Ganesh Chaturthi 2025: इस बार धन वृद्धि से जुड़े विशेष योग का संयोग, गणेश चतुर्थी पर जरूर करें ये खास उपाय
इस बार गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष में चित्रा नक्षत्र के शुभ योग में रवि योग, ब्रह्म योग (गज केसरी) लक्ष्मी योग के साथ बुध की होरा मध्याह्न में बप्पा का प्राकट्य उत्सव होगा। इस विशेष योग में व्यापारी को धन वृद्धि का लाभ मिलता है। श्री मांतगी ज्योतिष ज्योतिर्विद पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास ने बताया कि गणेश चतुर्थी पर जब कोई शुभ योग बनता है, तो उसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। ऐसे योगों में भगवान गणेश की पूजा विशेष फलदायक मानी जाती है। रवि योग में की गई पूजा और आराधना बहुत फलदायक मानी जाती है। यह योग सभी दोषों का नाश करता है। गणेश पूजन से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं। अमृत सिद्धि योग अत्यंत शुभ माना जाता है। इस योग में गणेश जी की पूजा करने से सुख-समृद्धि और धन-धान्य में वृद्धि होती है। ब्रह्म योग आध्यात्मिक और धार्मिक कार्यों के लिए श्रेष्ठ होता है। गणेश जी की आराधना से ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है। बुधवार का दिन स्वयं गणेश जी का दिन ज्योतिर्विद पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास के अनुसार मध्याह्न का योग और गौरी शंकर के पुत्र विघ्नहर्ता गणेश जन्म का माना जाता है, 27 अगस्त चतुर्थी तिथि बुधवार का दिन जो स्वयं गणेश जी का दिन है। पंचांग के अनुसार इस साल भगवान श्री गणेश जी की मध्यान्ह पूजा का शुभ मुहूर्त 12/36 से 1 बजकर 24 मिनिट में युवराज का प्राकट्य होगा। पूजा प्रारंभ का शुभ मुहूर्त सुबह 11:04 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक रहेगा। पूजन के समय इस विशेष मंत्र वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकायेर्षु सर्वदा॥ का जाप करें। बुद्धि और ज्ञान के साथ, ग्रह शांति के नियंत्रक है श्री गणेश। ज्योतिष शास्त्र में गणपति (गणेश जी) का विशेष स्थान माना गया है। वे केवल विघ्नहर्ता ही नहीं, बल्कि ग्रह-शांति, ग्रह नियंत्रक बुद्धि और सफलता के अधिष्ठाता भी हैं। ये भी पढ़ें: एसडीआरएफ बनी फरिश्ता, डिलीवरी के लिए जा रही महिला समेत 15 मरीजों को बाढ़ से निकाला सुरक्षित कैसे करें गणपति की पूजा हिंदू मान्यता के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन गणेश भक्त को प्रात:काल स्नान-ध्यान करने के बाद सबसे पहले गणेश चतुर्थी व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद घर के ईशान कोण में एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर गणपति की मूर्ति को स्थापित करना चाहिए। इसके बाद गणेश जी पर गंगाजल छिड़कर उनका स्नान कराएं और फिर उसके बाद सिंदूर का तिलक लगाकर पूरे विधि-विधान से पूजा करें। गणेश चतुर्थी की पूजा में गणपति को उनकी प्रिय चीजें जैसे दूर्वा, नैवेद्य, मोतीचूर का लड्डू, मोदक, नारियल, गन्ना, आदि अर्पित करने के बाद उनकी चालीसा या फिर गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करना चाहिए। पूजा के अंत में घंटा, घड़ियाल, शंख, मजीरा आदि के साथ उनकी आरती करना चाहिए। गणेश चतुर्थी के दिन सायंकाल भी विधि-विधान से गणपति की पूजा का यह क्रम दोहराएं और किसी ब्राह्मण या पुजारी को भोजन-प्रसाद कराने के बाद स्वयं भी ग्रहण करें। कब होगा गणपति विसर्जन हिंदू मान्यता के अनुसार 10 दिनों तक भगवान श्री गणेश जी की विधि-विधान से पूजा करने के बाद जब उनकी विदाई का समय आता है तो वह दिन उनकी कृपा पाने का सबसे उत्तम दिन होता है। यही कारण है कि इस दिन गणेश भक्त गाजे-बाजे के साथ उनको शुभ मुहूर्त में विदा करते हैं। पंचांग के अनुसार इस साल गणपति विसर्जन 06 सितंबर 2025 को हागा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में अप्रत्याशित विकास होगा ज्योतिर्विद पं. अजय व्यास ने बताया कि देश विदेश मे भारतीय व्यापार व्यवसाय इंडस्ट्रीज फर्नीचर तकनीकी इलेक्ट्रॉनिक्स सुरक्षा अन्य घरेलू सजावट, बाजार, मोबाइल फोन, एआई साझीदार से जैसे उपलब्धता सुनिश्चित बढ़ती है। योग, प्राणायाम, खेल और कला जगत में युवाओं का सम्मान रुझान बढ़ता है। उज्जैन में भी बुध के राजा होने से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व अप्रत्याशित विकास होगा।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Aug 25, 2025, 11:04 IST
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