राहत की दर: मौद्रिक नीति समिति का आश्वस्तकारी संदेश, जमीनी स्तर तक पहुंचे फायदा

ऐसे समय में, जब अर्थव्यवस्था अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में दिख रही है, आंकड़े समग्र महंगाई को भी कई वर्षों के निचले स्तर पर दिखा रहे हैं, तब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की छह-सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति का रेपो दर को 25 आधार अंक घटाकर 5.25 फीसदी करने का निर्णय अर्थव्यवस्था के बारे में एक आश्वस्तकारी संदेश ही देता है। हालांकि यह कुछ अप्रत्याशित भी है, क्योंकि मजबूत आर्थिक संकेतकों के चलते यह संभावना जताई जा रही थी कि रिजर्व बैंक रेपो दर में कोई बदलाव नहीं भी कर सकता है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय बैंक जिस दर पर बैंकों को कर्ज देता है, उसे रेपो दर कहते हैं। ऐसे में, इस दर के घटने से बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है और इसे आगे बढ़ाते हुए बैंक ग्राहकों को भी कर्ज में राहत देते हैं। साल की पहली छमाही में महंगाई 2.2 फीसदी और आर्थिक वृद्धि आठ फीसदी तक पहुंच गई, जो किसी अर्थव्यवस्था के लिए आदर्श स्थिति मानी जा सकती है। अर्थशास्त्र में ऐसी स्थिति को ही गोल्डीलॉक्स पीरियड कहते हैं। इसके समांतर वैश्विक अनिश्चितताएं और डॉलर के मुकाबले रुपये में रिकॉर्ड गिरावट जैसी स्थितियां बन रही हैं, जिसके बावजूद, रेपो दर को घटाने का निर्णय अर्थव्यवस्था पर भरोसे को दर्शाता है। इससे मांग में सुधार की उम्मीद है, जिससे ग्राहकों की क्रय शक्ति बढ़ेगी और खरीदारों को बाजार की तरफ आकर्षित करने में भी मदद मिलेगी। दरअसल, यह कटौती उपभोक्ता और उद्योग जगत, दोनों के लिए राहत लेकर आई है, क्योंकि आवास, वाहन और एमएसएमई के लिए कर्ज लेना अब सस्ता हो जाएगा। हां, कुछ सावधानियां भी जरूरी हैं, क्योंकि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें, भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिकी टैरिफ नीति चुनौतियां पेश कर रहे हैं। लेकिन, केंद्रीय बैंक ने साफ कर दिया है कि वह तटस्थ रुख अपनाते हुए परिस्थितियों के हिसाब से ही आगे कदम उठाएगा। इसका अर्थ यह है कि अगर जरूरत पड़ी, तो केंद्रीय बैंक अगले वर्ष फरवरी में आयोजित होने वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में एक बार फिर 0.25 फीसदी की कमी कर सकता है। कुल मिलाकर देखें, तो रिजर्व बैंक का फैसला साहसिक होने के साथ संतुलित भी है। इससे आम आदमी की जेब में कुछ और पैसा बचेगा, उद्योग को सस्ता कर्ज मिलेगा और अर्थव्यवस्था के भी नई रफ्तार पकड़ने की उम्मीद है। जाहिर है कि रेपो दर में कमी करके केंद्रीय बैंक ने संकेत दिया है कि वह अर्थव्यवस्था को गति देने के प्रति गंभीर है, लेकिन ऐसी घोषणाओं का मतलब तभी है, जब ये महज आर्थिक आंकड़ों में उलझ कर न रह जाएं, बल्कि इनका फायदा जमीनी स्तर पर आम लोगों तक पहुंचे।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 08, 2025, 02:49 IST
पूरी ख़बर पढ़ें »




राहत की दर: मौद्रिक नीति समिति का आश्वस्तकारी संदेश, जमीनी स्तर तक पहुंचे फायदा #Opinion #Rbi #ReserveBankOfIndia #MonetaryPolicyCommittee #SubahSamachar