल : सतीश उपाध्यायमालवीय नगर से विधायक सतीश उपाध्याय ने विधानसभा में जल बोर्ड की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि राजधानी के अनेक क्षेत्रों में जल बोर्ड नियमित रूप से मीटर रीडिंग नहीं करता है जिससे उपभोक्ताओं को छह-छह महीने बाद लाखों रुपये के एवरेज बिल थमा दिए जाते हैं। जब उपभोक्ता बिल को लेकर जल बोर्ड कार्यालय पहुंचते हैं और बिल में सुधार की मांग करते हैं तो अधिकारियों की ओर से पहले भुगतान की शर्त रखी जाती है। यह नीति न केवल अन्यायपूर्ण है बल्कि उपभोक्ताओं को मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान करने वाली है।मिलावटी खाद्य पदार्थों पर सख्त कानून बने : कुलवंत राणाविधानसभा में रिठाला से विधायक कुलवंत राणा ने मिलावटी खाद्य पदार्थों और नकली दवाओं के बढ़ते प्रचलन पर चिंता जाहिर करते हुए सख्त कानून की मांग की। उन्होंने कहा कि राजधानी में फल-सब्जियों पर केमिकल, नकली पनीर, दूध और घी की बिक्री आम हो गई है जिससे आम नागरिकों का स्वास्थ्य खतरे में है। कैंसर की दवाओं तक में मिलावट की खबरें आती रही हैं जो अत्यंत गंभीर मामला है। खाद्य पदार्थों और दवाओं में मिलावट करने वालों के खिलाफ फांसी की सजा का भी प्रावधान होना चाहिए।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Aug 07, 2025, 21:25 IST
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