Budaun News: जिला अस्पताल का हाल... दिव्यांगों के लिए नहीं व्हीलचेयर, पति को गोद में लेकर पहुंची महिला

बदायूं के जिला अस्पताल में सोमवार को दिव्यांगों का परीक्षण शिविर आयोजित किया गया। इसमें डॉक्टर ने पर्चा नहीं लिखा और जांच के निर्देश दे दिए। इससे मरीज के तीमारदार भटकते रहे और उनका प्रमाण पत्र नहीं बन सका। ऐसे ही शिविर में अव्यवस्था हावी रही। दिव्यांगों के लिए शिविर में व्हीलचेयर की व्यवस्था नहीं थी। एक महिला अपने दिव्यांग पति को गोद में लेकर जांच कराने पहुंची। दिव्यांगों को प्रमाण पत्र जारी करने के लिए हड्डी रोग विशेषज्ञ मरीजों की जांच कर रहे थे। दोपहर एक बजे अमर सिंह को उनकी पत्नी गोद में उठाकर शिविर तक ले गई। वहां भीड़ ज्यादा होने की वजह से वह कुछ देर तक पति को गोद में लेकर खड़ी रही। अमर सिंह ने बताया की पिछली बार शिविर में आये तो डॉक्टर ने इलाज से संबंधी कागज मांगे थे। इस बार कागज लेकर पहुंचे तो उन्होंने लिए नहीं और आवेदन फार्म जमा कर लिया। उन्होंने कहा कि अगर फॉर्म ही जमा करना था तो पिछली बार ही कर लेते। उनको बेवजह परेशान किया गया। पर्चे पर नहीं लिखी जांच दिव्यांग पुष्पेंद्र अपने दो भाइयों के साथ शिविर में पहुंचे तो डॉक्टर ने उसे इलाज संबंधी कागज लाने को कहा। उसने कहा कि पांच साल पहले इलाज कराया था। अब उसके पेपर नहीं हैं। ऐसे में डॉक्टर ने पर्चे पर जांच नहीं लिखी। फिर भी जांच कराकर लाने को कहा। यह सुनकर उसके भाई असमंजस में पड़ गए कि जांच कौन सी कराएं। दोबारा डॉक्टर के पास गए तो कर्मचारी ने मिलने नहीं दिया। दिव्यांग सोनल ने बताया कि सात अगस्त को उनके प्रणाम पत्र की वैधता खत्म हो गई थी। वह नवीनीकरण कराने के लिए चार बार शिविर आ चुके हैं, लेकिन कभी फोटो नहीं तो कभी फोन नंबर नहीं बताकर लौटा दिया जा रहा है। पति गैर जनपद में हैं। वह घर में बच्चों को अकेले छोड़कर आती हैं। ई-रिक्शा से पहुंचते हैं लोग जिला अस्पताल में परीक्षण शिविर के आसपास सोमवार को कहीं भी व्हीलचेयर दिखाई नहीं दी। इस वजह से दिव्यांग ई-रिक्शा से हड्डी रोग वार्ड तक पहुंचे। इसके चलते वार्ड के बाहर रिक्शा का जमावड़ा लगा गया। बोर्ड ने एक जगह नहीं बैठते सभी डॉक्टर दिव्यांग बोर्ड में शामिल मनोरोग विशेषज्ञ, हड्डी रोग विशेषज्ञ, आई सर्जन और ईएनटी डॉक्टरों को एक ही जगह बैठना होता है, लेकिन यहां पर ऐसा नहीं है। इस वजह से मनोरोग विशेषज्ञ मेडिकल कॉलेज में मिलते है। अन्य सभी डॉक्टर जिला अस्पताल में अलग-अलग बैठते हैं। ऐसे में मरीजों को चक्कर लगाना पड़ता है। दिव्यांगों के लिए शिविर में व्हीलचेयर है। अगर मरीजों को यह उपलब्ध नहीं कराई गई है तो कर्मचारियों पर सख्ती की जाएगी। अन्य अव्यवस्था के संंबंध में डॉक्टर से वार्ता कर सुधार कराया जाएगा। - डॉ. कप्तान सिंह, सीएमएस

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 26, 2025, 01:37 IST
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