हाईकोर्ट का अहम आदेश: मृतक के बालिग बच्चे भी हो सकते हैं उसके आश्रित, इसमें आयु का पूर्ण प्रतिबंध नहीं
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि मृतक के बालिग बच्चे भी उस पर आश्रित हो सकते हैं। हाईकोर्ट मोटर दुर्घटना क्लेम ट्रिब्यूनल के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। कोर्ट ने कहा कि उन्हें मुआवजा दावा करने का पूर्ण अधिकार है और आगे यह ट्रिब्यूनल को तय करना है कि वे असल में आश्रित हैं या नहीं। कोर्ट ने कहा कि इसमें आयु का कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है। याचिका दाखिल करते हुए करनाल निवासी महिला ने बताया कि उसके पति की 12 मार्च 2017 को मोटर वाहन दुर्घटना में मौत हो गई थी। याची ने बताया कि मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल करनाल ने उसके पति की मौत के लिए केवल 15 लाख 67 हजार रुपये जुर्माना तय किया जो बेहद कम है। याची ने बताया कि राम गोपाल हादसे से पहले प्रतिमाह 40 हजार रुपये कमाता था जबकि ट्रिब्यूनल ने उसकी आय प्रतिमाह केवल 12 हजार ही मानी थी। ट्रिब्यूनल ने राम गोपाल की आय आधार कार्ड के अनुरूप 51 साल मानी जबकि पोस्ट मार्टम रिपोर्ट के अनुसार उसकी आय 45 वर्ष थी। याचिका का विरोध करते हुए प्रतिवादी पक्ष ने कहा कि ट्रिब्यूनल ने राम गोपाल की आय बिल्कुल सही मानी है क्योंकि 40 हजार रुपये आय से जुड़ा कोई दस्तावेज ही मौजूद नहीं है। साथ ही प्रतिवादियों ने कहा कि मुआवजा याचिका मृतक के बालिग बेटों ने दाखिल की है जिन्हें उस पर आश्रित नहीं माना जा सकता है। प्रतिवादियों हाईकोर्ट से अपील की कि इस याचिका को खारिज किया जाए। कोर्ट ने कहा कि मृतक की आयु पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार 45 साल मानी जानी चाहिए और बिना दस्तावेजों के ट्रिब्यूनल ने मृतक की आय 12 हजार रुपये सही आंकी है। कोर्ट ने कहा कि याची के बेटे भले ही बालिग हों लेकिन वे उसके कानूनी उत्तराधिकारी होते हैं। उन्हें मुआवजा याचिका दाखिल करने का अधिकार है और वे पात्र हैं या नहीं यह तय करने का अधिकार ट्रिब्यूनल को है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 23, 2025, 08:20 IST
हाईकोर्ट का अहम आदेश: मृतक के बालिग बच्चे भी हो सकते हैं उसके आश्रित, इसमें आयु का पूर्ण प्रतिबंध नहीं #CityStates #Chandigarh #Chandigarh-haryana #PunjabHaryanaHighCourt #MotorAccidentClaimsTribunal #SubahSamachar