Online Gaming: फर्जी गेमिंग एप में आठ उद्योगपतियों के खाते जुड़े, 50-50 करोड़ जमा; सरगना की तलाश तेज
ऑनलाइन फर्जी गेमिंग एप में ठगी की परतें खुलने लगी हैं। रविवार को पुलिस को पता चला कि ठगों ने आठ उद्योगपतियों को जोड़ लिया था, जिनके करंट अकाउंट में ठगी की रकम मंगाई जा रही थी। ठग बाद में रकम अपने खाते में ट्रांसफर करवा लेते थे। रकम का 25 प्रतिशत कमीशन उद्योगपति ले रहे थे। जिन बैंक खातों की जानकारी मिली है उन्हें फ्रीज करने की कवायद चल रही है। सदर कोतवाली में सीओ सिटी अभिषेक प्रताप अजेय ने बैंक अधिकारियों को बुलाया और उनसे बात की। कोतवाल जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि अब तक की जांच में पता चला है कि ठगों ने ऑनलाइन गेमिंग एप से देश के विभिन्न हिस्सों से कई उद्योगपतियों को जोड़ रखा है, जिनके खाते में ठगी की रकम भेजी जाती है। अब तक आठ करंट अकाउंट का पता चला है, जिनकी जांच की जा रही है। ऐसा कोई अकाउंट नहीं है, जिसमें 50 करोड़ रुपये से कम की राशि जमा नहीं है। बताया जा रहा है कि ठगों का यह बड़ा गिरोह है, जो देश के विभिन्न हिस्सों में प्रतिदिन 10 करोड़ रुपये की ठगी कर रहा था। पुलिस का कहना है कि सरगना के गिरफ्तार होते ही पूरी जानकारी उपलब्ध हो सकेगी। ऑनलाइन गेमिंग एप से कारपोरेट करंट अकाउंट इसलिए जोड़े जाते हैं क्योंकि उनसे लाखों-करोड़ों की रकम एक ही बार में निकाली जा सकती है। बताया जा रहा है कि बैंक की ओर से करंट अकाउंट जल्दी फ्रीज नहीं किए जाते हैं। इनसे प्रतिदिन लाखों-करोड़ों रुपयों का लेनदेन होता है, जिससे बैंक को घाटा होने की आशंका रहती है। एप के जरिये फिलीपीन के नंबर से बात करता था अजीत कोतवाल ने बताया कि संतकबीर नगर निवासी अजीत और लखनऊ निवासी आशुतोष पैनल में काम करते थे। अजीत मोबाइल एप से मीडिया, होल्डर व हिट होल्डरों से फिलीपीन, इंडोनेशिया, नेपाल समेत कई देशों के नंबर से उद्योगपतियों से बात करता था। सनी, अर्जुन और आयुष की तलाश में टीमें गठित सीओ सिटी ने बताया कि 10 ठगों को गिरफ्तार किया गया है। तीन अभी फरार हैं। इनमें गोरखपुर निवासी सनी मौर्या, दिल्ली निवासी अर्जुन चोपड़ा और लखनऊ निवासी आयुष शुक्ला की तलाश में पुलिस की टीमों का गठन किया गया है। तीनों आरोपियों के मोबाइल फोन बंद हैं। सर्विलांस के माध्यम से लोकेशन ट्रेस की जा रही है। सभी पैनल में शामिल ठग हैं, जिनके नियंत्रण में फर्जी गेमिंग एप के जरिए लोगों को करोड़ों रुपये का चूना लगाया जा रहा है। साफ्टवेयर इंजीनियर ने तकनीक को बनाया ठगी का जरिया मास्टर माइंड लखनऊ निवासी आयुष शुक्ला बीटेक करने के बाद एक कंपनी में बतौर साफ्टवेयर इंजीनियर काम कर रहा था। लाखों के पैकेज पर काम करने के बाद भी वह संतुष्ट नहीं हुआ तो ऑनलाइन फर्जी गेमिंग एप बनाया और उसमें ऐसे युवाओं को जोड़ा, जो शिक्षित होते हुए भी बेरोजगार थे। हर माह लाखों-करोड़ों की ठगी करते थे। पुलिस मास्टर माइंड आयुष की सरगर्मी से तलाश कर रही है। कार चालक ने सुनी बातें तो खुल गई पोल दिल्ली का रहने वाला ठग मोहित चोपड़ा और संदीप गुप्ता किराये पर कार लेकर दिल्ली से लखनऊ गए थे। लौटते समय हरदोई के कार चालक ने फोन पर उनकी बातें सुनीं तो वह करोड़ों के लेनदेन की बात कर रहे थे। कन्नौज पहुंचने पर ड्राइवर ने पेट्रोल भरवाने के लिए 10 हजार रुपये मांगे तो वह बहस करने लगे। इसके बाद मारपीट कर दी। चालक ने 112 पर कॉल की तो पुलिस पहुंची और मोहित व संदीप को पकड़कर कोतवाली ले आई। कोतवाल जितेंद्र प्रताप सिंह को चालक ने बताया कि दोनों फोन पर करोड़ों के लेनदेन की बातें रास्ते भर कर रहे थे। ठगी की संरचना : हर किसी का बंटा हुआ था काम बॉस : आयुष शुक्ला - यह पूरे गिरोह का सरगना है जो केवल पैनल में शामिल ठगों और विदेशी नंबराें से उद्योगपतियों से बात करता था पैनल : आशुतोष, अजीत, अर्जुन व सनी - ऑनलाइन गेमिंग एप से करंट अकाउंट जोड़कर रकम को ट्रांसफर करते थे किट होल्डर : संदीप गुप्ता, अमित गुप्ता, मोहित चोपड़ा - ये लोग खाताधारक की पासबुक, एटीएम, पैन कार्ड, आधार कार्ड, सिम कार्ड, चेक बुक व नेट बैंकिंग की डिटेल पैनल को उपलब्ध कराते थे
- Source: www.amarujala.com
- Published: Aug 25, 2025, 06:09 IST
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