India US Relations: पारस्पिक टैक्स पर ट्रंप के फैसले से भारतीय बाजार सतर्क, विकल्पों पर मंथन कर रही सरकार
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मित्र कहते हैं। उनकी भारत के बाजार पर गहराई से नजर है। पिछले पांच दिनों से वह लगातार भारत पर तंज कस रहे हैं। वह पारस्परिक (रेसीप्रोकल) टैक्स लगाकर भारत को 7-9 अरब डॉलर का बोझ डालना चाहते हैं। खबर है कि भारत ने ट्रंप के इस टैरिफ का जवाब देने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। कई विकल्पों पर मंथन किया जा रहा है। बाजार भी ट्रंप के रुख को लेकर सतर्क है। क्या ट्रंप भारत से नाराज हैं ट्रंप-2.0 में अमेरिकी राष्ट्रपति के पहले कार्यकाल वाला स्नेह अभी तक नहीं दिखाई दिया। हालांकि वह प्रधानमंत्री को बार-बार मित्र मोदी कहकर संबोधित करते हैं। जिस समय प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका में थे और उनका ट्रंप से मिलने का कार्यक्रम था, उसी दिन ट्रंप ने पारस्परिक (रेसीप्रोकल) टैक्स लगाने की घोषणा कर दी। ट्रंप यह कहने में कोई संकोच नहीं करते कि ब्रिक्स (भारत, रूस, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका) संगठन टूट गया, खत्म हो गया। वह बार-बार भारत पर टैरिफ किंग या ट्रेड सरप्लस देश का ताना भी कसते हैं। ट्रंप प्रधानमंत्री मोदी को भारत का हितैषी और खुद से बड़ा निगोशिएटर भी बताते हैं, लेकिन बार-बार टैक्स को लेकर बात करते हैं। 16 फरवरी को एलन मस्क के विभाग डीओजीई ने 15 तरह की वित्तीय मदद रोक दी। इसके चलते भारत की 182 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद रुक गई है। तब से राष्ट्रपति ट्रंप इस 21 मिलियन डॉलर को लेकर भारत को निशाने पर लेने से बाज नहीं आ रहे हैं। वह तंज भी कसते हैं कि भारत को यह पैसा भेजने की जरूरत नहीं है। भारत के पास बहुत पैसा है। इसके लिए वह बाइडन प्रशासन पर भी निशाना साधते हैं और अंत में इस धनराशि का उद्देश्य भारत में मतदान बढ़ाने का बता देते हैं। यह पैसा मित्र मोदी को दिए जाने का भी जिक्र करते हैं। राष्ट्रपति के इस तरह के संबोधन पर विदेश मंत्री एस जयशंकर अपनी सफाई दे चुके हैं। विदेश मामले के जानकार रंजीत कुमार इसे ट्रंप की नाराजगी से जोड़ रहे हैं। रक्षा और रणनीतिक साझेदारी मामले के विशेषज्ञ और पूर्व नौसैनिक अधिकारी रंजीत राय का भी मानना है कि भरोसे में कुछ कमी आई है। पूर्व एयर वाइस मार्शल एनबी सिंह का कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप अपने पहले कार्यकाल की तरह अन प्रिडिक्टेबल बने हुए हैं। ट्रंप के पारस्परिक टैक्स से भारत को 7-9 अरब डालर का लग सकता है झटका भारत ने 2023-24 में अमेरिका को 77.51 अरब डॉलर का निर्यात किया था। इसमें कपड़ा, मोती, रत्न आभूषण, चमड़ा, दवाएं, प्रेट्रोकेमिकल उत्पाद, हस्तशिल्प आदि से जुड़े सामान थे। बदले में भारत ने अमेरिका से 42.19 अरब डॉलर का आयात किया था। इस तरह से दोनों देशों का द्विपक्षीय कारोबार करीब 119.71 अरब डॉलर का रहा। इस तरह से भारत अमेरिका से कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद,कोयला कोक, कटे और पालिश किए हीरे, इलेक्ट्रिक मशीन, रसायन, विमान, अंतरिक्ष यान, सोना, खाद्य पदार्थ, ऑटो मोबाइल्स के उपकरण और अन्य, व्हिस्की आदि लेता है। इस तरह से व्यापार घाटा सीधे-सीधे 35.32 अरब डॉलर का है। अमेरिका और भारत के द्विपक्षीय कारोबार पर नजर रखने वाले एक अर्थशास्त्री का कहना है कि अमेरिका में भारत से आयात पर टैक्स बहुत कम है, जबकि अमेरिका के सामान पर भारत में टैक्स बहुत अधिक है। सूत्र का कहना है कि हार्ले डेविसन की मोटर साइकिल आपको याद होगी। इसको लेकर ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में मुखरता दिखाई थी। बोरबॉन व्हिस्की का भी मामला चर्चा में आता रहा है। भारत में इस पर 150 प्रतिशत तक टैक्स लगता था। कृषि उत्पादों पर अमेरिका में 5 प्रतिशत का टैक्स है तो भारत में 39 प्रतिशत तक चला जाता है। हालांकि वित्त मंत्रालय के एक पुराने अफसर का कहना है कि 2025-26 के आम बजट में भारत ने अमेरिका को इस मामले में बड़ी राहत दी है। आटो मोबाइल क्षेत्र के रविन्द्र सिंह कहते हैं कि हार्ले बाइक पर अब 50 से घटाकर टैक्स को 30 प्रतिशत कर दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय कारोबार पर नजर रखने वाले डीके घोष कहते हैं कि यदि अमेरिका ने पारस्परिक टैक्स नीति अपनाई तो भारत को 7-9 अरब डॉलर का झटका लग सकता है। क्या है भारत को लेकर ट्रंप की रणनीति राष्ट्रपति ट्रंप का टैक्स बम भारत के लिए झटका माना जा रहा है। इसको लेकर भारतीय रणनीतिकारों ने अपनी कोशिश शुरू कर दी है। भारत के कूटनीतिज्ञों ने इसे सुलझाने का प्रयास तेज कर दिया है। इसके लिए भारत अंतरराष्ट्रीय संबंधों में शक्ति संतुलन साधने का भी सहारा ले रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले समय में भारत अमेरिका से कच्चे तेल के आयात को सालाना करीब 10 अरब डॉलर तक बढ़ा सकता है। गैस की आपूर्ति भी बढ़ सकती है। इसके अलावा अमेरिका से होने वाले आयात और उस पर लगने वाले टैक्स को भारत अधिक तर्कसंगत बना सकता है। दरअसल अमेरिका ने जैसे को तैसा टैक्स की नीति को लागू करते हुए यदि भारतीय निर्यात पर 8-10 प्रतिशत का टैक्स बढ़ाया तो भारत पर इसके प्रतिकूल असर की संभावना काफी ज्यादा है। इससे न केवल भारत की जीडीपी पर असर पड़ सकता है बल्कि घरेलू स्तर पर महंगाई, बेरोजगारी, रुपये की चाल में अस्थिरता, कृषि क्षेत्र में कठिनाई बढ़ सकती है। संबंधित वीडियो
- Source: www.amarujala.com
- Published: Feb 24, 2025, 20:34 IST
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