Govardhan Puja: गिरिराज महाराज के जयकारों की गूंज, यहां गोवर्धन पूजा को लेकर गौशालाओं में भक्तों की उमड़ी भीड़
दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाने वाला प्रकृति और भगवान श्रीकृष्ण के प्रति कृतज्ञता का पर्व गोवर्धन पूजा इस वर्ष 22 अक्तूबरबुधवार को पूरे हर्ष और आस्था के साथ मनाई जाएगी। इस दिन का शुभ मुहूर्त सुबह 6:26 बजे से 8:42 बजे तक रहेगा। शास्त्रों के अनुसार, यह पर्व केवल पूजा नहीं बल्कि प्रकृति, पशु और मानव के सहजीवन का प्रतीक है, जिसे सीहोर सहित पूरे भारत में अत्यंत श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। सीहोर जिले में गोवर्धन पूजा सदियों पुरानी लोक-आस्था का हिस्सा रही है। नगर के प्रमुख मंदिर कुबेरेश्वर धाम, मुरली मनोहर मंदिर, राममंदिर परिसर और आसपास की गोशालाओं में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। गोबर से बने छोटे-छोटे पर्वत तैयार किए जाते हैं शहर के गंज, कस्बा, मंडी क्षेत्र सहित ग्रामीण क्षेत्र के लोग आज भी अपने खेतों की मिट्टी, अन्न और गायों को पूजते हैं, यह मानकर कि यही असली लक्ष्मी हैं। गोबर से बने छोटे-छोटे पर्वत तैयार किए जाते हैं। गांव-गांव में बच्चे अन्नकूट खेलते हैं और महिलाएं गीत गाती हैं – “गोवर्धनधारी गिरधारी लाल की जय।” पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाता है। पूजा विधि: जब घर-आंगन बनता मंदिर सीहोर में सुबह से ही भक्तजन तैयारियां शुरू कर देते हैं। महिलाएं आंगन को गोबर से लीपकर स्वच्छता और पवित्रता का संदेश देती हैं। गंज क्षेत्र के पार्षद घनश्याम यादव कहते हैं कि मिट्टी और गोबर से गोवर्धन महाराज का प्रतीक बनाकर उसे फूलों, दूध-दही, पान, गन्ना और विभिन्न व्यंजनों से सजाया जाता है। पूजा में धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल, खील, बताशे आदि का इस्तेमाल किया जाता है। गोवर्धन में “ओंगा” यानी अपामार्ग की डालियां जरूर रखी जाती हैं। इस पर्व पर छप्पन भोग की परंपरा भी निभाई जाती है, जिसमें अनेक व्यंजन बनाकर भगवान को अर्पित किए जाते हैं। भजन-कीर्तन, शंख-घंटा और “गिरिराज महाराज की जय” की पुकार से गलियां गुंजायमान हो उठती हैं। पूजा के बाद प्रसाद बांटने और गौ-सेवा करने की परंपरा आज भी उतनी ही जीवंत है। ज्योतिषीय दृष्टि से शुभ मुहूर्त ज्योतिष पद्मभूषण व स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषाचार्य डॉ. पंडित गणेश शर्मा के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 54 मिनट पर होगी। इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 22 अक्टूबर को रात 8 बजकर 16 मिनट पर है। इसके चलते गोवर्धन पूजा का पर्व 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन का शुभ मुहूर्त सुबह 6:26 बजे से 8:42 बजे तक रहेगा। इस समय पूजा करने से अन्न, धन और सुख की वृद्धि होती है। डॉ. शर्मा बताते हैं कि जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धापूर्वक गोवर्धन पूजा करता है, उसके घर में वर्षभर लक्ष्मी और अन्न की कृपा बनी रहती है। पौराणिक कथा: जब कृष्ण ने उठाया गोवर्धन पर्वत द्वापर युग की कथा है, जब ब्रजवासी इंद्रदेव की पूजा करते थे, तब नन्हे कृष्ण ने उन्हें बताया कि असली पालनकर्ता तो गोवर्धन पर्वत और धरती माता हैं, जो हमें अन्न और जल प्रदान करते हैं। कृष्ण के कहने पर ब्रजवासी इंद्र पूजा छोड़कर गोवर्धन पर्वत की आराधना करने लगे। इंद्र देव के क्रोध से भीषण वर्षा हुई, तब श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठ उंगली पर पर्वत उठा लिया और सात दिन तक सभी की रक्षा की। यह दिव्य प्रसंग आज भी भक्ति और विनम्रता का प्रतीक बनकर हर मन को आलोकित करता है। इसी की याद में गोवर्धन पूजा या अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है। ये भी पढ़ें-Govardhan Puja 2025: आज होगी गोवर्धन पूजा, जानें इसका पौराणिक महत्व और पूजा-विधि; ये है शुभ मुहूर्त आस्था का भाव: प्रकृति के प्रति आभार गोवर्धन पूजा का संदेश है,प्रकृति का सम्मान ही समृद्धि का मूल है। यह पर्व हमें सिखाता है कि अहंकार नहीं, बल्कि कृतज्ञता ही ईश्वर की सच्ची आराधना है। सीहोर के बुजुर्ग घनश्याम यादव कहते हैं, “गोवर्धन पूजा केवल भगवान की नहीं, बल्कि हर किसान, हर जीव और हर अन्नकण की पूजा है।” आज जब लोग घरों और आंगनों में दीप जलाएंगे, तो वह सिर्फ पूजा नहीं होगी, बल्कि उस धरती के प्रति नमन होगा, जो हर दिन हमें जीवन देती है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 22, 2025, 08:49 IST
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