पंजाब में धान पर बाढ़ की मार: लक्ष्य से 24 लाख मीट्रिक टन कम हुई पैदावार, खरीद का लक्ष्य नहीं हो पाया पूरा

पंजाब में धान की फसल पर बाढ़ की ऐसी मार पड़ी कि सूबे में निधाZरित लक्ष्य से 24 लाख मीट्रिक टम कम पैदावार हुई। राज्य सरकार ने इस बार 180 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) की पैदावार का लक्ष्य रखा था लेकिन मंडियों में 156 लाख एलएमटी धान की ही खरीद हो पाई है। इस वजह से केंद्रीय पूल में भी धान की खरीद का लक्ष्य अधूरा रह गया है। यह आंकड़े खाद्य आपूर्ति विभाग ने धान खरीद का सीजन पूरा होने के दौरान जारी किए हैं। गौरतलब है कि बाढ़ की वजह से पांच लाख एकड़ एकड़ क्षेत्र में फसल खराब हुई थी, जिस वजह से किसानों का काफी नुकसान हुआ था। खाद्य आपूर्ति विभाग के अनुसार 2024 में भी पैदावार कम हुई थी, इसके बावजूद 175 एलएमटी की खरीद हुई थी। विभाग के अनुसार 30 नवंबर को धान खरीद के सीजन का आखिरी दिन था। इस दिन तक 156 एलएमटी फसल मंडियों में पहुंची जिसके लिए 11 लाख से अधिक किसानों के खाते में 37,288 करोड़ रुपये डाले गए हैं। इस बार निजी एजेंसियों ने भी कम खरीद की है। उनकी खरीद सिर्फ 17,773 मीट्रिक टन रही है। वर्ष 2016 के बाद धान की यह सबसे कम आमद है। उस समय धान की 140 लाख मीट्रिक टन खरीद हुई थी। कम खरीद का राष्ट्रीय स्तर पर पड़ेगा असर केंद्रीय पूल में धान की कम खरीद का राष्ट्रीय स्तर पर चावल की उपलब्धता पर असर पड़ सकता है। केंद्र ने इस बार पंजाब से 173 लाख मीट्रिक टन चावल केंद्रीय पूल में मांगा था। अब खरीद कम होने के कारण चावल का निर्यात भी प्रभावित होगा। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रभाव अधिक नहीं होगा क्योंकि केंद्र के पास पहले से ही चावल का पर्याप्त भंडार है। पांच सालमें प्रदेश में धान की खरीद में बढ़ोतरी रही है। वर्ष 2020 में 162 एलएमटी, 2021 में 187 एलएमटी, वर्ष 2022 183 एलएमटी, 2023 में 188 एलएमटी और वर्ष 2024 में 175 लाख मीट्रिक टन की खरीद हुई थी। वायरस से भी फसल हुई खराब: बाढ़ के अलावा कई जिलों में धान की फसल पर सदर्न राइस ब्लैक स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस (एसआरबीएसडीवी) का प्रकोप भी रहा। पटियाला और फतेहगढ़ जिला इससे अधिक प्रभावित रहे। पटियाला में 7 हजार एकड़ और फतेहगढ़ साहिब में 2500 एकड़ फसल इस वायरस से प्रभावित हुई जिससे उपज कम हो गई। रोपाई जल्दी शुरू होने के बावजूद खरीद में देरी पंजाब में इस बार धान की रोपाई का काम 15 दिन पहले एक जून से शुरू हुआ था। बाढ़ और बारिश की वजह से खरीद प्रक्रिया देरी से शुरू हुई क्योंकि फसल में नमी के कारण किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। एक सितंबर से खरीद प्रक्रिया शुरू हो गई थी। कैबिनेट मंत्री लाल चंद कटारूचक्क ने बताया कि इस बार 156 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हुई है। सीजन के दौरान किसानों को किसी भी तरह की समस्या नहीं होने दी गई। खरीद के साथ-साथ फसल का भुगतान किया गया।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 02, 2025, 08:34 IST
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