Mandi News: प्राकृतिक खेती से आत्मनिर्भरता की ओर- सरवन कुमार की सफलता की यात्रा

रसायन-मुक्त, पर्यावरण-अनुकूल और कम लागत वाली प्राकृतिक खेती आज किसानों की जिंदगी में बदलाव ला रही है। सुंदरनगर विकास खंड धनोटू के द्रमण गांव के किसान सरवन कुमार इसी परिवर्तन के प्रेरक उदाहरण हैं। वर्षों पहले जब उन्होंने प्राकृतिक खेती की राह चुनी, तो शुरुआत में कई कठिनाइयाँ आईं। लेकिन आत्मा परियोजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त कर उन्होंने रासायनिक खाद व कीटनाशकों का प्रयोग बंद कर दिया और देसी गाय के गोबर व गौमूत्र से तैयार जैविक खाद और घोल का उपयोग शुरू किया। बाद में वे राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई—प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत कृषि विभाग की सुंदरनगर नैचुरल्स किसान उत्पादक कंपनी से जुड़े। आज वे धनोटू स्थित प्राकृतिक खेती उत्पाद बिक्री केंद्र के निदेशक और प्रबंधक हैं तथा आत्मा परियोजना के मास्टर ट्रेनर के रूप में अन्य किसानों को आत्मनिर्भरता की राह दिखा रहे हैं। सरवन कुमार ने खेती तक सीमित न रहते हुए नवाचार और उद्यमशीलता को अपनाया। उन्होंने स्थानीय उत्पादों से मूल्य संवर्द्धित वस्तुएँ और धुआं रहित कोयला तैयार किया, जो पर्यावरण-अनुकूल व सस्ता ईंधन है। वर्तमान में उनके बिक्री केंद्र से 150 किसान जुड़े हैं, जिनमें से 40 से अधिक किसानों को सीधा आर्थिक लाभ मिल रहा है। हर माह केंद्र से 60–70 हजार रुपये की आय हो रही है। यहां हल्दी, अचार, मोटा अनाज, आंवला कैंडी, एप्पल चिप्स, सिरा और बड़ियां जैसे उत्पाद उपलब्ध हैं। ये वस्तुएँ न केवल स्थानीय बाजार में, बल्कि दिल्ली, धर्मशाला और नौणी विश्वविद्यालय जैसे जैविक हाटों तक पहुँच रही हैं। सरकारी योजनाओं से किसानों का खर्च घटा है और आय बढ़ी है। सरवन कुमार अब लगभग 50–60 उत्पाद स्वयं तैयार करते हैं। उनका परिवार भी इस कार्य में सहयोग कर रहा है। वे कहते हैं कि सरकार की पहल से प्राकृतिक खेती ने गांव-गांव में आत्मनिर्भरता और हरियाली का संदेश फैलाया है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 12, 2025, 13:17 IST
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