Intuitive Machines: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा लैंडर 'एथेना', जानें क्या है इंट्यूटिव मशीन्स का मिशन

अमेरिका में बुधवार को एक निजी कंपनी ने एक और मून लैंडर लॉन्च किया, जो इस बार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के और करीब जाने की कोशिश करेगा। इस मिशन में एक खास ड्रोन भी शामिल है, जो चंद्रमा के एक ऐसे गहरे गड्ढे में पहुंचेगा, जहां कभी सूरज की रोशनी नहीं पड़ती है। बता दें कि, टेक्सास की इंट्यूटिव मशीन्स कंपनी के लैंडर एथेना को स्पेसएक्स ने नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया। जानकारी के मुताबिक, यह 6 मार्च को चंद्रमा पर उतरेगा। पिछली बार कंपनी का लैंडर उतरते ही गिर गया था, लेकिन इस बार तकनीकी खामियों को दूर कर दिया गया है। Lighting the way to the Moon: As @Int_Machines lander lifts off aboard a @SpaceX Falcon 9 rocket, it takes with it NASA science and tech. Its mission To help us better understand the lunar environment in preparation for future human explorers. pic.twitter.com/KIx5vnpHRCmdash; NASA (@NASA) February 27, 2025 चंद्रमा पर उतरने की बढ़ती प्रतिस्पर्धा इन दिनों कई देशों और कंपनियों में चंद्रमा पर उतरने की होड़ मची हुई है। पिछले महीने अमेरिकी और जापानी कंपनियों ने एक ही रॉकेट से अपने लैंडर लॉन्च किए थे। इस हफ्ते फायरफ्लाई एयरोस्पेस नाम की अमेरिकी कंपनी का लैंडर चंद्रमा पर पहुंच सकता है। नासा ने चंद्रमा मिशनों के लिए करोड़ों डॉलर खर्च किए हैं, ताकि भविष्य में वहां अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की तैयारी की जा सके। Its an amicable split. 😌The Athena lunar lander drifts away, continuing onward to the Moon. Check @Int_Machines for updates. pic.twitter.com/pVaOlJmhPpmdash; NASA (@NASA) February 27, 2025 कंपनी ने पिछली गलती से सीखा सबक पिछले साल, इंट्यूटिव मशीन्स ने 50 साल बाद पहली बार अमेरिका की तरफ से चंद्रमा पर लैंडिंग मिशन सफल बनाया था, लेकिन एक उपकरण के खराब होने से लैंडर टेढ़ा गिर गया। इस बार कंपनी ने उस गलती को सुधारने का दावा किया है। अगर इस बार भी लैंडर सीधा नहीं उतरता, तो इसके अंदर रखे ड्रोन और रोवर्स बाहर नहीं निकल पाएंगे।इसे लेकर कंपनी के अधिकारी ट्रेंट मार्टिन ने कहा, 'इस बार हम पहले से बेहतर प्रदर्शन करेंगे, लेकिन अंतरिक्ष मिशन में कुछ भी निश्चित नहीं होता।' चंद्रमा पर पहला 'हॉपिंग' ड्रोन इंट्यूटिव मशीन्स का एथेना लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से 160 किलोमीटर दूर उतरेगा। वहीं से ग्रेस नाम का ड्रोन छोटे-छोटे छलांग लगाते हुए एक 65 फीट गहरे गड्ढे में पहुंचेंगे, जहां कभी सूरज की रोशनी नहीं पड़ती है। इस ड्रोन का नाम ग्रेस हॉपर नाम की प्रसिद्ध कंप्यूटर वैज्ञानिक के नाम पर रखा गया है। यह हाइड्राजीन ईंधन से चलेगा और लेजर व कैमरों से रास्ता तय करेगा। इसमें लगे वैज्ञानिक उपकरण चंद्रमा की सतह पर बर्फ की तलाश करेंगे। अगर वहां पानी की बर्फ मिली, तो भविष्य में इसे पीने के पानी, सांस लेने की हवा और रॉकेट ईंधन में बदला जा सकेगा। नासा ने दिए 62 मिलियन डॉलर इस मिशन के लिए नासा ने 62 मिलियन डॉलर (लगभग 514 करोड़ रुपये) की फंडिंग दी है। इसके अलावा, लैंडर में अन्य कंपनियों और संगठनों के लिए भी जगह दी गई है। इस मिशन के साथ नासा का लूनर ट्रेलब्लेजर सैटेलाइट भी भेजा गया है, जो चंद्रमा की कक्षा में रहकर वहां मौजूद पानी का नक्शा तैयार करेगा। इसके अलावा, एक अन्य निजी अंतरिक्ष यान को एक एस्टेरॉयड के अध्ययन के लिए भेजा गया है, जो भविष्य में एस्टेरॉयड माइनिंग के लिए उपयोगी साबित हो सकता है। चंद्रमा की ओर तेजी से बढ़ते कदम अब तक सिर्फ रूस, अमेरिका, चीन, भारत और जापान ही चंद्रमा पर सफल लैंडिंग कर पाए हैं। लेकिन कई मिशन असफल भी हुए हैं। इस बार अगर इंट्यूटिव मशीन्स का लैंडर सफलतापूर्वक उतरता है, तो यह चंद्र अन्वेषण की दुनिया में एक बड़ी उपलब्धि होगी।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Feb 27, 2025, 07:49 IST
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