Tunisia: एक और देश में विद्रोह की चिंगारी भड़की, सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे हजारों लोग
उत्तरी अफ्रीकी देश ट्यूनीशिया में भी सरकार विरोधी प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। शनिवार को हजारों की संख्या में लोग राष्ट्रपति काइस सईद के खिलाफ राजधानी ट्यूनिश की सड़कों पर उतरे। लोग राष्ट्रपति सईद की बढ़ती कथित तानाशाही और जेल में बंद राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने 'अन्याय के खिलाफ' बैनर के तले विरोध प्रदर्शन किया, जिसका नेतृत्व जेल में बंद राजनीतिक कैदियों के परिवारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने किया। राष्ट्रपति सईद पर न्यायपालिका में दखलअंदाजी का आरोप प्रदर्शन में हजार से ज्यादा प्रदर्शनकारी शामिल हुए, जिन्होंने सरकार विरोधी नारे लगाए। ये प्रदर्शन ऐसे समय हो रहे हैं, जब ट्यूनीशिया आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर परेशानियों से घिरा हुआ है। इससे पहले गुरुवार को ट्यूनीशिया के पत्रकारों ने भी सरकार विरोधी प्रदर्शन किए। दरअसल पत्रकारों ने प्रेस की आजादी को दबाने और प्रमुख नागरिक समाज संगठनों के खिलाफ कार्रवाई विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि राष्ट्रपति सईद न्यायपालिका में दखलअंदाजी कर रहे हैं। साथ ही उन पर अपने राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए पुलिस का इस्तेमाल करने आरोप है। ये भी पढ़ें-Russia:नाटो पर रूसी दबाव तेज, ब्रिटेन के समुद्री रास्तों तक पहुंची पुतिन की नौसेना, मिसाइलों की जद में यूरोप जेल में बंद विपक्षी नेताओं के परिजन विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए जेल में बंद विपक्षी नेता अब्देलहामिद जलसी की पत्नी मोनिया ब्राहिम ने कहा कि वह मार्च में इसलिए शामिल हुईं क्योंकि उनका मानना है कि कई ट्यूनीशियाई लोगों के साथ बहुत नाइंसाफी हो रही है। मैं एक नागरिक के तौर पर अपने अधिकारों की रक्षा करने आई हूं।' उन्होंने कहा कि 'राजनीतिक कैदी अच्छी तरह जानते हैं कि वे अपने उसूलों, सिविल और पॉलिटिकल एक्टिविज्म के अपने संवैधानिक हक की कीमत चुकाने के लिए जेल में हैं, और आज ट्यूनीशिया में बनी सरकार उन्हें बंधक बनाए हुए है।' हिरासत में लिए गए लोगों में से कुछ भूख हड़ताल पर हैं, जिसमें संवैधानिक कानून के प्रोफेसर जाहेर बेन म्बारेक भी शामिल हैं, जो 20 दिनों से ज़्यादा समय से हड़ताल पर हैं। ट्यूनीशिया में बढ़ते दमन पर कई मानवाधिकार संगठनों ने चिंता जताई है। ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा है कि 2022 के आखिर से 50 से ज़्यादा लोगों को, जिनमें राजनेता, वकील, पत्रकार और एक्टिविस्ट शामिल हैं, अपनी बात कहने की आजादी, शांति से इकट्ठा होने या राजनीतिक गतिविधि चलाने के अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए गिरफ्तार किया गया। राइट्स ग्रुप ने यह भी चेतावनी दी कि बड़े पैमाने पर एंटी-टेररिज्म और साइबरक्राइम कानूनों का इस्तेमाल असहमति को दबाने के लिए किया जा रहा है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 23, 2025, 06:31 IST
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