चिंताजनक: मोटापे को माना गया वैश्विक चुनौती, WHO ने बार-बार लौटने वाली बीमारी माना, दिशा-निर्देश जारी

दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहा मोटापा अब मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे गंभीर खतरों में शामिल हो चुका है। साल 2024 में मोटापे से जुड़ी वजहों से लगभग 37 लाख लोगों की मौत हुई और विश्व स्तर पर एक अरब से अधिक लोग मोटापे के शिकार हैं। अनुमान है कि यदि तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो साल 2030 तक मोटापे के मामलों में दोगुनी बढ़ोतरी हो सकती है। इसी पृष्ठभूमि में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पहली बार मोटापे को वैश्विक चुनौती मानते हुए इसके इलाज के लिए ग्लूकागन-लाइक पेप्टाइड-वन (जीएलपी-वन) दवाओं के उपयोग पर आधिकारिक मार्गदर्शिका जारी की है, जिसे मोटापे से लड़ाई में वैश्विक स्तर पर एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। डब्ल्यूएचओ ने मोटापे को चिरकालिक व बार-बार लौटने वाली बीमारी के रूप में मान्यता दी है। द लैंसेट में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार 1990 से 2022 के बीच बच्चों और किशोरों में मोटापे की दर चार गुना और वयस्कों में दोगुनी से अधिक बढ़ी। डब्ल्यूएचओ ने जीएलपी-वन थेरेपी को दी मान्यता सितंबर में डब्ल्यूएचओ ने जीएलपी-वन थेरेपी को उच्च जोखिम वाले टाइप-टू डायबिटीज रोगियों के लिए आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल किया था। अब डब्ल्यूएचओ ने मोटापे के इलाज में इनके उपयोग को भी मानक चिकित्सा मार्गदर्शन में शामिल किया है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधनोम घेब्रेयसस ने कहा कि मोटापा एक आजीवन बीमारी है और इसकी व्यापक, लगातार व समान देखभाल की जरूरत है। ये भी पढ़ें:चिंताजनक: मोटापा घटाने वाली दवाओं से लोगों को आ रहे आत्महत्या के विचार, भारत में धड़ल्ले से बिक रहीं ये दवाएं दवाओं तक समान पहुंच सबसे बड़ी चुनौती जीएलपी-वन थेरेपी अभी भी महंगी है और कई देशों में उपलब्ध नहीं। चेतावनी दी गई है कि यदि नीति नहीं बनी तो इस उपचार तक केवल अमीर आबादी की पहुंच हो जाएगी। अनुमान के अनुसार तेजी से उत्पादन बढ़ने के बाद भी 2030 तक ये दवाएं उन लोगों में से केवल 10% तक पहुंच पाएंगी जिन्हें इनकी जरूरत है। डब्ल्यूएचओ ने वैश्विक समुदाय से आग्रह किया है कि दवा निर्माण क्षमता बढ़ाई जाए,कीमतें कम की जाएं और सामूहिक खरीद मॉडल अपनाया जाए ताकि इलाज अधिक लोगों तक पहुंच सके और स्वास्थ्य असमानता न बढ़े।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 04, 2025, 01:50 IST
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