Agra News: चंबल में ओस्प्रे की दस्तक, पानी में घुसकर मछली पकड़ने में माहिर

आगरा। यूरोप से छह हजार किमी. से अधिक का सफर तय कर ओस्प्रे (मछलीमार बाज) ने चंबल सेंक्चुअरी की बाह रेंज में दस्तक दी है। नंदगवा घाट पर ओस्प्रे का मछली पकड़ने का अंदाज सैलानियों को रोमांचित कर रहा है। पानी के तीन फीट अंदर तक जाकर मछली पकड़कर जब यह पक्षी उड़ान भरता है तो लोग दांतों तले अंगुली दबा लेते हैं। बाह के रेंजर कुलदीप सहाय पंकज ने बताया कि ओस्प्रे ऊपर से चमकदार भूरे रंग का होता है। सिर और निचला हिस्सा सफेद-भूरा होता है। आंखों से गर्दन तक काला धब्बा होता है। आंख की पुतली सुनहरी भूरे रंग की होती है और उस पर हल्के नीले रंग की झिल्ली चढ़ी होती है। पैर सफेद, पंजे काले, पूंछ छोटी होती है। वैज्ञानिक नाम पैंडियन हैलिएटस है। ओस्प्रे की लंबाई 50-55 सेमी., वजन 1000-1800 ग्राम, पंख फैलाव 120-170 सेमी होता है। मादा के मुकाबले नर पक्षी छोटे होते हैं। इनका मुख्य भोजन मछली है लेकिन मेंढकों का भी शिकार कर लेते हैं। रेंजर ने बताया कि नंदगवा के अलावा गोहरा, केंजरा के पास भी यह पक्षी दिखते हैं। सर्दी के सीजन में आने वाले ओस्प्रे मार्च के बाद वापस लौट जाते हैं। दूसरे प्रवासी पक्षियों के साथ ओस्प्रे की दस्तक उत्साहित करने वाली है। वन विभाग प्रवासी पक्षियों के विचरण पर नजर रख रहा है।-----------------अपने से ज्यादा वजन की मछली का करते हैं शिकार शिकार के लिए ओस्प्रे अपने शरीर को पंजों में जकड़ता है। पंजे के दो अगले नाखून व दो पिछले नाखून के बीच शिकार को फंसाता है। इनके पंजों की सतह कांटेदार होती है, जिससे सहायता से मछली फिसलती नहीं है। रेंजर ने बताया कि इस पक्षी की दृष्टि काफी तेज होती है। ये आसमान में उड़ते हुए पानी के नीचे तैर रही मछली को आसानी से देख सकते हैं। जैसे ही मछली पानी की सतह के पास आती है तो यह अपने पंखों को इकट्ठा करके सीधा निशाना साधता है। पानी की सतह के लगभग तीन फीट तक की गहराई से मछली को अपने पंजे में फंसाकर उड़ता है। इस पूरी प्रक्रिया में महज 5-10 सेकेंड लगते हैं। ओस्प्रे अपने से 300 ग्राम ज्यादा वजन की मछलियों का भी शिकार कर लेता है। ------------रेड क्रेस्टेड पोचार्ड भी आए, मोह रहे सैलानियों का मन सर्दी बढ़ने के साथ ही रेड क्रेस्टेड पोचार्ड की चहक भी चंबल में सुनाई दे रही है। यूरोप, एशिया, अफ्रीका से आए रेड क्रेस्टेड पोचार्ड का आकर्षक रंग रूप और पानी के अंदर चोंच डालकर भोजन की तलाश करने का अंदाज सैलानियों का मन मोह लेता है। मुख्य भोजन जलीय वनस्पतियां होती हैं। भोजन की तलाश पूरी होते ही नदी के पानी को चीर कर उड़ान भरते हैं। बाह के रेंजर कुलदीप सहाय पंकज ने बताया कि रेड क्रेस्टेड पोचार्ड का वैज्ञानिक नाम नेट्टा रूफिना तथा स्थानीय नाम गोताखोर बत्तख है। मादा के मुकाबले नर रेड क्रेस्टेड पोचार्ड थोड़े बड़े होते हैं। इनकी लंबाई 50-60 सेमी., वजन 800-1400 ग्राम, पंख फैलाव 70-80 सेमी. होता है। नर का सिर गोल लाल भूरे रंग का, चोंच गुलाबी लाल रंग की, छाती काले रंग की होती है। पूंछ भी काली होती है। मादा हल्के भूरे रंग की होती है। चेहरा सफेद रंग का होता है। पीठ सिर का ऊपरी भाग गहरे रंग का होता है। --------------ऐसे पहुंचें चंबल- जिला मुख्यालय आगरा से 85 किमी. की दूरी पर, इटावा से 40 किमी. की दूरी पर, शिकोहाबाद से 45 किमी. की दूरी पर नंदगवा का इंटर प्रिटेशन सेंटर है। आगरा, इटावा, शिकोहाबाद तक ट्रेन से पहुंचने के बाद बस या टैक्सी से सैलानी ईको टूरिज्म सेंटर नंदगवा तक पहुंच सकते हैं। चंबल भ्रमण के लिए विदेशी सैलानी को 600 रुपये तथा स्थानीय सैलानी को 50 रुपये का शुल्क अदा करना पड़ेगा। प्रवासीपक्षी प्रवासीपक्षी

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 23, 2025, 03:09 IST
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