UP: दिवाली पर खतरे में उल्लू...मंडरा रहा ये संकट, वन विभाग ने बढ़ाई निगरानी; ग्रामीणों को भी किया जागरूक

चंबल सेंक्चुअरी में उल्लू (वैज्ञानिक नाम स्ट्रिगिफोर्मेस) की दो प्रजातियां दिखती हैं। ये हैं मुआ और घुग्घू। यमुना नदी किनारे के बीहड़ क्षेत्र में भी इनकी मौजूदगी रहती है। मुआ पानी के करीब और घुग्घू पुराने खंडहरों, पेड़ों पर दिखते हैं। मुआ और घुग्घू में नर मादा एक से होते हैं। धार्मिक मान्यता है कि उल्लू देवी लक्ष्मी का वाहन है। यही वजह है कि दिवाली पर संपन्नता के लिए उल्लू की बलि का अंधविश्वास प्रचलित है। वजन, आकार, रंग, नाखून, पंख के आधार पर बलि के लिए उल्लू की तस्करी का खतरा बढ़ गया है। बाह के रेंजर कुलदीप सहाय पंकज ने बताया कि दिवाली पर उल्लू की बलि के अंधविश्वास के चलते रेंज में उल्लू की पहरेदारी बढ़ा दी है। तस्करी की आशंका को लेकर वन विभाग ने 60 वन समितियों एवं तटवर्तीय ग्रामीणों को जागरूक किया है। सेंक्चुअरी में तस्करी के मामले नहीं हुए हैं, फिर भी वन विभाग सतर्क है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 16, 2025, 20:59 IST
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