गैलेक्सआई: 2026 में होगा दुनिया का पहला मल्टी-सेंसर ईओ उपग्रह लॉन्च; मिलेंगी पृथ्वी की स्पष्ट और सटीक तस्वीरें

भारत में 2026 की पहली तिमाही में दुनिया का पहला मल्टी-सेंसर अर्थ ऑब्जर्वेशन (ईओ) उपग्रह मिशन दृष्टि लॉन्च होगा। यह आने वाले चार साल में उपग्रहों का एक समूह स्थापित करने की दिशा में देश का पहला कदम होगा। यह एलान सोमवार को भारतीय अंतरिक्ष-तकनीक स्टार्टअप गैलेक्सआई ने किया।उपग्रह मिशन दृष्टि की 1.5 मीटर रिजॉल्यूशन क्षमता होगी यानी इससे पृथ्वी की बेहद स्पष्ट और सटीक तस्वीरें ली जा सकेंगी। इस उपग्रह से मिला डाटा सरकारों,रक्षा एजेंसियों और कई उद्योगों को उन्नत भू-स्थानिक विश्लेषण करने में मदद करेगा। इसके साथ ही इसका इस्तेमाल सीमा निगरानी, आपदा प्रबंधन, रक्षा, जनोपयोगी सेवाओं व बुनियादी ढांचे की निगरानी, कृषि सहित वित्त और बीमा मूल्यांकन जैसे क्षेत्रों में होगा, जिससे वास्तविक समय में पर्यावरणीय और संरचनात्मक जानकारी प्राप्त की जा सकेगी। स्टार्टअप गैलेक्सआई अगले चार साल यानी 2029 में अंतरिक्ष में आठ से 10 उपग्रह प्रक्षेपित करने की योजना बना रही है, जिससे पृथ्वी की लगातार निगरानी के लिए एक उन्नत नेटवर्क तैयार होगा। मिशन दृष्टि को लेकर गैलेक्सआई के सह-संस्थापक और सीईओ सुयश सिंह ने कहा, मिशन दृष्टि के साथ, हम अंतरिक्ष अन्वेषण के माध्यम से क्रियाशील डाटा के एक नए युग की शुरुआत कर रहे हैं। दुनिया में पहली बार, हम एक ऐसा उपग्रह तैनात कर रहे हैं जो एक ही प्लेटफॉर्म पर कई संवेदी तकनीकों को जोड़गा और जिससे हम पृथ्वी का उन तरीकों से अवलोकन कर पाएंगे जो पहले मुमकिन नहीं थे। उपग्रह विस्तार का बड़ा अभियान सिंह ने कहा, मिशन दृष्टि भारत का 160 किलोग्राम वजनी सबसे बड़ा निजी तौर पर निर्मित उपग्रह है और देश में विकसित उच्चतम-रिजॉल्यूशन वाला उपग्रह भी है। यह मिशन भारत को वैश्विक अंतरिक्ष नक्शे पर मजबूती से स्थापित करेगा और एक ऐसी प्रणाली देगा जो अंतरिक्ष तकनीक को ऐसी बुद्धिमत्ता में बदल देगी जिस पर व्यवसाय, सरकारें और समुदाय भरोसा कर सकेंगे। हर मौसम और समय में करेगा काम गैलेक्सआई के मुताबिक, सिंथेटिक अपर्चर रडार (एसएआर) और उच्च-रिजॉल्यूशन वाले ऑप्टिकल पेलोड यानी सेंसर से लैस यह उपग्रह किसी भी मौसम में और दिन के किसी भी वक्त पृथ्वी अवलोकन डाटा उपलब्ध कराएगा। यहां तक कि बादलों के बीच से भी पृथ्वी की तस्वीरें ले सकेगा। कंपनी ने आगे बताया कि सैटेलाइट ने अत्यधिक तापमान और संरचनात्मक परीक्षणों को कामयाबी के साथ पार किया है, जिससे यह साबित होता है कि यह अंतरिक्ष के मुश्किल वातावरण को झेल सकता है। इमेजरी इंटेलिजेंस में होगी मददगार हर उपग्रह को एक सुदूर-संवेदी पृथ्वी अवलोकन प्रणाली के तौर पर डिजाइन किया गया है। ये पृथ्वी की साफ-सटीक तस्वीर लेने के लिए स्थानिक, वर्णक्रमीय और लौकिक विभेदन के लिए अनुकूल है। सिंह ने कहा, बढ़ते वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव और एआई के इस्तेमाल के साथ,अगली पीढ़ी की इमेजिंग तकनीकें पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गई हैं और हम बेजोड़ इमेजरी इंटेलिजेंस देने के लिए तत्पर हैं। इमेजरी इंटेलिजेंस के उदाहरणों में दुश्मन सैनिकों की गतिविधियों, सैन्य सुविधाओं के निर्माण पर नजर रखने और हमलों के लिए लक्ष्यों की पहचान करने के लिए उपग्रह और हवाई तस्वीरों का इस्तेमाल करना शामिल है। उन्होंने बताया कि रक्षा व सुरक्षा एजेंसियां, कृषि, यूटिलिटी और वित्तीय कंपनियां पहले ही इस तकनीक में गहरी दिलचस्पी दिखा चुकी हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 14, 2025, 03:39 IST
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